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Friday 22 November 2024 04:45:39 PM
पणजी। स्वातंत्र्य वीर सावरकर की जीवनी पर फिल्म बनाने वाली टीम ने गोवा में चल रहे 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में मीडिया से बातचीत में गुमनाम वीर सावरकर की गाथा साझा करते हुए बतायाकि फिल्म को भारतीय पैनोरमा खंड की शुरुआती फीचर के रूपमें प्रदर्शित किया गया है। टीम ने कहाकि इससे फिल्म की रचनात्मक यात्रा और इसके ऐतिहासिक महत्व पर विचार करने केलिए एक मंच मिला है, यह फिल्म क्रांतिकारी विचारक और कवि विनायक दामोदर सावरकर के जीवन को दर्शाती है, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी।
स्वातंत्र्य वीर सावरकर फिल्म सशस्त्र प्रतिरोध के कट्टर समर्थक के रूपमें वीर सावरकर के बदलाव, उनके वैचारिक संघर्षों और सेलुलर जेल में उनके कारावास के वर्षों को दर्शाती है। व्यक्तिगत बलिदानों और रणनीतिक नेतृत्व के माध्यम से वीर सावरकर एक जटिल व्यक्ति के रूपमें उभरे हैं, जिनका एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत का सपना आजभी गूंजता है। यह फिल्म भारत की स्वतंत्रता के कई अनकहे नायकों में से एक वीर सावरकर की गुमनाम गाथा को सामने लाती है, यह मातृभूमि केप्रति उनके प्रेम और स्वतंत्रता संग्राम केदौरान उनके द्वारा झेले गए भयानक परिणामों को उजागर करती है। विनायक दामोदर सावरकर की मुख्य भूमिका निभाने वाले अभिनेता और फिल्म के निर्देशक रणदीप हुड्डा ने फिल्म निर्माण की चुनौतियों की तुलना भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वीर सावरकर द्वारा सामना किए गए संघर्षों से की।
फिल्म के निर्देशक और अभिनेता रणदीप हुड्डा ने कहाकि उन्हें गुमनाम नायक वीर सावरकर की वास्तविक गाथा को सार्वजनिक चर्चा में लाने का बीड़ा उठाना पड़ा, वीर सावरकर हमेशा भारत को सैन्य रूपसे सशक्त देखना चाहते थे और आज विश्व में हमारे प्रभाव में काफी सुधार हुआ है। रणदीप हुड्डा ने बतायाकि यह फिल्म सशस्त्र संघर्ष के एक और पहलू को उजागर करती है, जिसमें दिखाया गया हैकि कैसे इसने क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता केलिए हथियार उठाने केलिए प्रेरित किया। फिल्म में भीकाजी कामा की भूमिका में अभिनेत्री अंजलि हुड्डा ने बतायाकि फिल्म में उनकी भूमिका ने वीर सावरकर के निजी जीवन के बारेमें उनकी समझ को और बढ़ाया। उन्होंने कहाकि यह फिल्म मेरे लिए आंख खोलने वाली है और मुझे उम्मीद हैकि भविष्य में हमारे भूले-बिसरे नायकों पर ऐसी और फिल्में बनाई जाएंगी। जय पटेल, मृणाल दत्त और अमित सियाल ने भी अपने अनुभव साझा किए और भारतीय सिनेमा में ऐसी फिल्मों के महत्व पर प्रकाश डाला।