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Monday 4 November 2024 12:27:48 PM
नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने संस्कृति मंत्रालय की पहल पर अमृत परम्परा श्रृंखला के पहले कार्यक्रम 'कावेरी का गंगा से संगम' का समारोहपूर्वक उद्घाटन किया, जिसमें दक्षिण भारत की नृत्य और संगीत परंपराओं को उत्तर भारत में प्रदर्शित किया जा रहा है और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना से उत्तर भारत की कलात्मक परंपराओं का भी प्रदर्शन किया जारहा है। कला और संस्कृति के जरिए देश को एकजुट करने वाले भव्य उत्सव अमृत परम्परा का उद्देश्य भारत की पारंपरिक कलाओं और कला रूपों का उत्सव मनाना है, जिसमें प्रदर्शन कला, दृश्य कला और साहित्य में लुप्त हो रही कला रूपों और परंपराओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके लिए आधुनिक पैकेजिंग और प्रौद्योगिकी आधारित इंटरैक्टिव और इमर्सिव अनुभवों के साथ पारंपरिक कला रूपों पर आधारित अभिनव कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं। अमृत परम्परा अभियान के अतंर्गत कार्यक्रम निकट भविष्य में दिल्ली के विभिन्न स्मारकों और स्थानों पर प्रस्तुत करने की भी योजना है।
संस्कृति मंत्रालय की स्वायत्त संस्थाएं संगीत नाटक अकादमी, कलाक्षेत्र और सीसीआरटी संयुक्त रूपसे 'कावेरी का गंगा से संगम' कार्यक्रम का आयोजन कर रही हैं। कर्तव्य पथ और सीसीआरटी द्वारका सहित प्रतिष्ठित स्थानों पर हो रहे इस महोत्सव में भारत के लोक और पारंपरिक कला रूपों की एक आकर्षक श्रृंखला प्रदर्शित की जा रही है। ‘कावेरी का गंगा से संगम’ कार्यक्रम तमिल कैलेंडर के मार्गाज़ी महीने के दौरान चेन्नई में होनेवाले प्रसद्धि मार्गाज़ी उत्सव के सम्मान के रूपमें है। इसमें दर्शकों को ब्रज भूमि के नगर संकीर्तन और गोवर्धन पूजा से लेकर आंध्र प्रदेश के कुचिपुड़ी, प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा भरतनाट्यम और केरल के पंचवाद्यम और थेय्यम जैसी लोक परंपराओं का अनुभव मिलेगा। बांसुरी पर राकेश चौरसिया और सरोद पर उस्ताद अमजद अली खान जैसे प्रसिद्ध संगीतकारों की उल्लेखनीय प्रस्तुतियां, रेंजिनी गायत्री का कर्नाटक गायन, रमा वैद्यनाथन और मीनाक्षी श्रीनिवासन का भरतनाट्यम कलाक्षेत्र चेन्नई द्वारा सिम्फनी प्रस्तुत की जाएगी। यह उत्सव भारत की सांस्कृतिक विविधता का याद दिलाने वाला होगा।
अमृत परम्परा श्रृंखला के वर्ष-2024 में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के दो वर्षीय स्मरणोत्सव की शुरुआत होगी। यह उत्सव उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों और एकता की भावना का प्रमाण होगा। गौरतलब हैकि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश की पहचान इसकी संस्कृति की बहुलता और विविधता से होती है, प्रत्येक क्षेत्र का अपना एक अनूठा सांस्कृतिक पहचान है, लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल के भारत के दृष्टिकोण की तरहही वे भारतीय संस्कृति के ताने-बाने का हिस्सा बनने केलिए सहज रूपसे एकीकृत भी हैं। अमृत परम्परा श्रृंखला को चार प्रमुख स्तंभों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत की निरंतरता को बढ़ावा देने केलिए डिज़ाइन किया गया है, भारतीय संस्कृति की नींव, सांस्कृतिक शिक्षा और मनोरंजन का मिश्रण, विविध विचारों का संश्लेषण और बहुसंवेदी अनुभव। प्रत्येक प्रदर्शन कला रूपों और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को उजागर करके इस प्रतिबद्धता का जश्न मनाएगा, जो भारत की कालातीत भावना को दर्शाता है। अपने व्यापक, प्रौद्योगिकी संचालित दृष्टिकोण केसाथ अमृत परम्परा दर्शकों को एक अभिनव और संवेदी अनुभव प्रदान करेगी, जो पारंपरिक कलात्मकता को आधुनिक समय की प्रस्तुति केसाथ मिश्रित करेगी। अमृत परम्परा महोत्सव एक अविस्मरणीय अनुभव होने का वादा करता है, जो कला, इतिहास और नवाचार को एकसाथ लाया है।