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नई दिल्ली। नवाचार एवं कौशल विकास पर भारत-ब्रिटेन गोल मेज सम्मेलन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि आज की दुनिया ज्ञान अर्थव्यवस्था है, इसलिए कोई राष्ट्र या संगठन अपने आप आगे नहीं बढ़ सकता। राष्ट्रों, संस्थानों और संगठनों को नेटवर्क की जटिल प्रणाली के अंग के रूप में एक दूसरे से जुड़ने की आवश्यकता है। कपिल सिब्बल ने कहा कि आर्थिक संसाधनों ने 20वीं सदी की उपलब्धियों को तो परिभाषित किया, लेकिन 21वीं सदी की प्रारंभिक कहानी को मानव संसाधन निर्धारित करेंगे। उन्होंने कहा कि आज की चुनौती अतीत की चुनौतियों से भिन्न हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था वित्तीय प्रवाह और व्यापार से नहीं बल्कि वैश्विक, सहयोगात्मक ज्ञान नेटवर्क से परिभाषित होगी।
कपिल सिब्बल ने कहा कि नवाचार 21 वीं सदी में राष्ट्रीय एवं वैश्विक वृद्धि, रोजगार, प्रतियोगिता और अवसरों को साझा करने का इंजन है, इसलिए भारत सरकार ने 2010-2020 को नवाचार दशक के रूप में घोषित किया है। देश में नवाचार की रूपरेखा तैयार करने के लिए तथा समावेशी नवाचार के मॉडल के कार्यान्वयन की संभावना को हकीकत में बदलने के लिए प्रधानमंत्री ने 2010 में राष्ट्रीय नवाचार परिषद का गठन किया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नवाचार परिषद ने विश्वविद्यालय शोध संबंधी उद्यमिता की मदद करने के लिए अनेक सिफारिशें की हैं, विशेष क्षेत्रों पर ध्यान देने के लिए क्षेत्रीय नवाचार परिषद भी बनाई गई हैं।