स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 31 December 2018 03:41:58 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि कोई भी समाज साहित्य के बिना अधूरा होता है। उन्होंने कहा कि सही मायने में देखा जाए तो साहित्य समाज का आईना होता है, समाज में जो भी घटित हो रहा होता है, उसे लेखक, साहित्यकार कई विधाओं के माध्यम से लोगों के सामने प्रस्तुत करता है। राज्यपाल ने कहा कि जैसे आत्मा एवं शरीर का संबंध होता है, उसी प्रकार का संबंध साहित्य एवं समाज का होता है। राज्यपाल राम नाईक ने ये विचार उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ के 42वें स्थापना दिवस पर पुरस्कार वितरण समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हिंदी भारत के 10 से अधिक प्रदेशों में बोली एवं पढ़ी जाती है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा पूरे भारत में एक दृष्टि से देखी एवं पहचानी जाती है, इसलिए लेखकों एवं प्रकाशकों को इसका लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि हिंदी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व के कई देशों में भी बोली जाती है।
राज्यपाल राम नाईक ने लेखकों एवं साहित्यकारों से अधिक से अधिक हिंदी भाषा में लिखने को कहा, जिससे हिंदी भाषा का अधिक प्रचार-प्रसार हो। राम नाईक ने कहा कि ऐसे लेख, कहानी एवं साहित्य की रचना की जाए, जिससे स्वयं को आनंद मिलने के साथ ही दूसरों को भी पढ़कर आनंद मिले। उन्होंने कहा कि जब अपनी किसी रचना को सम्मान मिलता है तो लेखकों एवं साहित्यकारों को स्वयं पर गर्व का अनुभव होता है। राम नाईक ने कहा कि उन्होंने भी 80 साल पुराने मराठी दैनिक सकाल के सम्पादक की सलाह पर ‘चरैवेति!चरैवेति’ संस्मरण लिखा है। उन्होंने कहा कि मुझे राज्यपाल के पद पर रहने से जो प्रतिष्ठा मिली उससे भी अधिक प्रतिष्ठा अपनी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति’ से मिली है। राज्यपाल ने कहा कि इस पुस्तक का अबतक 10 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है, ये भाषाएं मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, उर्दू, संस्कृत, सिंधि, अरबी, फारसी तथा जर्मन हैं।
राज्यपाल राम नाईक ने पुरस्कार वितरण समारोह का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलित करके किया और 68 से अधिक लेखकों, साहित्यकारों को विभिन्न विधाओं पर लिखने पर सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में आचार्य देवेंद्र देव, देवेंद्र देव मिर्जापुरी, कन्हैयालाल चंचरीक, बृजनाथ श्रीवास्तव, अभिनव अरुण, डॉ रविशंकर पांडेय, डॉ सरोजनी अग्रवाल, सूर्यनाथ सिंह, रामनगीना मौर्य, डॉ अलका प्रकाश, अनुप शुक्ल, एमआई राजस्वी, आलोक सक्सेना, डॉ उमाशंकर शुक्ल शितिकंठ, डॉ ओमप्रकाश शुक्ल अमिय, शिवमूर्ति सिंह, डॉ दयाराम वर्मा बैचेन और शीला पांडेय प्रमुख थीं। समारोह में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ सदानंद प्रसाद गुप्त ने राज्यपाल को शॉल एवं स्मृति देकर सम्मानित किया। समारोह में प्रमुख सचिव भाषा जितेंद्र कुमार, हिंदी संस्थान के निदेशक शिशिर और वित्त एवं लेखा अधिकारी निवास त्रिपाठी भी उपस्थित थे।