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यूरोप में आईएमएफ की भूमिका का समर्थन

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जी-२० बैठक /g-20 summit

कान। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कान में जी-20 शिखर सम्‍मेलन में यूरोप में स्थिरता लाने के लिए आईएमएफ की भूमिका का समर्थन किया है। उन्‍होंने कहा कि इस समस्‍या से निपटने की प्रमुख जिम्‍मेदारी यूरोजोन देशों की है, लेकिन यूरोजोन की छाया विश्‍व के बाकी देशों पर भी पड़ने का खतरा है, और हमारे लिए भी यह चिंता का विषय है। उन्‍होंने कहा कि  यूरोजोन देशों में लंबे समय तक अनिश्चितता और अस्थिरता हम सभी को संकट में डाल सकती है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष को स्थिति पर पैनी नजर रखनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्राकोष से प्रभावकारी भूमिका अदा करने का आह्वान करते हुए कहा कि आईएमएफ को उन विकासशील देशों की नकदी की जरूरतों को भी ध्‍यान में रखना चाहिए, जो संकट के केंद्र में नहीं हैं।
उन्‍होंने कहा कि भारत अधिक विकास दर हासिल करने के लिए कदम उठा रहा है, वर्तमान वित्तीय वर्ष में हमारी अर्थव्‍यवस्‍था की गति धीमी हो गई थी और सकल घरेलू उत्‍पाद की दर 7.6 और 8 प्रतिशत के बीच होने की उम्‍मीद है। बाजार-अर्थव्‍यवस्‍था वाले भारत को भी मुद्रास्‍फीति का सामना करना पड़ रहा है, हमें उम्‍मीद है कि मुद्रास्‍फीति को कम करके हम उच्‍च विकास दर हासिल कर लेंगे।प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 देशों को आयकर संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए तत्‍काल सहमत होना चाहिए। कर चोरी और अवैध लेन-देन से विकासशील देशों का ध्‍यान बाहर के देशों में खिसक जाता है, इससे गंभीर समस्‍याएं खड़ी हो जाती हैं। जी-20 को इस तरह की गतिविधियां रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिएं।

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