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Wednesday 22 April 2020 03:30:07 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के आश्वासन और केंद्र सरकार से तत्काल उच्चस्तरीय प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए एवं कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को निर्बाध रूपसे बनाए रखने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आज अपना प्रस्तावित विरोध कार्यक्रम वापस ले लिया है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हिंसा मारपीट और पथराव से क्षुब्ध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने विरोध कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इस मामले पर आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से डॉक्टरों और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से बातचीत की, जिससे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधि संतुष्ट और आश्वस्त हुए और उन्होंने अपना विरोध कार्यक्रम वापस ले लिया।
गृहमंत्री अमित शाह ने आईएमए के प्रतिनिधियों से बातचीत में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में डॉक्टरों की अहम भूमिका की भी सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि सभी डॉक्टर इस लड़ाई में हिम्मत और समर्पित रूपसे काम करना जारी रखेंगे, जैसाकि वे अबतक करते आ रहे हैं। उन्होंने कोविड-19 से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए उनके जज़्बे और बलिदान को नमन किया। गृहमंत्री ने उनकी सुरक्षा के बारे में सभी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आश्वासन दिया कि नरेंद्र मोदी सरकार उनके हितों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। गृहमंत्री अमित शाह ने स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि हम डॉक्टरों के सभी मुद्दों और चिंताओं का पूरा संज्ञान ले रहे हैं, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी आवश्यक इंतज़ाम किए जाएंगे।
गृहमंत्री अमित शाह ने डॉक्टरों से अपील की थी कि वे इस समय अपना प्रस्तावित प्रतीकात्मक विरोध न करें, क्योंकि यह राष्ट्रीय और वैश्विक हित में नहीं है। केंद्र सरकार से तत्काल उच्चस्तरीय प्रतिक्रिया और केंद्रीय गृह एवं स्वास्थ्यमंत्रियों के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को निर्बाध रूपसे बनाए रखने के लिए प्रस्तावित विरोध वापस ले लिया है। वीडियो कॉंफ्रेंस में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, गृह सचिव, वरिष्ठ चिकित्सक और नीति आयोग के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। गौरतलब है कि देशभर में डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मी उपचार और पुलिस एवं अन्य सुरक्षाबल लॉकडाउन की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए दिनरात एक कर रहे हैं, लेकिन एक समुदायके कुछ लोग हैं, जो उनपर हमले कर रहे हैं। इसी से क्षुब्ध होकर आईएमए ने विरोध प्रस्तावित किया था।