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Friday 3 July 2020 04:11:00 PM
लेह (लद्दाख)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सवेरे अचानक लेह-लद्दाख में चीन के सामने खड़ी भारत की सेना के बीच पहुंचकर न केवल सेना और देश को भी अभिभूत कर दिया, बल्कि चीन की धुकधुकी भी तेज कर दी, जो हमेशा से भूमाफिया की तरह विस्तारवाद में जीता आ रहा है। चीन के साथ कभी भी जंग को तैयार खड़ी भारतीय सेना अपने बीच प्रधानमंत्री को देखकर भारी उत्साह से लबरेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तरह से सेना और देश का जो मनोबल बढ़ाया है, उसकी दुनियाभर में चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री ने सेना के जवानों के बीच कहा कि भारत के दुश्मनों ने हमारे सैनिकों की आग और उनमें रोष को देखा है। उन्होंने कहा कि हाल के सप्ताहों में भारतीय सशस्त्र बलों की अनुकरणीय बहादुरी के कारण दुनिया ने भी भारत की ताकत पर ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की शांति के प्रति प्रतिबद्धता को भारत की कमजोरी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया है, यह विकास का युग है। प्रधानमंत्री ने सेना का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि सीमा अवसंरचना पर व्यय को तीन गुना बढ़ा दिया गया है।
युद्ध के मैदान में कमांडर या सेनाध्यक्ष को अपने बीच देखकर कोई भी सेना उत्साहित होती है, ऐसे ही जब देश का प्रधानमंत्री उसके बीच आ पहुंचे तो देश के लिए मर मिटने के जज्बे की कोई सीमा नहीं रह जाती है, ऐसा ही दृश्य आज लद्दाख के निमू में देखने को मिला। सेना का मनोबल और भी ज्यादा हिलोरें मारने लगा जब अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी दो माताएं हैं जिनमें एक भारत माता है और दूसरी माता वह है, जिसने हमारे वीर सपूतों यानी जवानों को जन्म दिया है। प्रधानमंत्री ने बार-बार अपनी सेना का हौसला बढ़ाते हुए दुश्मन चीन का नाम लिए बिना उसे कूटनीतिक भाषा में कड़ा संदेश दिया। गौरतलब है कि लद्दाख का टकराव बातचीत से हल करने की कोशिश की जा रही है, तथापि भारतीय सेना चीन के किसी भी आक्रमण का कड़ा जवाब देने और चीन को पीछे धकेलने के लिए उसका हर प्रकार से सामना करने को तैयार खड़ी है। भारत की वायुसेना थलसेना और जलसेना इस समय हाई अलर्ट पर हैं और ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लेह लद्दाख जाना इस बात का प्रमाण है कि भारत पूरी दृढ़ता के साथ चीन से मुकाबले को खड़ा हुआ है। चीन को यह भरोसा नहीं था कि भारत लद्दाख में इतनी दृढ़ता से सामना कर सकेगा, भारत की सेना चीन के सामने नहीं झुक रही है, भले ही चीन की भारत से ज्यादा मजबूत सैन्य शक्ति है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस समय लेह में लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और सैन्याधिकारियों के साथ भारतीय सैनिक चौकियों और सैन्य छावनियों का अवलोकन कर रहे थे, उस समय भारतीय सेना के लड़ाकू जहाज और हेलीकॉप्टर लेह लद्दाख के आसमान पर मुस्तैद होकर उड़ रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही साफ कर चुके हैं कि भारत किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा। चीन भी यह जान चुका है उसे ही पीछे हटना होगा क्योंकि वह भारत से युद्ध करके विश्वसमुदाय में अपनी हैसियत खत्म नहीं करना चाहता है, मगर उसने हेकड़ी में भारत से पंगा ले लिया है, जिसके परिणामस्वरूप विश्वसमुदाय भी भारत के साथ आ खड़ा हुआ है। जापान ऑस्ट्रेलिया अमेरिका इजरायल ताइवान वीयतनाम आदि देशों के अपने सैन्य लश्करों सहित चीन के खिलाफ भारत के साथ खड़े होने के बयान आ रहे हैं और वे किसी भी समय चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार खड़े हैं। देखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे अवसरों पर अपनी जिम्मेदारियों को और भी कुशलता से निभाते हैं। प्रधानमंत्री का अपनी सेना के बीच लेह लद्दाख पहुंचना न केवल सेना के उत्साह को बढ़ाता है, बल्कि इससे देश का भी मनोबल ऊंचा हुआ है। भारत में विपक्ष जिस प्रकार चीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीतियों पर उंगली उठाता आ रहा है उसे भी आज करारा जवाब मिला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं भी एक सैनिक की तरह चीन के खिलाफ मोर्चे पर पहुंचे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निमू में भारतीय सैनिकों से बातचीत की और लेह में सेना के अस्पताल जाकर सैनिकों का हालचाल पूछा, उन्हें संबोधित करते हुए उनकी बहादुरी की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने आज सवेरे सबसे पहले भारतीय सैनिकों के साथ बातचीत करने के लिए लद्दाख में निमू पहुंचे। निमू सिंधु नदी के किनारे पर है। प्रधानमंत्री ने भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की और फिर सेना, वायुसेना एवं आईटीबीपी के अधिकारियों और जवानों के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री ने गलवान में जवानों के शौर्य की प्रशंसा करते हुए शहीद जवानों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत माता के प्रति हमारे जवानों का साहस और समर्पण अद्वितीय है, हमारे सशस्त्र बल राष्ट्र की रक्षा के लिए सीमा पर खड़े हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के हफ्तों में सशस्त्र बलों की अनुकरणीय बहादुरी के कारण, दुनिया ने भारत की ताकत पर ध्यान दिया है। प्रधानमंत्री ने भारत माता के उन सभी गौरवशाली पुत्रों को याद किया, जिन्होंने गलवान घाटी में सर्वोच्च बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि लेह-लद्दाख, कारगिल सियाचिन ग्लेशियर हो, चाहे वह ऊंचे पहाड़ हों या नदियों में बहने वाला बर्फीला ठंडा पानी, यहां शौर्यपूर्वक डंटे रहना भारत की सशस्त्र सेनाओं की वीरता का प्रमाण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को संबोधित करते हुए कहा कि शांति के लिए हमारी प्रतिबद्धता हमारी कमजोरी नहीं है, शांति मित्रता और साहस के गुण प्राचीनकाल से भारत की संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने याद किया कि भारत ने हमेशा शांति और प्रगति के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश करने वालों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहाकि भारत शांति और मित्रता के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन शांति के लिए इस प्रतिबद्धता को भारत की कमजोरी के रूपमें नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भारत मजबूत हो रहा है, चाहे वह नौसैनिक हो, वायु शक्ति, अंतरिक्ष शक्ति और हमारी सेना की ताकत। उन्होंने कहा कि हथियारों के आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के उन्नयन ने हमारी रक्षा क्षमताओं को कई गुना बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री ने याद किया कि भारतीय सैनिकों का वैश्विक सैन्य अभियानों में बहादुरी और क्षमता का एक लंबा इतिहास है, जिसमें दो विश्व युद्ध शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विस्तारवाद का समय अब समाप्त हो गया है, यह विकास का युग है। उन्होंने कहाकि विस्तारवाद की मानसिकता ने बहुत नुकसान किया हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के प्रयासों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत की सेनाओं और भारत की सुरक्षा तैयारियों के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने सीडीएस के निर्माण, भव्य राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण, दशकों के बाद ओआरओपी को पूरा करने और सशस्त्र बल के जवानों के परिवारों की भलाई सुनिश्चित करने की सरकार की हालिया पहलों पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने लद्दाख की संस्कृति की महानता और साथ ही कुशोक बकुला रिम्पोछे की महान शिक्षाओं को याद किया। उन्होंने लद्दाख को बलिदानियों की भूमि और कई देशभक्तों की भूमि के रूपमें वर्णित किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के लोग गौतम बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरित हैं, जिनका इतिहास साहस दृढ़ता विश्वास और करुणा से जुड़ा है। प्रधानमंत्री के साथ लद्दाख के सांसद जम्यांग सेरिंग नामग्याल भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने लद्दाख के निवासियों की देश और देश की सेना के प्रति सहयोग और समर्पण की दिल खोलकर प्रशंसा की। इस समय लद्दाख में वहां के निवासियों में चीन के प्रति गहरा रोष व्याप्त है और यहां का हर नागरिक युवतियों और युवाओं में चीन से लड़ने का जोश दिखाई दे रहा है।