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Saturday 11 June 2022 01:38:35 PM
धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश के केंद्रीय विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहाकि उन्हें भारत की शिक्षित, अनुशासित एवं संकल्पशील युवाशक्ति के विवेक पर पूरा भरोसा है और शिक्षा किसीभी देश के निर्माण की आधारशिला होती है, इसलिए शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो न केवल छात्रों में बौद्धिक क्षमता और कौशल का विकास करे, बल्कि उनके नैतिक मूल्य और चरित्र को भी सुदृढ़ बनाए। उन्होंने कहाकि जोभी देश विश्व में अग्रणी रहे हैं, उनकी उन्नति में युवाओं की महती भूमिका रही है। उन्होंने कहाकि शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी किसीभी समाज के विकास केलिए एक महत्वपूर्ण मानदंड है। राष्ट्रपति ने कहाकि यह जानकर प्रसन्नता हैकि पदक विजेताओं में बेटियों की संख्या बेटों की तुलना में दोगुनी है, अभी हाल मेंही आए सिविल सर्विसेस परीक्षा में पहले तीन स्थान हमारी बेटियों ने हासिल किए हैं, इससे यह भी अनुमान होता हैकि समान अवसर मिलने पर हमारी बेटियों की उपलब्धियां बेटों की तुलना में कहीं अधिक होती हैं और इस तथ्य में हमारे देश एवं समाज के विकसित स्वरूप की झलक भी दिखाई देती है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छात्रों से कहाकि उनके जैसे युवाओं के समक्ष कई क्षेत्रों में अवसर उपलब्ध हैं तथा भारत के युवाओ में इन अवसरों का लाभ उठाने की क्षमता है, आवश्यकता इस बात की हैकि वे अपनी क्षमताओं में विश्वास बनाए रखें तथा आगे की ओर अग्रसर होते रहें। उन्होंने कहाकि दीक्षांत समारोह उनकी औपचारिक शिक्षा पूरी करने का एक अवसर है, लेकिन सीखना उनके जीवनभर जारी रहेगा, उन्हें हर कदम पर, हर किसी से सीखने केलिए तैयार रहना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि छात्रों को हमेशा यह स्मरण रखना चाहिएकि उन्होंने अभी तक जो कुछ उपलब्धि अर्जित की है, उसमें समाज ने किसी न किसी प्रकार से जरूर योगदान दिया है, यह उनपर समाज का ऋण है, उन्हें इसके लिए भुगतान करने केलिए तैयार रहना चाहिए, वे इसका भुगतान कैसे करेंगे, कब करेंगे, यह उनपर निर्भर करता है। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें भारत की शिक्षित, अनुशासित तथा दृढ़ निश्चयी युवा शक्ति की बुद्धिमत्ता पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहाकि हिमाचल प्रदेशवासी गर्व का अनुभव कर सकते हैंकि नीति आयोग के जारी किएगए एसडीजी इंडेक्स 2020-21 के अनुसार उच्चतर माध्यमिक स्तर पर G.E.R. की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश का देश में सर्वोच्च स्थान है और क्वालिटी एजुकेशन के मानक पर प्रदेश का भारत में दूसरा स्थान है।
हिमाचल प्रदेश के केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यांवयन पर राष्ट्रपति ने कहाकि विश्वविद्यालय ने इसकी अनुशंसाओं को कार्यांवित करने केलिए कई पहल की है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृ-भाषाओं के संरक्षण और विकास पर विशेष बल दिया गया है, हिमाचल प्रदेश मेंभी अनेक स्थानीय भाषाएं और बोलियां हैं, सराइकी भाषा केलिए सराहनीय कार्य करनेवाले भाषासेवी विद्यानंद सराइक को इसी वर्ष राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहाकि इस विश्वविद्यालय को कुलाधिपति हर महेंद्रसिंह बेदी का मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है, इसीवर्ष उन्हें राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री से सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हुआ था और उनके नेतृत्व में यह संस्थान आगे बढ़ रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सक्षम नेतृत्व से हिमाचल प्रदेश तथा यहां के सभी शिक्षण संस्थान विकास पथ पर निरंतर अग्रसर रहेंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विश्वास जताया कि इन पहलों से छात्रों में नए कौशल, ज्ञान तथा क्षमता का विकास होगा और वे आत्मनिर्भरता तथा राष्ट्रप्रथम की भावना केसाथ जीवन में आगे बढ़ेंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि हिमाचल प्रदेश के केंद्रीय विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के 12 वर्ष पूरे कर लिए हैं, विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ को सक्रिय बनने तथा अपने वार्षिक या द्विवार्षिक मिलन का आयोजन करने का यह बिल्कुल सही समय है। उन्होंने कहाकि किसी भी संस्थान का पूर्व छात्र अपने संस्थान केलिए विशेष लगाव महसूस करता है, इसलिए पूर्व छात्र संघ इस भावना को संस्थान केलिए एक उपयोगी स्वरूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। दीक्षांत समारोह में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, छात्र-छात्राएं, शिक्षक और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।