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शतरंज में भारत: महारत की छाप

मनमोहन हर्ष

शतरंज-chess

आलमी शतरंज की महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर भारतीय शतरंज के बिसात पर बढ़ते रूतबे की बानगी नूतन वर्ष की प्रथम महत्वपूर्ण स्पर्धा में एक बार फिर देखने को मिली। पुरूषों की विश्व टीम स्पर्धा में पहली बार मोहरे लड़ाने उतरे भारतीय शातिरों ने बिसात के 64 खानों पर अपनी महारत की अमिट छाप अंकित करते हुए देश के लिए कांस्य पदक अर्जित किया। रूस ने स्पर्धा में स्वर्ण और अमेरिका ने रजत पदक जीता।
तुर्की के शहर बुर्सा में पिछले दिनों हुई इस विश्व स्पर्धा में चीन के आखिरी समय में नाम वापस लेने के कारण भारत को ऐन मौके पर शामिल किया गया। ग्रांडमास्टर कृष्णन शशि किरण के नेतृत्व में बिना किसी पूर्व तैयारी के देश के उदीयमान युवा ग्रांड मास्टरों सूर्य शेखर गांगुली, पी हरिकृष्णा, जीएन गोपाल और एस अरूण प्रसाद के साथ राष्ट्रीय चैंपियन बी अभिदान को भारत का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। आलमी शतरंज के कई दिग्गज और बेहद चर्चित सितारों की मौजूदगी से सज्जित विश्व की दस चोटी की टीमों की चुनौती के समक्ष भारत की इस युवा ब्रिगेड ने पदार्पण पर ही तीसरा स्थान हासिल करने की उपलब्धि ही संचित नहीं की बल्कि कई मायनों में विजेता रूस और उप-विजेता अमेरिका सहित सभी टीमों को पीछे छोड़ते हुए अपनी ताकत का लोहा मनवाया।
विश्व टीम स्पर्धा में केवल भारत की टीम ही ऐसी थी, जिसने आखिर में अनवरत तीन दौर के मुकाबले जीतकर विशिष्ट प्रदर्शन किया। स्पर्धा में भारत के अलावा अन्य कोई देश लगातार तीन दौर मे जीत से महरूम रहा। इसके साथ ही प्रतियोगिता में सबसे अधिक अंतर से जीत दर्ज करने का श्रेय भी भारत को हासिल हुआ, जब उसने अंतिम दौर में ब्राजील को 3.5-0.5 से पराजित किया। इससे पहले भारत ने ग्रीस को 2.5-1.5 से हराकर शानदार आगाज करने के बाद अजरबेजान (2.5-1.5), मेजबान तुर्की (3-1), मिस्र (2.5-1.5) व इजराईल (2.5-1.5) के विरूद्ध मुकाबले जीते।
विश्व रेटिंग में पांच नंबर के खिलाड़ी और वर्ष 2009 के विश्व रेपिड शतरंज चैंपियन लेवोन एरोनियन के नेतृत्व में इस स्पर्धा में उतरी ओलम्पियाड विजेता आर्मेनिया की भारी भरकम टीम को भारत ने 5 वें दौर में बराबरी पर रोककर सभी को हतप्रभ कर दिया। इस महत्वपूर्ण भिड़ंत में भारतीय टीम के कप्तान शशिकिरण ने शीर्ष बोर्ड पर लेवोन एरोनियन के खिलाफ बिसात बिछाई। एरोनियन के मुकाबले विश्व रेटिंग में 59 पायदान नीचे होने के बावजूद शशिकिरण (आलमी नंबर-64, 2664 ईलो रेटिंग) ने 22 वीं चाल में ही एक पैदल जीतकर हासिल की गई बढ़त की स्थिति को 69 चालों के संघर्ष में जीत में बदलकर ही दम लिया। ग्रांडमास्टर हरिकृष्णा एकोपियन के विरूद्ध अपनी बाजी गंवा बैठे, जीएन गोपाल ने 104 चालों तक मैराथन मुकाबले में एक और नामी आर्मेनियाई ग्रांडमास्टर टिगरान पेट्रोसियन को ड्रा पर रोका, सूर्यशेखर गांगुली की बाजी भी सर्गिसियान से बराबरी पर छूटी। भारत को अमेरिका (दूसरा दौर, 1-3) और रूस (छठा दौर, 1.5-2.5) के विरूद्ध पराजय का सामना करना पड़ा। कुल मिलाकर भारत ने 9 दौर में 13 अंक लेकर अमेरिका के साथ संयुक्त रूप से दूसरा स्थान हासिल किया, मगर टाईब्रेकर में उसे तीसरा स्थान पर संतोष करना पड़ा।
विश्व टीम स्पर्धा में शतरंज ओलम्पियाड की तरह ही चार बोर्ड्स पर दो देशों के मुकाबले में टीमों के चार-चार खिलाड़ी आपस में मुकाबला करते हैं। उनके समेकित दमखम पर ही किसी टीम की हार और जीत का दारोमदार रहता है। भारत की ओर कप्तान शशिकिरण ने अग्रिम मोर्चे से अगुआई करते हुए सभी 9 मुकाबलों में शिरकत की और 5.5 अंक अर्जित कर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। सूर्यशेखर गांगुली ने 7 दौर में 5, हरिकृष्णा ने 8 दौर में 4, जीएन गोपाल ने 5 दौर में 3, अरूण प्रसाद ने 5 दौर में 2.5 और अभिदान ने 2 बाजियों में एक अंक अर्जित कर भारत के इस यादगार पदार्पण में योगदान दिया।
एक वह जमाना था, जब केवल मात्र एक ग्रांडमास्टर विश्वनाथन आनंद की चुनौतियों के रण में विश्व बिसात पर मौजूदगी के कारण भारत की पहचान थी। लेकिन कालांतर में गत दो दशकों में धीरे-धीरे प्रगति करते हुए आज भारत ने जो खास मुकाम बना लिया है, वह बेमिसाल है। अकेले दम पर भारत को आलमी शतरंज में स्थापित करने के लिए आनंद के लम्बे संघर्ष की पृष्ठभूमि में देश में शतरंज की नई संस्कृति ने जन्म लिया। आज देखते ही देखते हालात इतने समृद्ध और सुखद हो गए हैं कि बात चाहे पुरूष या महिला वर्ग की- की जाए, चहुं ओर भारतीय शातिरों के बढ़ते वर्चस्व का बोलबाला है। जहां विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद अपने खिताब की रक्षा के लिए इस वर्ष अप्रैल माह में वेसेलिन टोपालोव से मोहरे लड़ाएंगे, वहीं व्यक्तिगत स्तर पर बाल स्पर्धाओं से लेकर जूनियर और अन्य प्रतिष्ठित विश्व स्पर्धाओं में अन्य भारतीय शातिरों के दमखम वाले प्रदर्शन और उपलब्धियां सुखिर्यों में रहेंगी। नए साल की शुरूआत में विश्व टीम शतरंज में भारत के पदार्पण पर ही यह यादगार प्रदर्शन इसका पुख्ता प्रमाण है।

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