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Tuesday 21 May 2024 06:26:11 PM
नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के संरक्षण और सांस्कृतिक अभिलेखागार विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस-2024 पर उमंग सभागार में 'संग्रहालय और अभिलेखागार: शिक्षा केलिए एक सार्वजनिक स्थान' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की। आईजीएनसीए डीन (प्रशासन) और कला निधि विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर रमेशचंद्र गौड़ की अध्यक्षता में हुई इस संगोष्ठी का उद्देश्य इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र सांस्कृतिक अभिलेखागार केप्रति जागरुकता पैदा करना और अधिक आगंतुकों को आकर्षित करना था, जिससे छात्रों, कलाकारों और शोधकर्ताओं को लाभ हो। संगोष्ठी के वक्ताओं में एयूडी दिल्ली में डिप्टी डीन (अकादमिक) डॉ आनंदबुर्धन, अभिलेखविद् डॉ के संजय झा, आईजीएनसीए मीडिया केंद्र की उप नियंत्रक श्रुती नागपाल और आईजीएनसीए सहायक प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र बांगरू शामिल हैं।
डॉ आनंदबुर्धन ने संगोष्ठी में तर्क दियाकि एक औपनिवेशक निर्माण के तौरपर भारत में संग्रहालयों की अवधारणा दोषपूर्ण रही है। उन्होंने कहाकि भारत में प्राचीनकाल से ही कला, संस्कृति, साहित्य और ज्ञान के भंडारों को सहेजे रखने की लंबी परंपरा रही है। उन्होंने संग्रहालय बनाने और आवास कलाकृतियों केलिए विभिन्न प्रावधानों को वर्गीकृत करने के नारद शिल्प जैसे ग्रंथों का हवाला देते हुए कहाकि ये दर्शाते हैंकि भारत में संग्रहालय विज्ञान को लेकर प्रचुर ज्ञान संवाद पहले से ही मौजूद है। डॉ आनंदबुर्धन ने संग्रहालय विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान-विज्ञान प्रणाली को एकीकृत किए जाने की आवश्यकता बताई। प्रोफेसर रमेशचंद्र गौड़ ने विरासत और संस्कृति को प्रदर्शित करने में संग्रहालयों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अपनी हाल की मंगोलिया यात्रा का जिक्र किया, जहां वह राष्ट्रीय इतिहास और विरासत पर संग्रहालयों के रखरखाव को लेकर प्रभावित हुए।
प्रोफेसर रमेशचंद्र गौड़ ने ऐतिहासिक धरोहर हम्पी को लेकर एक कहानी साझा की, जिसमें उन्होंने डिजिटल संरक्षण के महत्व पर जोर दिया, विशेषतौर से जब किसी संस्कृति अथवा परंपरा के विलुप्त होने का खतरा होता है। उन्होंने संरक्षण में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हुए कहाकि इससे अतीत जीवंत हो सकता है। उन्होंने संग्रहालय शिक्षा और इसके प्रौद्योगिकी केसाथ एकीकरण के क्षेत्र में भारत के पीछे रहने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने गैलरी, लाइब्रेरी, अभिलेखागार और संग्रहालय को अलग-थलग मानने के बजाय उसके प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता जताई। प्रोफेसर रमेशचंद्र गौड़ ने इस क्षेत्र में समावेशी व्यवहारों और प्रशासनिक सिद्धांतों में बदलाव का आह्वान किया। सहायक प्रोफेसर वीरेंद्र बांगरू ने इस अवसर पर 'शिक्षा और शोध केलिए संग्रहालयों पर फिरसे विचार: आईजीएनसीए समर्थित हिमालयी क्षेत्र में संग्रहालयों पर एक अध्ययन' शीर्षक से पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें हिमालयी क्षेत्र में स्वनिर्भर संग्रहालय मॉडल की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
डॉ श्रुति नागपाल ने अपने प्रपत्र 'फिल्म संस्कृति के आसपास अभ्यास, शोध और दस्तावेजीकरण' में आईजीएनसीए के फिल्म अभिलेखागार पर विशेष ध्यान देते हुए फिल्म अभिलेखागारों के विभिन्न पहलुओं की खोज की। उन्होंने चर्चा कीकि फिल्म अभिलेखागार क्या है और आईजीएनसीए का फिल्म अभिलेखागार किस प्रकार वैश्विक कार्य प्रणाली और अनुसंधान को प्रेरित कर सकता है। अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का उद्देश्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सांस्कृतिक समृद्धि और आपसी समझ, सहयोग और शांति को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण साधन के तौरपर संग्रहालयों के बारेमें जागरुकता बढ़ाना है। इस वर्ष की विषयवस्तु 'शिक्षा और अनुसंधान केलिए संग्रहालय' समग्र शैक्षिक अनुभव प्रदान करने और एक जागरुक, टिकाऊ और समावेशी दुनिया की वकालत करने में सांस्कृतिक संस्थानों की भूमिका पर जोर देती है। संगोष्ठी में अनुप्रयुक्त संग्रहालय विज्ञान, कला इतिहास और भारतीय सौंदर्यशास्त्र के युवा विद्वानों, शोधकर्ताओं और छात्रों को आईजीएनसीए के अभिलेखागार संग्रहों के बारेमें जानकारी देकर शिक्षित करना था, जो भारतीय कला और संस्कृति के महत्व को लेकर युवा दिमाग में जगह बनाने में सफल दिखा।