स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 18 April 2015 04:28:16 AM
गुवाहाटी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र प्रधान ने असम में ऑयल इंडिया लिमिटेड के दुलियाजन, ऑयल इंडिया लिमिटेड, इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के डिगबोई संयंत्रों, डिब्रूगढ़ के ब्रह्मपुत्र क्रैकर्स एंड पॉलिमर्स लिमिटेड (बीसीईएल), ओएनजीसी के नजीरा और जेलेकी प्रतिष्ठानों, नुमालीगढ़ के नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) और गुवाहाटी में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन की रिफाइनरी का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने संयंत्रों और प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों, श्रमिक संगठनों और स्थानीय समुदाय समेत सभी पक्षों से बातचीत की।
धर्मेंद्र प्रधान ने असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई से भी गुवाहाटी में मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री को पूर्वोत्तर के हाइड्रोकार्बन क्षेत्र की सभी धाराओं में निवेश बढ़ाने के केंद्र के फैसले की जानकारी दी। केंद्र की इस पहल से पूर्वोत्तर में तेल की खोज और इससे जुड़ी गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी, साथ ही पीएनजी नेटवर्क का विस्तार होगा और दूरदराज के इलाकों में एलपीजी समेत सभी पेट्रोलियम उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। धर्मेंद्र प्रधान ने पूर्वोत्तर और खासकर असम में हाइड्रोकार्बन सेक्टर की सभी गतिविधियों की समीक्षा की। इस दौरान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सभी उच्च अधिकारी और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण वाले सभी सार्वजनिक उपक्रमों के चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक और पूर्वोत्तर में इस क्षेत्र में सक्रिय सभी निजी कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
यह पहला मौका था, जब पूरे तेल और गैस सेक्टर के उच्च अधिकारी पूर्वोत्तर में इक्ट्ठा हुए थे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस निर्देश पर विचार-विमर्श हुआ कि 2022 तक पेट्रो उत्पादों पर देश की निर्भरता 10 प्रतिशत कम करने के लिए पूर्वोत्तर में तेल और गैस उत्पादन पर भारी निवेश करना होगा। धर्मेंद्र प्रधान ने इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पूर्वोत्तर में हाइड्रो कार्बन सेक्टर पर एक दृष्टि पत्र तैयार करने के लिए अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है। यह दृष्टि पत्र जुलाई 2015 तक तैयार हो जाएगा। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पूर्वोत्तर का विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। सरकार का मानना है कि भारत के संतुलित विकास के लिए पूर्वोत्तर का तेजी से और बेहतर तरीके से विकास करना जरूरी है।