स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 11 February 2020 12:34:02 PM
रुड़की। केंद्रीय परिवहन राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह की उपस्थिति में राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद और श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय गजरौला ने ज्योतिष के स्नातक, स्नातकोत्तर, एमफिल, पीएचडी आदि पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। वीके सिंह ने इस अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के अधिवेशन में जनरल वीके सिंह ने कहा कि ज्योतिष लोक कल्याणकारी विज्ञान है और इसका दुरूपयोग करने वालों को हानि ही होती है। उन्होंने कहा कि पाखंड जल्द ही खुल जाता है, तब फिर वह व्यक्ति अकेला रह जाता है, वहीं वास्तविक साधक ज्यातिर्विद उत्तरोत्तर प्रगति में व्यस्त हो जाता है, इसलिए आज ज्योतिष के व्यावहारिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष शिक्षा के लिए राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद और श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय गजरौला के मध्य सहमति पत्र से ज्योतिष में शोध की परंपरा को प्रेरणा मिलेगी और इससे लोक का कल्याण होगा।
राज्यमंत्री वीके सिंह ने कहा कि ज्योतिष पर अध्ययन होते रहने चाहिएं, व्यक्ति के साथ क्या होना है, इसकी जानकारी या तो विधाता जानते हैं या फिर विद्वान ज्योतिषाचार्य। उन्होंने कहा कि ज्योतिष के यथार्थ विज्ञान का महत्व जनता के कल्याण में है और जो ज्योतिषाचार्य ज्योतिष सीखे हैं या जिन्होंने ज्योतिष को विधिवत पढ़ा है, वे सफल ज्योतिर्विद बनते हैं। उन्होंने कहा कि इस विद्या को लोक कल्याण के लिए ही प्रयोग करना चाहिए, इसका गैर कल्याणकारी प्रयोग करने वाले का नाम और काम दोनों खत्म हो जाते हैं, इसलिए इसको किसी विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक दर्जा देना अति महत्वपूर्ण है। वीके सिंह ने कहा कि इसका अनुसरण अन्य विश्वविद्यालयों को भी करना चाहिए और अपने यहां इसको लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने राज किया और उन्होंने पाया कि भारत के लोग प्रभावशाली ढंग से विकसित सभ्यता, शिक्षा और वैज्ञानिक रूपसे सुदृढ़ और सम्पन्न हैं तो उन्होंने हमारी सभ्यता को हर प्रकार से नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन वे ज्योतिष जैसे वैज्ञानिक ज्ञान को नष्ट नहीं कर पाए।
श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति डॉ राजीव त्यागी ने कहा कि ज्योतिष के वैज्ञानिक पक्ष को शोध संपन्न करने की दृष्टि से इसे शैक्षिक स्तरपर संरक्षण देने की अति आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी ज्ञान शोध परंपरा से ही जीवित रहता है, इसलिए राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के साथ मिलकर ज्योतिष संकाय प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि हम ज्योतिष में डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, बीए, एमए, एमफिल और पीएचडी जैसे पाठ्यक्रमों से इस महान विज्ञान के संरक्षण के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि नए-नए शोधों से जीवन के हर पक्ष को प्रकाशित करने की ज्योतिष की महत्वपूर्ण क्षमता का हम सही उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि सामान्यतया मनुष्य ज्योतिष जिज्ञासु है और यह विद्या संसार के लिए अमृत के समान है, इसलिए हम इस क्षेत्र में शोध परंपरा को स्थापित करने का पूर्ण प्रयास करेंगे। यह अधिवेशन दो दिवसीय था, जिसकी अध्यक्षता श्रीमद्भागवतपीठ शुकतीर्थ के पीठाधीश्वर शिक्षा ऋषि स्वामी ओमानंद सरस्वती की। उन्होंने कहा कि ज्योतिष विद्या का उल्लेख इतिहासकारों ने अपने उद्धरणों में किया है, वे अलबरूनी हों या मैक्समूलर टॉड, ज्योतिष से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
स्वामी ओमानंद सरस्वती ने कहा कि भारत के गांव-गांव में रहने वाले विद्वान मनीषियों ने अपने ज्योतिष ज्ञान से विदेशी आक्रांताओं के दिमाग हिला दिए थे, भारत के ग्रहों के ज्ञान के कारण विदेशी हमलावरों ने ईर्ष्यावश हमारे पुस्तकालयों को जला दिया था, लेकिन हमारे विद्वानों ने श्रुति परंपरा से इस विद्या को बचाए रखा। उन्होंने कहा कि ज्योतिष विद्या को शासकीय संरक्षण की जरूरत है, क्योंकि इस विद्या के ज्ञान से संसार को सुखी और संपन्न रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष विद्या के ज्ञान से भारत का किसान फसल उगाता है, वर्षाकाल का आकलन करता है, जहाजी जहाज को दिशा देता है, इसलिए यह विद्या मानव के लिए कल्याणकारी है। राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के अखिल भारतीय अध्यक्ष आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री ने सरकार से मांग की कि सरकार ज्योतिष शिक्षा को ऐच्छिक रूपसे माध्यमिक शिक्षा में लागू करे,।जिससे इस विद्या का लोप होने से बचा रहे। उन्होंने प्रत्येक राज्य एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय में ज्योतिष संकाय खोलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को कम से कम तिथि नक्षत्र आदि का सामान्य ज्ञान तो होना ही चाहिए। एसोचैम के प्रदेश अध्यक्ष और ईस्ट इंडिया उद्योग के कार्यकारी प्रमुख डॉ पी कुमार ने कहा कि ज्योतिष के संबंध में अवैज्ञानिक धारणाएं ज्योतिष शिक्षा के प्रसार-प्रचार से ही नष्ट होंगी और इसका वास्तविक सत्य प्रकाशित होगा।
एसआरएम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ एस विश्वनाथन ने ज्योतिष को विज्ञान का मूल बताते हुए कहा कि इस विद्या के शिक्षण से पाखंड नष्ट होगा। उन्होंने एसआरएम विश्वविद्यालय में भी शीघ्र ही इसे विषयक निर्णय लेने का वचन दिया। अधिवेशन में स्थानीय विधायक डॉ मंजू शिवाच, जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल, संस्कृत भारती के जिला प्रचारक विवेक कौशिक, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के ज्योतिष विभाग प्रमुख डॉ सुनील शर्मा, डॉ रमेश वायगावंकर, स्वामी अद्वैतानंद न्यायतीर्थ, ओडिशा के पूर्व पुलिस महानिदेशक महोपाध्याय अरुण उपाध्याय, आचार्य अजय भांबी, डॉ अशोक नेहरा, आचार्य निशा घई, डॉ ललित पंत, अमित कौशिक, आचार्य विपिन डागर, रिचा शुक्ला, शैलेंद्र पांडेय, वाई राखी, आचार्य जीतू सिंह, डॉ बिजेंद्र मिश्र, डॉ सुशांत राज, एचएस रावत, अनिल वत्स, जितेंद्र कंसल, डॉ शीतल शर्मा, डॉ अनिला सिंह, हरीश त्यागी, संजय त्यागी, डॉ वीरेंद्र वर्मा, डॉ संत कुमार, केवल राजगौर, डॉ मुकेश भारद्वाज, ब्रजभूषण भारद्वाज, अखिलेश द्विवेदी, पंकज जैन, अखिलेश कौशिक, पंडित गोपाल कौशिक, ऋषि मां, वेदपाल चपराना, महेश गर्ग, पवन कटारिया, भारती शास्त्री, यथार्थ शेखर, आर्येंदु शास्त्री, रूही राजपूत आदि ने विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि इस अधिवेशन से ज्योतिष विद्या को कैरियर के रूपमें अपनाने वाले युवाओं को नई दिशा मिलेगी।