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पत्रकारिता मानकों में भारी गिरावट!

'प्रामाणिकता और विश्वसनीयता पत्रकारिता की नींव है'

बेंगलुरू प्रेस क्लब की 50वीं वर्षगांठ पर बोले उपराष्ट्रपति

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 25 April 2022 04:00:58 PM

vice president spoke on the anniversary of bengaluru press club

बेंगलुरू। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मीडिया में मूल्यों के पतन को लेकर सावधान करते हुए इस बातपर जोर दिया हैकि स्वतंत्र, बंधनमुक्त एवं निडर प्रेस के बिना कोई मजबूत और जीवंत लोकतंत्र बचा हुआ नहीं रह सकता है। उन्होंने सुझाव दियाकि भारत केलिए अपने लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने को लेकर एक मजबूत, स्वतंत्र और जीवंत मीडिया की जरूरत है। उन्होंने निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ रिपोर्टिंग का आह्वान किया और कहाकि समाचारों को विचारों केसाथ नहीं मिलाया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने बेंगलुरू प्रेस क्लब की 50वीं वर्षगांठ पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहाकि जब कानून के संवैधानिक शासन को मजबूत करने की बात आती है तो स्वतंत्र एवं निष्पक्ष प्रेस, एक स्वतंत्र न्यायपालिका का पूरक होता है। उन्होंने इसका उल्लेख कियाकि अतीत में पत्रकारिता को एक मिशन माना जाता था, जिसमें समाचार पवित्र होते थे। वेंकैया नायडू ने रेखांकित कियाकि घटनाओं की निष्पक्ष और सच्ची कवरेज एवं लोगों तक उनके विश्वसनीय प्रसारण पर अच्छी पत्रकारिता आधारित होती है।
उपराष्ट्रपति ने खासा सुब्बा राऊ, फ्रैंक मोरिस और निखिल चक्रवर्ती जैसे पहले के कई प्रसिद्ध समाचार संपादकों का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि इन संपादकों ने कभीभी समाचारों पर अपने विचार को हावी होने नहीं दिया और हमेशा समाचार एवं विचार केबीच एक लक्ष्मणरेखा का सम्मान किया। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दियाकि आज के पत्रकारों को पत्रकारिता के उन दिग्गजों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और आपातकाल केदौरान बहुत योगदान दिया। उन्होंने कहाकि समाचारों को विचारों से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने मीडियाकर्मियों को सलाह दीकि वे तथ्यों से कभी समझौता न करें और उन्हें हमेशा बिना किसी डर या पक्षपात के प्रस्तुत करें। उपराष्ट्रपति ने इन कुछ वर्ष में पत्रकारिता मानकों में भारी गिरावट पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहाकि सोशल मीडिया के हालिया उदय ने इसमें और अधिक गिरावट लाने का काम किया है। उन्होंने कहाकि आज हम लगातार विचारों से जुड़े हुए समाचार पाते हैं, यह इतना अधिक हो गया हैकि कभी-कभी किसी व्यक्ति को यह लगने लगता हैकि न तो समाचार पत्र और न ही टेलीविजन चैनल, कुछ घटनाओं की सही तस्वीर दिखाते हैं।
उपराष्ट्रपति ने सुझाव दियाकि संसद और सरकार सोशल मीडिया पर फर्जी ख़बरों के मामले को देखें एवं इनसे निपटने केलिए एक प्रभावी एवं विश्वसनीय तरीका अपनाएं। वेंकैया नायडू ने पक्षपातपूर्ण समाचार प्रस्तुतीकरण और कार्यक्रमों के एजेंडा संचालित कवरेज पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया और कहाकि ऐसी पत्रकारिता करनेवाले इस पेशे का गंभीर नुकसान कर रहे हैं, क्योंकि प्रामाणिकता और विश्वसनीयता पत्रकारिता की नींव है। उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक बहसों के गिरते मानकों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहाकि उनकी इच्छा हैकि राजनीतिक दल विधायिकाओं और सार्वजनिक जीवन में अपने सदस्यों केलिए आचार संहिता अपनाकर खुदको विनियमित करें। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को सलाह दीकि वे अपने राजनीतिक विरोधियों पर व्यक्तिगत हमले करने से बचें। उपराष्ट्रपति ने दल-बदल विरोधी कानून की किसी तरह की कमियों को दूर करने केलिए इसपर फिरसे विचार करने का भी आह्वान किया।
वेंकैया नायडू ने कहाकि सदस्यों को विधायिकाओं में सार्थक तरीके से बहस एवं चर्चा करनी चाहिए और निर्णय लेना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहाकि मीडिया को संसद और विधायिकाओं में व्यवधान की जगह रचनात्मक भाषणों को लोगों के सामने लाना चाहिए। उन्होंने सनसनीखेज खबरों और संसद एवं विधानसभाओं में व्यवधान डालने वालों पर अधिक ध्यान देने को लेकर सावधान किया। कार्यक्रम में सांसद पीसी मोहन, बेंगलुरू प्रेस क्लब-के अध्यक्ष के सदाशिव शिनॉय, बेंगलुरू प्रेस क्लब के महासचिव एचवी किरण, बेंगलुरू प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष श्यामा प्रसाद एस, मीडियाकर्मी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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