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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने 2011 की जनगणना के ग्रामीण शहरी जनसंख्या वितरण के आंकड़ों का विमोचन किया। उन्होंने 2011 की जनगणना का डैशबोर्ड भी विमोचित किया। यह जानकारी योजनाकारों और नीति निर्माताओं के लिए बहुत उपयोगी है। इससे जनसंख्या के ग्रामीण और शहरी विभाजन और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इसकी वृद्धि के बारे में जानकारी मिलती है। यह ग्रामीण और शहरी लिंगानुपात और बाल लिंगानुपात की भी जानकारी प्रदान करेगा। इसके अलावा, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की साक्षरता दर भी इससे उपलब्ध होगी।
जनगणना में, देश के पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक हर व्यक्ति की जानकारी का संग्रह पूरी गिनती के आधार पर किया जाता है। ग्रामीण और शहरी जनसंख्या के वितरण का आंकड़ा शहरीकरण के स्तर और रुझान की जानकारी प्रदान करता है। ग्रामीण-शहरी आबादी के लिए नीतियां और योजनाएं, खासकर, आगामी 12वीं योजना अवधि के लिए मूल स्वरूप तैयार करने में यह बहुत उपयोगी होगा। इस अवसर पर भारत सरकार के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने प्रस्तुत आंकड़ों पर प्रकाश डाला।
सन् 2011 की जनगणना दो चरणों में की गई। पहला मकान सूचीकरण और आवास गणना और इसके बाद जनसंख्या गणना। मकान सूचीकरण और आवास की जनगणना में सभी संरचनाएं, घर और परिवार शामिल थे और इसमें अप्रैल से सितंबर 2010 के दौरान विभिन्न राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में आवास स्टॉक, घरेलू सुविधाओं और संपत्ति आदि की जानकारी एकत्र कर उन्हें सूचीबद्ध किया गया। जनसंख्या गणना 9 से 28 फरवरी 2011 के बीच की गई थी। एक से पांच मार्च 2011 तक इसका पुनरीक्षण दौर आयोजित किया गया। सन् 2011 की जनगणना अनंतिम जनसंख्या के आंकड़े 31 मार्च 2011 को जारी किए गए।