Sunday 7 October 2018 01:13:56 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली। भारतीय निर्वाचन आयोग के छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनाव कार्यक्रम 2018 की घोषणा करने के साथ ही इन तीनों राज्यों में चुनावी घमासान शुरू हो गया है। निर्वाचन आयोग ने जैसे ही चुनाव कार्यक्रम घोषित किए, भारतीय राजनीति में लगभग सभी दलों के नेता प्रवक्ता विकास के मुद्दे को छोड़कर तू-तू मै-मै पर उतर आए हैं। समाचार टीवी चैनलों की ब्रेकिंग शाम होते-होते राजनीतिज्ञों की बदज़ुबानी चरम पर पहुंच चुकी थी। समाचार चैनलों पर 'ज़हरीली डिबेट' में जहां प्रवक्तागण एक-दूसरे पर ज़हरीली उल्टियां कर रहे थे, वहीं एक समाचार चैनल एनडीटीवी ने तो तीनों राज्यों का चुनाव परिणाम सर्वे पेश करते हुए चुनाव परिणाम घोषित कर दिए। एनडीटीवी के हिसाब से तो भाजपा तीनों जगह सत्ता से बाहर हो गई है। कुछ और चैनल भी चुनाव की दुकान लगाते देखे गए हैं और इस कोशिश में नज़र आ रहे हैं, ताकि राजनीतिक दल उनको चुनाव के बाज़ार की कीमत चुकाएं। कोई चैनल सत्तारूढ़ भाजपा का सूपड़ा साफ कर रहा है और कोई भाजपा को स्वीप करा रहा है। बहरहाल देश की जनता को अब से सात दिसंबर तक राजनीति दलों और मीडिया के कुछ चैनलों का वीभत्स रूप देखने को मिलेगा।
अपवाद को छोड़कर इन दो दशक में किसी भी समाचार पत्र या समाचार चैनल का चुनावी सर्वे सच्चाईयों पर खरा उतरते हुए नहीं देखा गया। कुछ समाचार चैनल तो झूंठ की हदें ही पार करते देखे गए हैं, जिससे जनसामान्य का इनके विश्लेषणों पर कोई भी भरोसा नहीं बचा है। भारत में इन समाचार चैनलों ने काफी हद तक अपनी विश्वसनीयता खोई है। तीन राज्यों में चुनाव घोषित हुए तीन घंटे भी नहीं बीते थे और एनडीटीवी की मेधावी टीम ने किसी के सर्वे से अपने को जोड़ते हुए चुनाव परिणाम ही घोषित कर दिए? कम से कम चुनाव आयोग को गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए, जो जनमानस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर निष्पक्षता को प्रभावित कर रहे हैं। चुनाव आयोग को इन चुनावों पर टीवी चैनलों की डिबेट भी प्रतिबंधित करनी चाहिए, क्योंकि चैनलों पर राजनीतिक दलों के नेता-प्रवक्ता लोगों को भड़काने गुमराह करने और अभद्र भाषा का प्रयोग कर दर्शकों को घटियास्तर का कंटेंट परोस रहे हैं। कहने वाले यहां तक कह रहे हैं कि यह एक ब्लैकमेलिंग है, जिसमें अनेक समाचार चैनल और नेता प्रवक्ता शामिल हैं और वे घोषित रूपसे चुनाव की निष्पक्षता को प्रभावित कर रहे हैं।
भारतीय निर्वाचन आयोग के चुनाव आचार संहिता के अनुपालन को लेकर साफ दिशा-निर्देश हैं, लेकिन देखा गया है कि उनका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित नहीं हो पाता है। पेड न्यूज़ की कोई परिभाषा है भी तो उसपर भी कड़ाई से संज्ञान नहीं पाया गया है। उत्तर भारत के भाजपा शासित तीन प्रमुख राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पर पूरे देश की नज़र है और इन चुनावों के परिणाम आगामी लोकसभा चुनाव से जोड़े जा रहे हैं, इसलिए यहां राजनीतिक दलों से ज्यादा मीडिया की सक्रियता ज्यादा दिखाई दे रही है। यहां किसकी सरकार बनेगी और कौन सत्ता से बाहर होगा, इसपर खूब बहस हो रही है। यह सही है कि सत्तारूढ़ राजनीतिक दल जनाकांक्षाओं पर खरे उतरने को लेकर विवादों में हैं, लेकिन यह भी सही माना जाता है कि किसी भी राजनीतिक दल के साथ ऐसा होता आया है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा बार-बार लौट रही है, जबकि मीडिया का एक वर्ग हरबार यहां भाजपा की पराजय का विश्लेषण पेश करता आया है। समाचार चैनलों की डिबेट में देखा गया है कि किस प्रकार से किसके पक्ष में जनता को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। जनसामान्य में आज जितनी चर्चा राजनीतिज्ञों और राजनीतिक दलों की करतूतों की होती आ रही है, उतनी ही मीडिया की भी चर्चा होती है। भारत में मीडिया का एक वर्ग अपने स्वार्थवश जैसे पूरे मीडिया की ईमानदारी और निष्पक्षता को मटियामेट करने पर तुला है। इसका लाभ देश की नौकरशाही उठा रही है, जिसमें भ्रष्ट नाकारा और अहंकारी लोगों का बोलबाला है। इन चुनावों में भी ये मुद्दे कहीं नहीं हैं। इससे जनसामान्य में काफी निराशा है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 12 नवंबर और 20 नवंबर को दो चरण में चुनाव होंगे, मध्यप्रदेश और मिजोरम में 28 नवंबर को मतदान होगा, वहीं राजस्थान और तेलंगाना में 7 दिसंबर को चुनाव कराए जाएंगे। सभी पांच राज्यों में 11 दिसंबर को मतों की गिनती की जाएगी। निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक में 3 लोकसभा और 2 विधानसभाओं के लिए भी चुनावों की घोषणा की है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि सभी राज्यों में चुनाव के लिए सुरक्षा और व्यवस्था के लिए पूरी तैयारियां कर ली गई हैं, साथ ही इसबार आधुनिक मतदाता मशीन का प्रयोग किया जाएगा, जिससे निष्पक्ष चुनाव हो सकेंगे, साथ ही चुनाव में दिए जाने वाले शपथपत्र को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार बदला जाएगा, जिसमें आपराधिक पक्ष की सभी सूचनाएं पार्टी और उम्मीदवार के स्तरपर देना अनिवार्य होगा। चुनाव आयोग मतदाताओं को ज्यादा से ज्यादा बूथ तक ले जाने के लिए उन्हें हरबार की तरह इस बार भी सुविधाएं देने जा रहा है, जिसमें दिव्यांगों को बूथ तक जाने के लिए वाहन की सुविधा दी जाएगी। भारतीय निर्वाचन आयोग ने जानकारी दी है कि तेलंगाना के राज्यपाल ने 6 सितंबर 2018 के अपने एक आदेश के तहत तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया था। निर्वाचन आयोग को इन विधानसभाओं में आम चुनाव उनके मौजूदा कार्यकाल की समाप्ति से पहले या विधानसभा भंग किए जाने की अवधि के छह माह के भीतर कराने हैं।
निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनाव कराने से पहले सभी प्रासंगिक पहलुओं जैसे मौसम अकादमिक सत्र, बड़े त्योहारों, राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति, केंद्रीय पुलिस बलों की उपलब्धता और इनके आने जाने में लगने वाले समय तथा समय पर खास ध्यान रखा है। निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया से जुड़े सभी पक्षों से सक्रिय सहयोग और सहभागिता का आग्रह किया है, ताकि पांचों राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र शांतिपूर्वक एवं सहभागी तरीके से हो सकें। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में 12 नवंबर और 20 नवंबर को मतदान होगा। मध्य प्रदेश और मिजोरम में एक ही चरण में 28 नवंबर को तथा राजस्थान एवं तेलंगाना में सात दिसंबर को मतदान होगा। सभी जगह 11 दिसंबर को मतगणना होगी। चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही इन राज्यों में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है। चुनाव आचार संहिता के सभी प्रावधान प्रत्याशियों, राजनीतिक दलों और मीडिया के चुनाव विश्लेषणों पर लागू हो गए हैं। इन राज्यों में किसी भी तरह की घोषणा अथवा नीति संबंधी फैसले नहीं होंगे। चुनाव आयोग ने चेतावनी दी है कि चुनाव को किसी भी प्रकार से प्रभावित करने और आचार संहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग कड़ाई से निर्णय लेगा।