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कैथल। हरियाणा। कृषि विभाग की तरफ से बिरथे बाहरी गांव में किसान पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला में मौजूद महिला किसानों को डॉ ओमप्रकाश ने कपास की फसल में होने वाली मिली-बग व अन्य बीमारियों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिली-बग सबसे पहले पौधे के ऊपर के हिस्से में आता है और नियंत्रण न होने पर पूरे पौधे में फैल जाता है। जिस पौधे में मिली-बग आया हुआ है, उस पौधे को छूने और उस पौधे को हिलाने से भी बचें। पौधे का निरीक्षण दूर से करें, क्योंकि पौधे हिलाने-डुलाने से मिली-बग अन्य स्वस्थ पौधों पर फैलने का अंदेशा ज्यादा होता है।
उन्होंने बताया कि मिली-बग को समाप्त करने वाला कीट अनासियस होता है, जो कि मिली-बग के पेट में अंडे देता है। उस अंडे से जो जीव बनता है, वह मिली-बग के पेट को फाड़कर बाहर निकलता है और मिली-बग मर जाता है, इसलिए मिली-बग आने पर छिड़काव की जरूरत नहीं होती। इस दौरान कृषि विशेषज्ञ डॉ दयानंद रेडू ने किसानों को बताया कि किस मौसम में कौन-कौन से कीटों का आक्रमण होता है। उन्होंने कीटों के निदान हेतु प्राकृतिक तरीके अपनाने बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यदि कीटनाशक का छिड़काव करना अनिवार्य है तो उसकी और पानी की पूरी मात्रा में छिड़काव करें।
यह पाठशाला पिछले 14 सप्ताह से लगाई जा रही है, जिसमें किसान पूरी दिलचस्पी के साथ फसलों से संबधित समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए भारी संख्या में पहुंचते हैं। पाठशाला में अनुसूचित जाति की महिला किसानों की उपस्थिति पहली बार देखने में आ रही है। सभी महिला किसान कृषि विशेषज्ञों से हासिल जानकारी का अपने खेतों में सदुपयोग कर रही हैं। पाठशाला में डॉ राजेंद्र, फील्डमैन कर्ण सिंह, दिलावर सिंह के अलावा महिला किसान महेंद्र कौर, सपना, कृष्णा, मनजीत कौर, सीमा रानी, कमला रानी आदि ने भाग लिया।