स्वतंत्र आवाज़
word map

ऐतिहासिक कथक साहित्य महोत्सव संपन्न

कथक की साहित्यिक व कलात्मक विरासत की रंगारंग प्रस्तुतियां

दुर्लभ व पारंपरिक कथक नृत्य कलाओं को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 1 April 2025 12:34:16 PM

kathak literature festival

नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के स्वायत्त निकाय संगीत नाटक अकादमी की घटक इकाई कथक केंद्र नई दिल्ली में छह दिवसीय 37वें कथक महोत्सव-2025 का रंगारंग समापन हुआ। यह एक ऐतिहासिक आयोजन था, इसमें छह दिनतक विश्व का पहला कथक साहित्य महोत्सव वॉक-थ्रू प्रदर्शनी, कथक संगोष्ठी और कथक नृत्य संगीत केसाथ आयोजित किया गया। महोत्सव में कथक नृत्य कला के सभी घरानों ने अपनी दुर्लभ बारीकियों और पारंपरिक शैली से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। बड़ी संख्या में दर्शकों की उपस्थिति केसाथ यह महोत्सव सफल रहा और कथक की साहित्यिक एवं कलात्मक विरासत के बारेमें नए ज्ञान और प्रशंसा से समृद्ध हुए। कथक महोत्सव-2025 की भव्यता और व्यापकता के तहत कथक केंद्र नई दिल्ली में मौजूद महानुभावों ने एक अभिनव दृष्टिकोण केसाथ कथक नृत्य के आयामों को बढ़ावा देने का वादा किया।
कथक केंद्र नई दिल्ली की निदेशक प्रणाम भगवती ने कथक महोत्सव को नए आयाम और दृश्यता प्रदान करने में पूर्ण जिम्मेदारी निभाई तथा दूरदर्शी निर्देशन केसाथ प्रमुख घरानों-लखनऊ, जयपुर, बनारस और रायगढ़ को सम्मानित किया। कथक महोत्सव में प्रतिष्ठित कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। कमानी ऑडिटोरियम में अंतिम दिन संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद साराभाई और संगीत नाटक अकादमी की चेयरमैन डॉ संध्या पुरेचा ने देश के विभिन्न भागों से आए विद्वानों और प्रतिपादकों केसाथ राजसी संरक्षण की भागीदारी ‘बोल’ के विकास और विविधता तथा पांडुलिपियों के महत्व जैसे विषयों पर विचार साझा किए, इनमें कथक की समृद्ध साहित्यिक विरासत पर भी प्रकाश डाला गया। इन मूल्यवान चर्चाओं को दस्तावेजित करने केलिए नई प्रकाशित पुस्तकों का एक संग्रह तैयार करके महोत्सव के उद्घाटन पुस्तक मेले में प्रदर्शित किया गया, जिसने दर्शकों की अत्यधिक रुचि आकर्षित की।
कथक साहित्य महोत्सव में सांसद और आईसीसीआर के अध्यक्ष रहे डॉ विनय सहस्रबुद्धे, रीवा के महाराज पुष्पराज सिंह पूर्व महानिदेशक (आईसीसीआर), डॉ अमरेंद्र खटुआ (आईएफएस), प्रसिद्ध गायिका व लेखिका डॉ सरिता पाठक और पंडित रामलाल बरेठ (बिलासपुर), डॉ पुरु दधीच और डॉ विभा दधीच (इंदौर), डॉ पूर्णिमा पांडे (लखनऊ), प्रोफेसर भरत गुप्त (गुड़गांव), सास्वती सेन और वासवती मिश्रा (दिल्ली), डॉ नंदकिशोर कपोटे (पुणे), डॉ शोवना नारायण (दिल्ली), माताप्रसाद मिश्र और रविशंकर मिश्र (बनारस), मुरलीमोहन कल्वाकालवा (थाईलैंड), मुल्ला अफसर खान (पुणे), विशाल कृष्ण (बनारस), प्रोफेसर डॉ मांडवी सिंह (लखनऊ), नंदिनी सिंह (दिल्ली), रोशन दात्ये (पुणे) जैसे प्रसिद्ध कलाकार और विद्वान भी शामिल हुए थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]