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देहरादून। राज्य बाल कल्याण परिषद् की पदेन अध्यक्ष एवं उत्तराखंड की राज्यपाल मार्गेट आल्वा की अध्यक्षता में परिषद की आम सभा की दसवीं वार्षिक बैठक में बच्चा गोद लिए जाने के संदर्भ में वर्तमान में प्रचलित प्रक्रिया को बच्चों के हित में अपर्याप्त मानते हुए व्यापक विचार-विमर्श के बाद एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि राज्य में चाइल्ड एडॉप्शन (बच्चा गोद लेने) की प्रक्रिया को कानूनी रूप देने के लिए राज्य तथा केंद्र के दिशा-निर्देशों के परिप्रेक्ष्य में संस्तुतियां तैयार की जाएं। संस्तुतियां तैयार करने का कार्य परिषद् के आजीवन सदस्य बीके माहेश्वरी को दिया गया है, जो शीघ्र ही राज्यपाल के सम्मुख संस्तुतियों का प्रारूप प्रस्तुत करेंगे, तत्पश्चात् उसे आवश्यक कार्यवाही हेतु शासन को भेजा जाएगा।
बैठक में राज्यपाल ने कहा कि यह परिषद् निर्धन, असहाय, तथा गली-कूचों में कूड़ा बीनने वाले (रैकपिकर्स) बच्चों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा तथा भरण-पोषण की समुचित व्यवस्था करके उन्हें एक भावनात्मक संबल देने के उद्देश्य से गठित है, अपवंचित वर्ग के बच्चों की कल्याण संबंधी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सदस्यों की सक्रियता व समर्पण भाव से सभी आवश्यक संसाधनों की पूर्ति संभव है। परिषद् की समस्त गतिविधियां बच्चों के कल्याण पर ही केंद्रित करनी हों, इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी, विशेषज्ञ, सक्रिय व समर्पित स्वयंसेवियों को परिषद् का आजीवन सदस्य बनाकर सदस्यता संख्या में वृद्धि का प्रयास करना होगा। बैठक में वर्ष के अंत तक सदस्यों की वर्तमान संख्या को 245 से बढ़ाकर 300 करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
सामान्य सुविधाओं से वंचित वर्ग के बच्चों के कल्याण के प्रति जनसामान्य व संपन्न वर्ग को संवेदनशील बनाते हुए उनका सहयोग प्राप्त करने की दृष्टि से राज्यपाल ने कहा कि बच्चों के बनाये गये स्लोगन, चित्र, पोस्टर या ग्रीटिंग कार्डस की व्यवस्थित बिक्री से प्राप्त धनराशि न केवल बाल कल्याणकारी योजनाओं को विस्तार देने में सहायक होगी, अपितु बच्चों को अपनी प्रतिभा, कल्पनाशीलता व ऊर्जा को प्रदर्शित करने का भी अवसर मिलेगा। उन्होंने विगत बैठक में स्वेच्छा से विशेष रोग से पीड़ित बच्चों के नियमित उपचार के लिए विभिन्न स्तर पर आवश्यक सहयोग करने का वचन देने वाले सदस्यों का विवरण प्राप्त कर बाल कल्याण परिषद् के विशेष सहयोगी सदस्यों, संस्थाओं, स्वयंसेवियों का आभार व्यक्त करने, उन्हें सम्मान देने व प्रोत्साहित करने के लिए परिषद् की पत्रिका तथा वार्षिक रिपोर्ट में उनका उल्लेख करने को कहा। बैठक में बच्चों में सृजनात्मकता बढ़ाने हेतु कंप्यूटर प्रशिक्षण व अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के प्रशिक्षण के लिए उपलब्ध संसाधनों का बेहतर प्रबंधन व उपयोग करने पर बल दिया।
परिषद् की बैठक में बच्चों व महिलाओं की सभी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शासन स्तर पर एक ही नोडल विभाग होने, शिशु गृहों को आंगनबाड़ी केंद्रों में आवश्यकतानुसार परस्पर समायोजित करने, बंद हो चुके शिशु गृहों के कर्मियों को रिक्त आंगनबाड़ी पदों में तैनाती देने तथा बच्चों को निःशुल्क/स्वैच्छिक शिक्षण सेवा देने वालों को मानदेय देने सम्बन्धी व्यवस्था पर भी चर्चा हुई। बैठक में प्रमुख सचिव राज्यपाल अशोक, अपर सचिव सचिन कुर्वे, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एस राजू, अपर सचिव आईसीडीएस अमित नेगी, उपाध्यक्ष लोक सेवा अभिकरण तथा परिषद् के उपाध्यक्ष डॉ आईएस पाल, कोषाध्यक्ष डॉ कुसुम नैथानी, महासचिव डॉ पुष्पा मानस, नरेंद्र बहुगुणा, माधुरी नेगी, कमलेश्वर भट्ट, बालकृष्ण डोभाल आदि उपस्थित थे।