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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में योजना आयोग की पूर्ण बैठक को संबोधित करते हुए कहा है कि 11वीं योजना के अंतिम वर्ष की अभी शुरूआत हुई है और यही उचित समय है कि 12वीं योजना के लिए रणनीतियों को सुनिश्चित कर लिया जाए। यह बैठक 12वीं योजना के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई थी जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ प्रमुख मुद्दों के हल के लिए योजना आयोग से एक रूपरेखा तैयार करने को कहा था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 12वीं योजना के अंत तक करीब 8.2 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि की संभावना है, हालांकि यह नौ प्रतिशत के लक्ष्य से कम है, लेकिन वैश्विक आर्थिक मंदी के साथ-साथ भयंकर सूखे को देखते हुए इस अवधि में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि व्यापक समग्रता के लक्ष्य के प्रति भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। नामांकन के स्तर में वृद्धि हुई है और लिंग अंतर में कमी आ रही है। बाल मृत्यु दर में भी कमी आई है, हालांकि यह सच्चाई है कि इस क्षेत्र में प्रगति लक्ष्य से कम हुई है, लेकिन भविष्य में इसे और बेहतर किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि संबंधित आकड़ों की उपलब्धता सीमित होने के कारण सामाजिक, आर्थिक विकास में प्रगति को मापने की भी एक समस्या है। उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन पर अधिकांश विचार-विमर्श 2004-05 के आंकड़ों पर आधारित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2009-10 के वर्तमान आंकड़े हाल ही में उपलब्ध हुए हैं, जिनसे 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान गरीबी उन्मूलन में हुई प्रगति को अधिकारिक तौर पर मापा जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि 12वीं योजना का कार्यान्वयन इस आधार पर होना चाहिए कि क्या प्राप्त किया और अगले पांच वर्षों में और बेहतर क्या करना है। इसका उद्देश्य त्वरित, ज्यादा समग्र और दीर्घकालीन विकास होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने उर्जा, जल और शहरीकरण से संबंधित चुनौतियों की समीक्षा के लिए योजना आयोग को खासतौर पर ध्यान देने को कहा है, किसी भी योजना का एक जटिल मुद्दा संसाधनों की उपलब्धता भी है, इस संबंध में योजना आयोग और वित्त मंत्रालय को संसाधनों की उपलब्धता पर मिलकर काम करना चाहिए, जो 12वीं योजना के लिए उपलब्ध हों।