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महाराष्ट्र में उद्धव के गुंडों का हिंसक तांडव

सरकार और शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे के हाथ से गई

बौखलाए संजय राउत ने सड़क पर निपटने को दिया अंजाम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 25 June 2022 06:47:08 PM

in maharashtra, shiv sena goons vandalized the office of the rebel mla

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहते हुए उद्धव ठाकरे, उनके मंत्री पुत्र आदित्य ठाकरे और उनके डिजाइनर सलाहकार संजय राउत ने महाराष्ट्र की राजनीति में नेस्तनाबूत हो जाने से बौखलाकर आखिर वही किया, जिसके लिए वह जाने जाते हैं, जिसकी उम्मीद थी, जिसके सहारे वे राजनीति करते हैं, जिसे वे अपना मुख्य हथियार मानते हैं यानी हिंसा हमले तोड़फोड़ और राज्य की कानून व्यवस्था को बंधक बनाकर अपना मकसद पूरा करना। कल से आजतक शिवसेना के विद्रोही विधायकों एवं मंत्रियों के खिलाफ उद्धव ठाकरे के प्रवक्ता संजय राउत की विद्रोहियों से सड़क पर निपटने की धमकी सुना जा रही है, जिसे कल रात ही अंजाम दे दिया गया है। मातोश्री में पलते आ रहे उद्धव की शिवसेना के गुंडों ने अपने 'महाप्रभु' उद्धव ठाकरे और उनकी टीम का इशारा पाते ही मुंबई और महाराष्ट्र के विद्रोही विधायकों के यहां और उनके इलाकों में हिंसक तोड़फोड़ शुरू करदी है। महाराष्ट्र की पुलिस खड़ी तमाशा देख रही थी, इसलिए उनकी सुरक्षा में केंद्रीय बल लगाए गए हैं। उद्धव ठाकरे के गुंडों का यह तांडव पूरा देश देख रहा है। निचोड़ यह हैकि सरकार और शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे के हाथ से निकल गई है और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई शिवसेना ने अवतार ले लिया है।
उद्धव ठाकरे के योजनाकार और सलाहकार संजय राउत के मीडिया पर एकनाथ शिंदे और विद्रोही विधायकों के खिलाफ लगातार ज़हरीले बयान आ रहे हैं, जिनमें जानसे मारने की धमकियां तक शामिल हैं। संजय राउत कानून को ठेंगे पर रखकर कह रहे हैं कि हमारा एक ही इशारा काफी है यानी उनके शिवसैनिक विद्रोही विधायकों के यहां कोहराम मचा देंगे, लेकिन महाराष्ट्र पुलिस ने उनके इन बयानों का कोई भी संज्ञान नहीं लिया और शिवसेना के गुंडों को तोड़फोड़ करने से नहीं रोका। मुंबई पुलिस कमिश्नर का यह सब देखने और जानने के बावजूद हाथ पर हाथ धरे बैठना इसबात का प्रमाण है कि उनका कानून व्यवस्था से कोई मतलब नहीं है, बल्कि वे हवा का रुख देखने में लगे हैं। संजय राउत की फितरतों से पूरा मुंबई और महाराष्ट्र वाकिफ है। यह वही संजय राउत है जो मातोश्री केलिए गुंडे पालता है। इसका यह रिकॉर्ड हैकि एक समय यह मुंबई के किसी होटल में जाता था तो उसके किसीभी बिल का भुगतान नहीं करता था, मातोश्री केलिए मुंबई के सिनेमाघरों को धमकी देकर गुंडा टैक्स की वसूली करता था, यह भी एक सच्चाई हैकि कोई भी नई फिल्म तबतक नहीं लगती है, जबतक मातोश्री पर चढ़ावा नहीं हो जाता है और उस चढ़ावे को तय करने वाले का नाम संजय राउत भी बताया जाता है। उद्धव ठाकरे ने संजय राउत को प्रवक्ता ही इसीलिए बनाया हुआ है, ताकि वह इस प्रकार के काम को अंजाम दिला सके। संजय राउत पर ही आरोप हैकि उसने शिवसेना के मंत्रियों, विधायकों, सांसदों और प्रतिनिधियों का मातोश्री में प्रवेश रोका हुआ था, उसकी मर्जी के बगैर इनमें से कोई भी उद्धव ठाकरे से या आदित्य ठाकरे से कभी नहीं मिल पाया।
बताया जाता हैकि उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे तो अपने इन नेताओं से अभद्रता किया करते थे, संजय राउत भी उनसे ऐसी ही भाषा में बोला करता था, जो वह अब सरेआम बोल रहा है। उद्धव ठाकरे के मंत्री, विधायक, सांसद और प्रतिनिधि आजकल खुलकर अपना यह दर्द बयां कर रहे हैं। विद्रोह का एक बड़ा कारण यही है। उद्धव ठाकरे ने शिवसेना को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना लिया और शिवसैनिकों को अपना नौकर, तो फिर एक न एक दिन विद्रोह का यह ज्वालामुखी फूटना ही था, जिसकी चपेट में कांग्रेस और एनसीपी भी आ चुकी है। कांग्रेस और एनसीपी महाराष्ट्र में शिवसेना को बहुत कमजोर कर चुकी है, हां इन दोनों का पूरे पांच साल मलाई काटने का, आगामी लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें जीतने और भारतीय जनता पार्टी को रोकने का मंसूबा जरूर अधूरा रह गया है। गौरतलब हैकि आगे के ढाई साल ही निर्णायक है, जिनमें यह साबित होगाकि महाराष्ट्र में शक्तिशाली राजनीतिक दल कौन है और क्या भाजपा अपने विरोधियों पर शानदार जीत दर्ज कर पाएगी? इस वक्त मुख्य मुद्दा विद्रोही विधायकों को धमकियां देने का है। दूसरा विषय यह है कि जब उद्धव ठाकरे अपनी सरकार के प्रति आशांवित हैं तो ऐसी क्या जल्दी हैकि सुना जा रहा है कि वे और उनके सहयोगी कांग्रेस एवं एनसीपी के मंत्री जल्दी-जल्दी फाइलें निपटाने में लगे हैं, जिनमें कई ऐसी फाइलें हैं, जो बिल्डरों, अधिकारियों एवं उनके खास लोगों को उपकृत करने की हैं।
संजय राउत जिस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं और महाराष्ट्र में अपने शिवसैनिकों को उकसाकर गुंडों से तोड़फोड़ एवं दहशत पैदा करा रहे हैं, उससे उद्धव ठाकरे आदित्य ठाकरे और उनकी मुश्किलें कोई कम नहीं हो रही हैं। संजय राउत इस विद्रोह की मुख्य वजह भी माने जाते हैं। ऐसा माना जा रहा हैकि यह मामला शीर्ष कोर्ट तक भी पहुंचेगा, जहां महाराष्ट्र की प्रशासनिक और राजनीतिक अस्थिरता पर भी कोई आदेश भी आ सकता है। संजय राउत ने इन दिनों अपनी कार्यप्रणाली से भाजपा के शीर्ष नेताओं को भी अपनी अभद्र भाषा का शिकार बनाया है, चाहे वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे हों या केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह या फिर महाराष्ट्र के भाजपा नेता। उद्धव ठाकरे और संजय राउत यह भूल गए कि राजनीति की भी कुछ मर्यादाएं होती हैं, रिश्ते होते हैं, जिनका शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे भी काफी मान और सम्मान रखते थे। उद्धव ठाकरे और संजय राउत की जोड़ी ने ये सब मर्यादाएं तार-तार की हैं और वे आज जिन हाथों में खेल रहे हैं, उन हाथों से बाल ठाकरे जेल भी भेजे गए थे। महाराष्ट्र के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। देखना हैकि आगे और क्या होता है!

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