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Wednesday 8 September 2021 01:40:24 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गंगापुरम किशन रेड्डी और राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने आईजीएनसीए नई दिल्ली में डॉ उत्पल के बनर्जी की पुस्तक 'गीत गोविंद: जयदेव डिवाइन ओडिसी' का विमोचन किया। इसके साथ ही पुस्तक 'गीत गोविंद' पर प्रदर्शनी और 'बुजुर्गों की बात- देश के साथ' कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया गया। 'बुजुर्गों की बात-देश के साथ' कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं और उन बुजुर्गों के बीच संवाद को बढ़ाना है, जो 95 साल और उससे अधिक उम्र के हैं और आजादी से पहले भारत में लगभग 18 साल बिताए हैं। कृष्ण थीम पर प्रदर्शनी में अंबर, कांगड़ा सहित विभिन्न चित्रकला स्कूलों से चित्रों के संग्रह को प्रदर्शित किया गया है। मूल रूपसे 'गीत गोविंद' 12वीं शताब्दी में कवि जयदेव ने लिखी थी।
जी किशन रेड्डी ने इस अवसर पर कहा कि भारत युवाओं का देश है, जो हमेशा अपने बड़ों से सीखने केलिए तैयार रहते हैं, चाहे वह गुरु-शिष्य परंपरा हो, परिवार या काम में बड़ों की भूमिका हो, भारतीयों ने हमेशा अपने बड़ों से सीखा-समझा है, इसलिए बुजुर्गों की बात-देश के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि यह एक अनूठा कार्यक्रम है, जहां देश के युवा पुरानी पीढ़ी और 95 साल या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों के साथ समय बिताएंगे और उनसे बातचीत करेंगे तथा वे इस वीडियो को अपलोड करेंगे और संस्कृति मंत्रालय उन्हें एकीकृत करेगा, बातचीत का वीडियो 60 सेकेंड से कम होना चाहिए, जिसे www.rashtragaan.in पर अपलोड किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में बुजुर्गों को शामिल करने का यह एक शानदार तरीका है। संस्कृति राज्यमंत्री ने कहा कि युवाओं की ऊर्जा और बड़ों का अनुभव देश को आगे ले जा सकता है और 2047 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के तहत देश को और शक्तिशाली बना सकता है।
संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने परिवार के महत्व पर प्रकाश डाला और युवाओं से परिवार के बुजुर्गों की उपेक्षा न करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के विकास से परिवार का विकास होता है और जब परिवार विकसित होता है तो समाज आगे बढ़ता है और एक विकसित समाज समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करता है। जी किशन रेड्डी ने कहा कि पद्मश्री उत्पल बनर्जी की पुस्तक गीत गोविंदम-ए डिवाइन ओडिसी 12वीं शताब्दी के महान कवि जयदेव की पुस्तक का पहला तुकबद्ध अनुवाद है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में गीत गोविंदम जप, पाठ, पारंपरिक संगीत, शास्त्रीय नृत्य, लघु चित्रकला और जटिल मूर्तिकला के माध्यम से समय की कसौटी पर खरा उतरा है तथा अंग्रेजी में अनुवाद करके हम अपनी संस्कृति और विरासत की बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं। उन्होंने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि हमारी संस्कृतियां और परंपराएं तभी फलेंगी-फूलेंगी जब हम इसे दुनिया के साथ साझा करेंगे। उन्होंने कहा कि जयदेव के कृष्ण और राधा मनुष्य के रूपमें देवता हैं, जो मानवीय भावनाओं को दर्शाते हैं।