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Thursday 19 November 2020 02:00:26 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुख्यालय धरोहर भवन नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में तमिलनाडु सरकार की मूर्ति शाखा को भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और देवी सीता की कांस्य मूर्तियां सौंपी। इससे पहले 15 सितंबर 2020 को लंदन में वहां की मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने ये कांस्य मूर्तियां भारतीय उच्चायोग को सौंपी थीं। वर्ष 1958 में किए गए फोटो प्रलेखन के अनुसार ये मूर्तियां तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के आनंदमंगलम में श्री राजगोपाल विष्णु मंदिर (विजयनगर काल में निर्मित मंदिर) की हैं। तमिलनाडु पुलिस की मूर्ति शाखा की जांच के अनुसार ये मूर्तियां 23/24 नवंबर 1978 को श्री राजगोपाल विष्णु मंदिर से चुराई गई थीं। ये कांस्य मूर्तियां भारतीय धातु कला की उत्कृष्ट कृतियां हैं और इनकी लंबाई क्रमशः 90.5 सेंटीमीटर, 78 सेंटीमीटर और 74.5 सेंटीमीटर है। शैली के हिसाब से ये मूर्तियां 13वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की हैं।
मूर्तियां सौंपने के कार्यक्रम में राज्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से अब तक विदेश से भारत में कुल 40 पुरावशेष वापस लाए गए हैं, जबकि 2014 से पहले वर्ष 1976 के बाद से इस तरह के केवल 13 पुरावशेष वापस लाए गए थे। उन्होंने इन मूर्तियों को देश में लाने की खातिर किए गए निरंतर प्रयासों के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, तमिलनाडु सरकार की विशेष मूर्ति शाखा, राजस्व आसूचना निदेशालय और लंदन में भारतीय उच्चायोग को बधाई दी। गौरतलब है कि इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट ने अगस्त 2019 में भारतीय उच्चायोग लंदन को सूचित किया था कि तमिलनाडु में विजयनगर काल में बने एक मंदिर से चुराई गईं श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां भारत से तस्करी करके ब्रिटेन लाई गई हैं।
धातु की मूर्तियों का फोटो प्रलेखन जून 1958 में तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के आनंदमंगलम में श्री राजगोपाल विष्णु मंदिर में किया गया था, जहां श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की मूर्तियां 1958 तक मंदिर में थीं और बाद में चोरी हो गईं। संबंधित रिकॉर्ड के साथ मूर्तियों का सत्यापन करने के बाद यह मामला लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस की कला और प्राचीन इकाई के साथ-साथ तमिलनाडु पुलिस की मूर्ति शाखा के सामने उठाया गया। तमिलनाडु पुलिस की मूर्ति शाखा ने एक व्यापक रिपोर्ट भेजी, जिसमें पुष्टि की गई थी कि मूर्तियों की चोरी श्री राजगोपाल विष्णु मंदिर से 23/24 नवंबर 1978 को हुई थी और बाद में अपराधी भी पकड़े गए थे। तस्वीर के आधार पर इन मूर्तियों की जांच की गई और पाया गया कि ये सभी मूर्तियां श्री राजगोपाल विष्णु मंदिर से चुराई गई मूर्तियां ही थीं।
तमिलनाडु पुलिस की मूर्ति शाखा ने आइएफपी फोटो संग्रह के साथ मूर्तियों का मैच करने को लेकर विशेषज्ञ राय भी प्रदान की। जांच के बाद भारतीय उच्चायोग लंदन के पास एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई। लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस की कला और प्राचीन इकाई ने मामले की जांच की और उन्हें प्रदान की गई जानकारी और दस्तावेजों के आधार पर मूर्तियों के मालिक से संपर्क किया और मूर्तियों को वापस लौटाने के भारतीय उच्चायोग के अनुरोध से अवगत कराया, उन्हें बताया गया कि प्रथम दृष्टया ये मूर्तियां भारत के एक मंदिर से चोरी की गई मूर्तियां लगती हैं, इसके बाद मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने 15 सितंबर 2020 को भारतीय उच्चायोग को ये मूर्तियां सौंप दी थीं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, तमिलनाडु सरकार की विशेष मूर्ति शाखा और भारतीय उच्चायोग लंदन के निरंतर प्रयासों से ये मूर्तियां अब देश में वापस आ गई हैं।
संस्कृति राज्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के स्मरणोत्सव समारोह के एक हिस्से के रूपमें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन, भारतीय परंपराएं, विरासत एवं संस्कृति, पर्यटन विकास और प्रोत्साहन तथा राष्ट्रीय महत्व से जुड़े विषयों जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली एजेंसियों एवं आवेदकों को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर 2020 से 15 अगस्त 2021 तक एएसआई के विभिन्न स्मारकों में शूटिंग एवं फोटोग्राफी के लिए शुल्क के भुगतान में छूट दी जाएगी, इसके लिए उनको ऑनलाइन आवेदन करना होगा। मूर्ति सौंपने के कार्यक्रम में संस्कृति मंत्रालय, एएसआई और तमिलनाडु सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।