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Monday 24 June 2013 10:10:41 AM
नई दिल्ली। खराब मौसम के बावजूद सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा राहत बल और सीमा सड़क संगठन की राहत और बचाव गतिविधियां निरंतर जारी हैं, हालांकि हवाई अभियान खराब मौसम की वजह से कुछ बाधित हुआ है। सेना ने आज 1,375 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया, जिनमें से 368 लोग हरसिल से और बाकी बद्रीनाथ से थे। शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्तियों को उत्तरकाशी तक पहुंचाने के लिए उत्तर काशी से हरसिल तक के मार्ग तैयार कर दिए गए हैं। उत्तर काशी के बाद वाहनों से ले जाने की व्यवस्था है। भारतीय वायुसेना ने हरसिल से 1095 लोगों को निकालने के लिए धरासू से 115 और शिमला से 20 हवाई दौरे किए, मगर खराब मौसम की वजह से अभियानों में काफी बाधा पहुंची है।
आईटीबीपी ने बद्रीनाथ से 450 लोगों और गंगोत्री-मनेरी क्षेत्र से 267 लोगों को सुरक्षित निकाला है। आईटीबीपी ने भैरो चट्टी क्षेत्र की पूरी तरह से खोजबीन कर ली है और इसके बाद यह सुनिश्चित किया है कि वहां कोई जीवित व्यक्ति अब नहीं है। एनडीआरएफ ने आज हरसिल से 120 लोगों को बचाया। केदारनाथ क्षेत्र से मिले शवों को स्थानीय पुलिस के हवाले कर दिया गया है। एनडीआरएफ ने भी यह पुष्टि की है कि केदारनाथ और भैरो चट्टी क्षेत्र में कोई जीवित व्यक्ति अब नहीं है। सीमा सड़क संगठन तिलबाड़ा और रूद्रप्रयाग के बीच मार्ग को खोलने के लिए लगातार अभियान जारी रखे हुए है। गुप्तकाशी से टिहरी के मार्ग को भी खोल दिया गया है।
उत्तराखंड में राष्ट्रीय आपदा राहत बल और भारत तिब्ब्त सीमा पुलिस ने आज केदारनाथ, जंगल चट्टी, गौरीकुंड, गुप्तकाशी, सोनप्रयाग, भैरव चट्टी और गाड्डी में तलाशी अभियान चलाकर 59 लोगों को बचाया। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा राहत बल और भारत तिब्बत सीमा पुलिस-आईटीबीपी ने लुटेरों से 1,14,83,360 रूपये भी जब्त किए। राष्ट्रीय आपदा राहत बल ने मानव रहित विमानों की मदद से केदारनाथ की धुरी के पूरे इलाके में दुर्गम स्थानों पर जीवित बचे लोगों की तलाश की।
एनडीआरएफ राहत सामग्री के वितरण में नागरिक प्रशासन की मदद के अलावा तलाशी और बचाव अभियानों में अब तक 5941 लोगों को बचा चुका है और उसने 125 शव निकाले हैं। आईटीबीपी के दो सौ से अधिक विशेषज्ञ पर्वतारोही दल ने लांबागाड में अलकनंदा नदी पर तीन रस्सियों की मदद से रोप ब्रिज बनाया है। इससे पीड़ितों को सुरक्षित निकालने का काम तीन गुना बढ़ गया है। आज दिन में 12 बजे तक, आईटीबीपी ने रोप ब्रिज के ज़रिए लगभग 500 यात्रियों को बचा लिया है।
पेट्रोलियम विभाग ने भारतीय वायुसेना और स्थानीय लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एटीएफ और एलपीजी के साथ अन्य आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति का दावा किया है। इसी प्रकार बीएसएनएल ने केदारनाथ, धारचूला, अगस्त मुनि और नारायणबगार के चार टॉवरों के अलावा अपने सभी टॉवरों को फिर से बहाल कर दिया है। वहां 72 टेलीफोन एक्सचेंजों में से 44 की बहाली कर दी गई है और 75 सेटेलाइट फोन काम कर रहे हैं। राहत कार्य में शामिल एजेंसियों के उपयोग के लिए अन्य 25 को हांगकांग से आयात किया जा रहा है। बीएसएनएल हेल्पलाइन नंबरों पर लापता लोगों की स्थिति को जानने के लिए बड़ी संख्या में कॉल आई हैं। समान हेल्प लाइन सेवाओं के लिए निजी दूरसंचार संचलाकों को भी लगाया जा चुका है।
उधर रेल मंत्रालय ने 15 दिन तक (25 जून से 9 जुलाई 2013) राहत सामग्री जैसे खाद्य पदार्थ, दवाएं, कपड़े, बर्तन और निर्माण सामग्री आदि निशुल्क उत्तराखंड पहुंचाने का निर्णय लिया है। राहत सामग्री संबद्ध जिले के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को भेजी जाएगी। भेजने वाली संस्था अथवा व्यक्ति को यह प्रमाण पत्र साथ में देना होगा कि वह राहत सामग्री जनता ने दान में दी धनराशि से खरीदी गई है, उसका भुगतान सरकार अथवा उससे संबद्ध इन संस्था ने नहीं किया है। राहत सामग्री के खोने अथवा क्षति पहुंचने पर तब तक रेलवे पर कोई दावा नहीं किया जा सकेगा, जब तक यह स्पष्ट रूप से साबित नहीं हो जाए कि वैसा रेलवे की जानबूझ कर की गयी लापरवाही से हुआ है। रेलवे आज रात 10 बजे से हरिद्वार से दिल्ली के लिए एक ट्रेन भी चला रहा है।
केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों की मदद के लिए अपना एक माह का वेतन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में सौंप दिया है। उन्होंने अपने मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों के कर्मचारियों और देश के नागरिकों से भी अपील की है कि वे उत्तराखंड में आपदा से प्रभावित लोगों की मदद के लिए उदारता से सहयोग करें। उन्होंने कहा कि इस मानवीय कदम से निश्चित रूप से औरों को भी इस मुद्दे पर यथासंभव सहयोग करने की प्रेरणा मिलेगी।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री के चिरंजीवी ने लोगों से आगे आकर उत्तराखंड में बाढ़ पीड़ितों के लिए सहयोग करने की अपील की है। उन्होंने आंध्र प्रदेश के परिवहन मंत्री बोत्सा सत्यनारायण के साथ हैदराबाद में उत्तराखंड में चारधाम की यात्रा के दौरान लापता तीर्थयात्री के घर जाकर उनके परिवार से मुलाकात की और अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। चिरंजीवी ने कहा कि वह अपने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) कोष से एक करोड़ रूपए का योगदान करेंगे और अपने एक महीने का वेतन बाढ़ पीड़ितों को देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार बचाव कार्यों और पीड़ितों के कल्याण पर लगातार नज़र रख रही है।
भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों से अपने प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्यरत सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उद्यमों को निर्देश देने का आग्रह किया है कि वे अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व और निरंतरता संबंधी गतिविधियों के अंतर्गत उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्यों की जिम्मेदारी लें। मंत्री ने उत्तराखंड में अभूतपूर्व बाढ़ की स्थिति और उससे जान और माल के व्यापक नुकसान के मद्देनजर आज यह बात कही। सार्वजनिक उद्यम विभाग ने इसके लिए एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया है। इसका अर्थ है कि सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उद्यम इस मद में अब ज्यादा खर्च कर सकते हैं। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री राहत कोष या राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उद्यमों का योगदान कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व और निरंतरता संबंधी गतिविधियां मान्य गतिविधियां मानी जाएंगी।