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Thursday 23 June 2016 05:37:11 AM
लंदन/ नई दिल्ली। भारत सरकार के केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने पिछले सप्ताह के शुरूआत में लंदन में आयोजित 5वीं भारत-ब्रिटेन विज्ञान और नवाचार परिषद (एसआईसी) की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। बैठक में ब्रिटेन के विश्वविद्यालय और विज्ञान मंत्री जो जॉनसन सह अध्यक्ष थे। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि भारत और ब्रिटेन ने सौर गठबंधन तथा नेनो सामग्री अनुसंधान के क्षेत्र में मिलकर काम करने की सहमति व्यक्त की है। एसआईसी शीर्ष निकाय है, जो भारत-ब्रिटेन के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग के संपूर्ण क्षेत्र को देखता है और दो वर्ष में एक बार इसकी बैठक होती है। एसआईसी की पिछली बैठक नवंबर 2014 में नई दिल्ली में हुई थी, जिसमें दोनों देशों ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग में सहायता के लिए न्यूटन-भाभा कार्यक्रम का शुभारंभ किया था।
भारत-ब्रिटेन अनुसंधान और विकास सहयोग के लिए कई भारतीय और ब्रिटेन की एजेंसियों का वर्तमान में निवेश 200 मिलियन पाउंड्स से अधिक का हो गया है। भारत के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग करने वाले शीर्ष तीन देशों में से एक ब्रिटेन है। डॉ हर्षवर्धन ने जानकारी दी कि सौर ऊर्जा के लिए प्रतिबद्धता के रूप में सौर ऊर्जा पर भारत-ब्रिटेन नेटवर्क सेंटर की स्थापना की जाएगी, इसे भारत के नवीकरणीय ऊर्जा मिशन और ब्रिटेन के सुपरजेन कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। अनुसंधान परियाजनाओं में प्रणाली स्तर के डिजाइन और सौर ऊर्जा पैदा करने, संग्रहण प्रणाली तथा ग्रिड इटीग्रेशन विशेषरूप से माइक्रो ग्रिड प्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। न्यूटन-भाभा कार्यक्रम के तहत 5 वर्ष की अवधि में भारत 50 करोड़ रुपये का निवेश करेगा और इतनी ही राशि का योगदान ब्रिटेन अनुसंधान परिषद भी करेगा।