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Wednesday 26 October 2016 02:09:20 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल नई दिल्ली में प्रथम राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव का शुभारंभ किया और कहा कि ऐसा पहली बार है कि जब दीपावली जैसे उत्सव पर देशभर के जनजातीय समूह के लोग दिल्ली में मौजूद हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय लोगों का जीवन ऐतिहासिक और संघर्षों से भरा है, लेकिन इसके बाद भी जनजातीय लोगों ने सामुदायिक जीवन को आत्मसात किया और वे समस्याओं के बावजूद भी प्रसन्नचित रहते हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि जनजातीय महोत्सव राष्ट्रीय राजधानी में जनजातीय समुदाय की क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार जनजातीय बस्तियों में कम से कम बाधा पंहुचाने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी जैसे भूमिगत खनन और कोयला गैसीकरण के प्रयोग के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने ग्रामीण विकास केंद्रों पर ध्यान केंद्रित करने वाले रूर्बन अभियान के संबंध में जानकारी दी।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने कहा कि उनका मंत्रालय देश में जनजातीय लोगों के संपूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय एकलव्य विद्यालयों और जनजातीय युवाओं के लिए छात्रवृत्ति द्वारा उनकी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। जुएल ओराम ने कहा कि वन बंधु कल्याण योजना मंत्रालय की एक ओर महत्वपूर्ण योजना है, जो जनजातियों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय जनजातीय उत्पादित वन उत्पादों के लिए उचित बाजार प्रदान के लिए भी समान रूप से कार्यरत है। केंद्रीय पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री अनिल माधव दवे, केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्यमंत्री जसवंतसिंह सुमनभाई भाभोर, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री सुदर्शन भगत, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू और केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री विष्णुदेव साई ने भी समारोह में भागीदारी की। उद्घाटन समारोह में देशभर के विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से आए लगभग 1200 जनजातीय कलाकारों ने परंपरागत वेशभूषा में महोत्सव परेड में भाग लिया।
राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव का आयोजन केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने जनजातीय लोगों के बीच एकीकरण करने के भाव को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किया है। महोत्सव में जनजातीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को विस्तृत रूप में प्रदर्शित किया गया है। महोत्सव का उद्देश्य जनजातीय संस्कृति, परंपरा और कौशल को संरक्षण और प्रोत्साहन प्रदान करना और इसे लोगों के सामने प्रस्तुत कर जनजातीय समुदाय के लोगों के समेकित विकास की संभावनाओं का प्रयोग करना है। चार दिवसीय महोत्सव के दौरान परंपरागत सामाजिक-आर्थिक पहलूओं पर दस्तावेजों का प्रदर्शन, कला और शिल्पकृति पर प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल, चित्रकला, परंपरागत चिकित्सा आदि गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। महोत्सव के दौरान जनजातीय लोगों से जुडे विभिन्न अधिनियमों के पहलुओं पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। महोत्सव से जनजातीय विकास को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श हेतु एक मंच प्रदान होगा। इससे जनजातीय उत्पादों जैसे वस्त्र, चित्रकला और शिल्पकृतियों को बाजार मिल सकेगा और आय-सृजन गतिविधियों और जनजातीय आजीविका पर उत्प्रेरक प्रभाव पड़ेगा।
राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव में संगीत और नृत्य के कार्यक्रम, प्रदर्शनी, शिल्पकला का प्रदर्शन, फैशन शो, चर्चा, पुस्तक मेले आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। महोत्सव में कला, संस्कृति, परंपरागत भोजन का समागम होगा और ये अनुभव और ज्ञान से भरपूर भारत के जनजातीय जीवनशैली का प्रदर्शन करेगा। कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन 26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक प्रगति मैदान के हॉल संख्या सात में किया जाएगा। इस दौरान प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हंसध्वनि थियेटर में किया जाएगा। महोत्सव में अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, तेलंगाना, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, झारखंड, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान, कर्नाटक, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और तमिलनाडु से लगभग 1600 जनजातीय कलाकार और लगभग 8000 जनजातीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त खेल, कला और संस्कृति, साहित्य, शिक्षण, औषधि आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय जनजातीय व्यक्ति भी महोत्सव में भागीदारी करेंगे।