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Friday 24 April 2020 04:01:20 PM
नई दिल्ली। विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस पर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कोविड पश्चात प्रकाशन परिदृश्य पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत और फिक्की के वेबिनार में भाग लिया। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि भारत ज्ञान की महाशक्ति है, अपने प्राचीन विश्वविद्यालयों, प्राचीन ज्ञान और पुस्तकों के खजाने के साथ भारत अतीत और भविष्य के बीच कड़ी है, पीढ़ियों और सभी संस्कृतियों के बीच सेतु है। प्रकाशकों और लेखकों का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया की गौरवशाली ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। देश में अध्ययन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को यह विश्वास दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि किताबें उनकी सबसे अच्छी दोस्त हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि भारत के युवाओं की संख्या कुछ पश्चिमी देशों की कुल जनसंख्या से अधिक है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि शिक्षक, लेखक, प्रकाशक और शिक्षाविद् सुनिश्चित करें कि नए भारत का सृजन करने के लिए सही ज्ञान का प्रसार किया जाए। एनबीटी के अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद प्रसाद शर्मा ने मौखिक परंपरा से हस्तलिखित चर्मपत्रों फिर मुद्रित शब्दों तक बदलते समय के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि समाज ई-लर्निंग को ज्ञान प्रसार की विधि के रूपमें स्वीकार कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने हम सभी को काफी क्षति पहुंचाई है और हमारे कार्य करने के तरीके को बदल दिया है, ऐसे में छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रकाशकों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम छात्रों और शिक्षकों के लिए ई-सामग्री के माध्यम से ज्ञान प्रदान करते रहें, प्रकाशन उद्योग की सहायता करें और कोविड के दौरान एवं उसके पश्चात एक-दूसरे की मदद करते रहें। एनबीटी के निदेशक युवराज मलिक ने कहा कि जीवन में केवल परिवर्तन ही स्थायी है और इन दिनों विश्व और प्रकाशन उद्योग जिस मुश्किल समय से गुजर रहा है और हालात सामान्य होने में लंबा समय लग सकता है, ऐसे में हमें समय की आवश्यकता को स्वीकार करना चाहिए और प्रकाशकों के रूपमें यह हमारा कर्तव्य है कि हम समाज में सूचना और ज्ञान का प्रसार करें, भले ही यह कार्य डिजिटल और ई-प्रकाशन माध्यमों के माध्यम से किया जाए।
एनबीटी के निदेशक युवराज मलिक ने कहा कि आज हम जो सृजन करेंगे वह कल के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज बन जाएगा। एनबीटी की पहल का उल्लेख करते हुए प्रतिभागियों को सूचित किया कि आनेवाले समय में मानव समाज के लिए कोरोना महामारी के असाधारण मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व को समझते हुए एनबीटी ने कोरोना के पश्चात सभी आयु-समूहों के पाठकों की जरूरतों के लिए उपयुक्त अध्ययन सामग्री को दर्ज करने और प्रदान करने के लिए 'कोरोना अध्ययन श्रृंखला' नाम से एक प्रकाशन शुरु करने की योजना बनाई है। यह सामग्री एक अध्ययन समूह तैयार कर रहा है, जिसमें अनुभवी मनोवैज्ञानिक और परामर्शदाता शामिल हैं। पहली उपश्रृंखला ‘साइको-सोशल इम्पैक्ट ऑफ कोरोना पैंडेमिक एंड द वेज़ टू कॉप' ई-संस्करण प्रारूप में है। इसके अलावा एनबीटी कोरोना वारियर्स पर बच्चों की किताबें और कोरोना के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरुकता उत्पन्न करने के लिए से संबंधित कहानी और चित्र पुस्तकें तैयार कर रहा है। कला, साहित्य, लोककथाओं, आर्थिक और समाजशास्त्रीय पहलुओं, कोरोना महामारी से उपजीविज्ञान एवं स्वास्थ्य जागरुकता और लॉकडाउन पर केंद्रित पुस्तकें भी लाई जाएंगी।
फिक्की प्रकाशन समिति के अध्यक्ष और बर्लिंगटन ग्रुप (भारत और दक्षिण पूर्व एशिया) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रत्नेश झा ने स्वागत भाषण दिया। फिक्की प्रकाशन समिति की सहअध्यक्ष और एमबीडी समूह की प्रबंध निदेशक मोनिका मल्होत्रा कंधारी, फिक्की के महासचिव दिलीप चिनॉय और फिक्की प्रकाशन समिति के सहअध्यक्ष और स्कॉलैस्टिक इंडिया प्राईवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक नीरज जैन ने कोविड पश्चात प्रकाशन उद्योग, कोरोना के बाद पढ़ने की जरूरतों, डिजिटल प्रकाशन/ ई-लर्निंग और डिजिटल प्रकाशन/ ई-लर्निंग के लिए उपलब्ध अवसंरचना के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। वेबिनार में शामिल होने के लिए भारत में 180 से अधिक प्रतिभागियों ने लॉग-इन किया, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों के प्रकाशक, लेखक, संपादक, शिक्षक, पुस्तक विक्रेता, डिजिटल सामग्री तैयार करने वाले और प्रकाशन व्यवसायी शामिल थे। वेबिनार में बढ़ती ई-लर्निंग प्रथाओं के साथ शिक्षा पर फिरसे गौर करने के तरीकों को समझते हुए प्रकाशन उद्योग के लिए कोविड पश्चात परिदृश्य और प्रकाशन, शिक्षण, सीखने के तरीकों में संभावित बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान की गई।