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Thursday 28 October 2021 01:18:43 PM
नई दिल्ली। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया ने एमओसीए में संयुक्त सचिव उषा पाधी, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव राजबीर सिंह, आईक्लास के सीईओ केकु गजदर और फिक्की के महासचिव दिलीप चिनॉय केसाथ संयुक्त रूपसे कृषि उड़ान 2.0 शुभारंभ किया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस अवसर पर कहाकि कृषि उड़ान 2.0 का उद्देश्य कृषि उपज और हवाई परिवहन के बेहतर एकीकरण और अनुकूलन से मूल्य प्राप्ति में सुधार लाने, विभिन्न गतिशील परिस्थितियों में कृषि मूल्य श्रृंखला में स्थिरता और लचीलापन लाने में योगदान देना है। उन्होंने कहाकि इस योजना में हवाई परिवहन से कृषि उत्पादों के परिवहन को सुविधाजनक बनाने और प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है।
नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहाकि कृषि उड़ान 2.0 नीति निर्माण केप्रति सरकार के सहयोगात्मक दृष्टिकोण का एक उदाहरण है और यह योजना कृषि क्षेत्र केलिए विकास के नए रास्ते खोलेगी, कृषि उपज की आपूर्ति श्रृंखला, लॉजिस्टिक और उसके परिवहन में आनेवाली बाधाओं को दूर करके किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी। भारत के आर्थिक रोडमैप यानी कृषि और विमानन के विविध क्षेत्रों के बीच सहभागिता को सुगम बनाने के प्रयास पर उन्होंने कहाकि हम ए2ए-कृषि से विमानन के मॉडल को अपनाकर अन्नदाता को उच्चतम स्तरपर ले जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि तीन प्राथमिक कारणों से दो क्षेत्रों के बीच सहभागिता संभव है-भविष्य में विमान केलिए जैव ईंधन का विकासवादी संभावित उपयोग, कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग एवं कृषि उड़ान जैसी योजनाओं से कृषि उत्पादों के अधिक एकीकरण और कृषि उत्पादों की मूल्य प्राप्ति।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि कृषि उड़ान योजना का उन्नत संस्करण भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की 100 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाली सहायक कंपनी ‘आईक्लास’ और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत भारत की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी ‘इन्वेस्ट इंडिया’ के सहयोग से तैयार किया गया है। उन्होंने कहाकि यह मुख्य रूपसे पूर्वोत्तर, पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चयनित हवाईअड्डों पर भारतीय मालवाहक और पी2सी विमानों केलिए लैंडिंग, पार्किंग, टीएनएलसी और आरएनएफसी शुल्क की पूर्ण छूट प्रदान करता है। उन्होंने कहाकि कृषि उड़ान 2.0 को देशभर के 53 हवाईअड्डों पर मुख्य रूपसे पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों पर केंद्रित किया जाएगा, इससे किसान, मालवाहकों और एयरलाइन कंपनियों को लाभ की संभावना है। उन्होंने बतायाकि नागरिक उड्डयन मंत्रालय पहले छह महीने केलिए प्रायोगिक आधार पर इस योजना को लागू करने की योजना बना रहा है और फिर हितधारकों के साथ इसके मूल्यांकन और परामर्श के परिणामों के आधार पर इसमें संशोधन किया जाएगा।
कृषि उड़ान 2.0 की मुख्य विशेषताएं हैं-हवाई परिवहन से कृषि-उत्पादों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाना और उसे प्रोत्साहित करना, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चयनित हवाई अड्डों पर भारतीय मालवाहक विमानों और पी2सी विमानों केलिए लैंडिंग, पार्किंग, टीएनएलसी और आरएनएफसी शुल्क की पूर्ण छूट, इसमें मुख्य रूपसे एनईआर, पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, हवाई अड्डों के भीतर और हवाई अड्डों के बाहर माल ढुलाई से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, हब और स्पोक मॉडल और फ्रेट ग्रिड के विकास को सुगम बनाना है। एनईआर, जनजातीय और पहाड़ी जिलों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना के तहत बागडोगरा और गुवाहाटी हवाईअड्डों और लेह, श्रीनगर, नागपुर, नासिक, रांची एवं रायपुर हवाईअड्डों पर एयरसाइड ट्रांजिट और पोतांतरण अवसंरचना बनाई जाएगी। उड़ान योजना के विस्तार हेतू मालवाहकों/ पी2सी विमानों केलिए एटीएफ पर बिक्री को एक प्रतिशत तक कम करने केलिए राज्यों का समर्थन मांगना और उन्हें प्रोत्साहन देना है। मालवाहक, एयरलाइन और अन्य हितधारकों को कृषि उत्पाद के हवाई परिवहन को बढ़ाने केलिए प्रोत्साहन और रियायतें प्रदान करने केलिए सरकारी विभागों और नियामक निकायों के साथ करार करना है।
ई-कुशल यानी सतत समग्र कृषि-रसद केलिए कृषि उड़ान का विकास। सभी हितधारकों को सूचना के प्रसार में सुविधा प्रदान करने केलिए मंच विकसित करना, इसके अलावा राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) के साथ ई-कुशाल का एकीकरण प्रस्ताव है। कृषि उड़ान 2.0 के पहले चरण केलिए कुल 53 हवाईअड्डों का चयन किया गया है, उनमें से अधिकांश का संचालन एएआई करेगा। हवाई अड्डों का रणनीतिक चयन मुख्य रूपसे पूर्वोत्तर क्षेत्र पर केंद्रित है, इसके अतिरिक्त यह उत्तर, संपूर्ण पश्चिम तट और दक्षिण भारत को कवर करता है। कृषि उड़ान 2.0 के कार्यांवयन केलिए हवाईअड्डों का चयन देशभर को लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता है। देश के चुने हुए हवाईअड्डे न केवल क्षेत्रीय घरेलू बाजार तक पहुंच प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रवेश द्वार से भी जोड़ते हैं। ई-कुशल एक एकल मंच होगा, जो प्रासंगिक जानकारी प्रदान करेगा और योजना के समन्वय, निगरानी और मूल्यांकन में भी सहायता करेगा।