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केमृजसंअनुप्रसं ने नवप्रवर्तक दिवस मनाया

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Friday 01 March 2013 06:58:57 AM

nav parvartak day

देहरादून। केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान देहरादून में 28 फरवरी को प्रक्षेत्र नवप्रवर्तक दिवस मनाया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक डॉ पीके मिश्रा एवं अध्यक्षता डॉ आरके अवस्थी, प्रभागाध्यक्ष, मासंवि एवं सावि प्रभाग ने की। इस प्रक्षेत्र नवप्रवर्तक दिवस में उत्तराखंड के तीन जनपदों के 12 गावों से लगभग 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया। इन किसानों ने संस्थान के वैज्ञानिकों से सीधे विचार-विमर्श किया तथा बिना प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास करते हुए खेतों में उत्पादकता वृद्धि हेतु मृदा एवं जल संरक्षण प्रौद्योगिकियों के विषय में जानकारी प्राप्त की। केमृजसंअनुप्रसं प्राकृतिक संसाधन प्रबंध के क्षेत्र में पिछले 58 वर्षों से किसानों को तकनीकी जानकारियां उपलब्ध कराने से लेकर विभिन्न श्रेणियों के कार्यकर्ताओं हेतु बड़ी संख्या में क्षमता विकास कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। इसी प्रक्रिया में, संस्थान ने किसानों के खेतों पर कई प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिससे उत्तराखंड के बहुत से किसानों को आधुनिक कृषि के नवीनतम विचारों को अपनाने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस वर्ष संस्थान द्वारा 12 प्रगतिशील किसानों को किसान सम्मान से सम्मानित किया गया है, जिन्होंने अपनी भूमि पर संस्थान में विकसित मृदा एवं जल संरक्षण प्रौद्योगिकियों को अपनाया है।
संस्थान के निदेशक डॉ मिश्रा ने तेजी से क्षरित होते मृदा एवं जल जैसे प्राकृतिक संसाधनों की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसान समुदाय के व्यापक लाभ हेतु प्रौद्योगिकियों को सहभागिता आधार पर उन्नत बनाने पर बल दिया। उन्होंने पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंध के क्षेत्र में एक आदर्श स्थापित कर सकता है, जो कि केवल पर्वतीय क्षेत्रों के लिए ही नहीं बल्कि मैदानी क्षेत्रों के लिए भी लाभप्रद होगा, क्योंकि मैदानी भागों का पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर्वतीय क्षेत्रों पर निर्भर करता है।
इस अवसर पर डॉ अवस्थी प्रभागाध्यक्ष मासंवि एवं सावि ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली तथा केमृजसंअनुप्रसं, देहरादून किसानों को प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करने वाली बहुत सी तकनीकें विकसित की गई हैं, जिनको अपनाने से किसानों को तो लाभ पहुंचेगा ही साथ राष्ट्र की आमदनी भी बढे़गी तथा कृषि एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभर कर सामने आयेगा। संस्थान के अन्य प्रभागाध्यक्षों डॉ जीपी जुयाल, डॉ ओपी चतुर्वेदी एवं डॉ एनके शर्मा ने संस्थान में विकसित प्रौद्योगिकियों पर किसानों के साथ अपने विचार बांटे। इस कार्यक्रम का समन्वयन डॉ बांके बिहारी प्रधान वैज्ञानिक ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ डीवी सिंह प्रधान वैज्ञानिक ने किया।

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