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Wednesday 25 December 2019 02:47:44 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने भारत की जनगणना-2021 की प्रक्रिया शुरु करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर को अद्यतन करने को मंजूरी दे दी है। जनगणना प्रक्रिया पर 8754.23 करोड़ रुपये तथा एनपीआर के अध्ययतन पर 3941.35 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। देश की पूरी आबादी जनगणना प्रक्रिया के दायरे में आएगी, जबकि एनपीआर के अद्यतन में असम को छोड़कर देश की बाकी आबादी को शामिल किया जाएगा। भारत में जनसंख्या गणना प्रक्रिया दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या गणना प्रक्रिया है, देश में जनगणना का काम हर दस साल बाद होता है, ऐसे में अगली जनसंख्या गणना 2021 में होनी है। जनसंख्या गणना का यह काम दो चरणों में किया जाएगा, पहले चरण के तहत अप्रैल-सितंबर 2020 तक प्रत्येक घर और उसमें रहने वाले व्यक्तियों की सूची बनाई जाएगी। असम को छोड़कर देश के अन्य हिस्सों में एनपीआर रजिस्टर के अद्यतन का काम भी इसके साथ किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 तक पूरी जनसंख्या की गणना का काम होगा।
जनसंख्या की गणना के काम को पूरा करने के लिए 30 लाख सरकारी कर्मियों को देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाएगा। जनगणना-2011 में लगे सरकारी कर्मियों की संख्या 28 लाख थी। डेटा संकलन के लिए मोबाइल ऐप और निगरानी के लिए केंद्रीय पोर्टल का इस्तेमाल होगा, जो जनगणना का काम जल्दी और गुणवत्ता के साथ पूरा करना सुनिश्चित करेगा। प्रक्रिया के अनुसार एक बटन दबाते ही डेटा प्रेषण का काम ज्यादा बेहतर तरीके से होगा और साथ ही यह इस्तेमाल में भी आसान होगा। इससे नीति निर्धारण के लिए तय मानकों के अनुरूप सभी जरूरी जानकारियां तुरंत उपलब्ध कराई जा सकेंगी। संबंधित मंत्रालयों के अनुरोध पर जनसंख्या से जुड़ी जानकारियां उन्हें सही, मशीन में पढ़े जाने लायक और कार्रवाई योग्य प्रारूप में उपलब्ध कराई जाएंगी। भारत सरकार का कहना है कि जनगणना केवल एक सांख्यिकी प्रक्रियाभर नहीं है, इसके नतीजे आम जनता को इस तरह उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि उन्हें इन्हें समझने में आसानी हो। जनसंख्या से जुड़े सभी आंकड़े मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों, अनुसंधान संगठनों, हितधारकों और उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे।
भारत की जनसंख्या से जुड़े आंकड़ों को गांवों और वार्ड जैसी प्रशासनिक स्तर की आखिरी इकाइयों के साथ भी साझा किया जाएगा। जनसंख्या से जुड़े ब्लॉक स्तर के आंकड़े परिसीमन आयोग को भी मुहैया कराए जाएंगे, ताकि लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन में इनका इस्तेमाल हो सके। सर्वेक्षणों और अन्य प्रशासनिक कार्यों से संबंधित आंकड़ों को यदि जनंसख्या के आंकड़ों के साथ लिया जाए तो यह जननीतियों के निर्धारण का एक सशक्त माध्यम है। इस बड़े महत्व के काम का एक सबसे बड़ा नतीजा दूरदराज के क्षेत्रों से लेकर पूरे देश में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूपसे रोज़गार का सृजन होना है। यह जनगणना और एनपीआर के काम में लगाए गए कर्मियों को दिए जाने वाले मानदेय के अतिरिक्त है। जनगणना और एनपीआर के काम में स्थानीय स्तर पर 2900 दिन के लिए करीब करीब 48 हजार लोगों को लगाया जाएगा। दूसरे शब्दों में इससे करीब 2 करोड़ चालीस लाख मानव दिवस के रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे। आंकड़ों के संकलन के लिए डिजिटल प्रक्रिया और समन्वय की नीति अपनाए जाने से जिलों और राज्यस्तर पर तकनीकी दक्षता वाले मानव संसाधनों की क्षमता के विकास में भी मदद मिलेगी। इससे ऐसे लोगों के लिए आगे चलकर रोज़गार पाने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
जनगणना की प्रक्रिया में प्रत्येक परिवारों से मिलना,प्रत्येक घर तथा उसमें रहने वाले लोगों की सूची तैयार करना तथा सबको मिलाकर जनसंख्या गणना के लिए अलग-अलग प्रश्नावली तैयार करना शामिल है। जनगणना करने वाले आमतौर पर राज्य सरकारों के कर्मचारी और सरकारी शिक्षक होते हैं। इन्हें अपनी नियमित ड्यूटी के अतिरिक्त जनगणना के साथ ही एनपीआर का काम भी करना होता है। इन लोगों के अलावा जनगणना के काम के लिए जिला, उपजिला और राज्यस्तर पर राज्यों और जिला प्रशासन अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति भी करता है। इस बार जनगणना-2021 के लिए कुछ नई पहलें की गई हैं, जिनमें पहलीबार आंकड़ों के संकलन के लिए मोबाइल एप का इस्तेमाल, जनगणना के काम में लगाए गए अधिकारियों और पदाधिकारियोंको विभिन्न भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए जनगणना निगरानी और प्रबंधन पेार्टल की व्यवस्था, आम लोगों को अपनी ओर से जनसांख्यिकी आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन सुविधा देना, कोड डायरेक्टरी की व्यवस्था करना है, ताकि विस्तार से दी गई जानकारियों को कूटबद्ध कर आंकड़ों के प्रसंस्करण के काम में समय की बचत की जा सके।
जनगणना तथा एनपीआर के काम में लगे लोगों को दिए जानेवाले मानदेय की धनराशि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली तथा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी। यह धनराशि जनसंख्या गणना और एनपीआर पर होने वाले कुल खर्च का 60 फीसदी हिस्सा होगी। जनगणना के काम के लिए जमीनीस्तर पर काम करने वाले 30 लाख सरकारी कर्मियों को गुणवत्तापरक प्रशिक्षण देना और इसके लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रशिक्षक तैयार करने के लिए राष्ट्रीय तथा राज्यस्तर की प्रशिक्षण संस्थाओं की सेवाएं ली जाएंगी। गौरतलब है कि देश में जनगणना का काम 1872 से किया जा रहा है, जो हर दस साल बाद होता है। जनगणना-2021 देश की 16वीं और आजादी के बाद की 8वीं जनगणना होगी। जनसंख्या गणना आवासीय स्थिति, सुविधाओं, संपत्तियों, जनसंख्या संरचना, धर्म, अनुसूचित जाति, जनजाति, भाषा, साक्षरता और शिक्षा, आर्थिक गतिविधियों, विस्थापन और प्रजनन क्षमता जैसे विभिन्न मानकों पर गांवों, शहरों और वार्ड स्तर पर लोगों की संख्या के सूक्ष्म से सूक्ष्म आंकड़े उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा स्रोत है। जनगणना कानून 1948 और जनगणना नियम 1990 जनगणना के लिए वैधानिक फ्रेमवर्क उपलब्ध कराता है। नागरिकता कानून 1955 तथा नागरिकता नियम 2003 के तहत राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पहलीबार 2010 में तैयार किया गया था। इसे आधार से जोड़े जाने के बाद 2015 में अद्यतन किया गया था।