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Sunday 24 February 2013 09:59:45 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश कॉडर के चर्चित आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के काव्य संग्रह “आत्मादर्श” का विमोचन और एक विचार गोष्ठी का रविवार को प्रेस क्लब लखनऊ में आयोजन हुआ। विचार गोष्ठी का विषय था-“आत्मादर्श के संदर्भ में आधुनिक कविता के मायने”। विचार गोष्ठी में कोई अलग से मुख्य अतिथि नहीं था, विधान परिषद पुस्तकालयाध्यक्ष अरुणेंद्र त्रिपाठी ने पुस्तक का विषय प्रवेश प्रस्तुत किया। इस मौके पर अमिताभ ठाकुर ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ प्रस्तुत किया।
वरिष्ठ समाजवादी चिंतक केसी मिश्रा और युवा समाजवादी विचारक दीपक मिश्र ने इस काव्य संग्रह में लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव और जयप्रकाश नारायण के विचार देखे और कहा कि इनमें अमिताभ ठाकुर लोहियावादी नज़र आते हैं। पूर्व डीजीपी महेश चंद्र द्विवेदी ने इनकी कविताओं की सीधी-सरल भाषा में भाव संप्रेषण की चर्चा की, जबकि पूर्व आईपीएस और कथाक्रम के संपादक शैलेंद्र सागर ने साहित्य के जन सारोकारों तथा जनता से दूर होते जाने की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। एससीईआरटी के निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने इन कविताओं को अमिताभ ठाकुर के सीधी-सरल व्यक्तित्व का प्रतिबिंब बताया।
सामाजिक सरोकार के संपादक सुभाष राय ने अमिताभ ठाकुर की कविताओं के विचार प्रभाव को उभारा। पूर्व प्रमुख वन संरक्षक एवं कवि मोहम्मद अहसन ने काव्य में काव्यात्मकता की जरूरत पर बल दिया और यही बात साहित्यकार सुभाष कुशवाहा ने भी कही, उन्होंने कहा कि अभी अमिताभ ठाकुर की कविताओं में जल्दीबाजी दिखती है, उन्हें अपने काव्य कौशल पर मेहनत करने की जरूरत है।
पीयूसीएल की वंदना मिश्रा ने अमिताभ ठाकुर की कविताओं की प्रशंसा की और आधुनिक जीवन में कविता के महत्व पर प्रकाश डाला। पत्रकार दयानंद पांडेय ने उनकी कविताओं को सत्य की प्रतिमूर्ति कहा, जबकि पत्रकार राजा रिज़वी, प्रेमेंद्र श्रीवास्तव और कुलसुम तल्हा ने हिंदी कविता का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और उन्हें संघर्षशील प्रकृत्ति का प्रतीक बताया। कार्यक्रम का संचालन विनोद शंकर मिश्रा ने किया।