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Wednesday 23 November 2022 03:22:11 PM
पणजी। युवा, प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे कम उम्र के शहीदों मेसे एक खुदीराम बोस पर तेलुगू में बनी बायोपिक 53वें इफ्फी के इंडियन पैनोरमा खंड केतहत प्रदर्शित की गई। बायोपिक के निर्देशक विद्यासागर राजू ने जब तीसरी बार फिल्म निर्देशक की भूमिका निभाने का मन बनाया तो उन्होंने इस बायोपिक को बनाने का फैसला किया। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहाकि वे चाहते हैंकि हर कोई खुदीराम केबारे में जाने। इफ्फी के दौरान संवाददाता सम्मेलन में निर्देशक विद्यासागर राजू ने कहाकि इस बायोपिक की पटकथा तैयार करने से पहले उन्हें गहन शोध करना पड़ा। उन्होंने कहाकि खुदीराम बोस का जीवनकाल, स्वतंत्रता आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाओं और व्यक्तित्वों जैसे-बंगाल का विभाजन और रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, सिस्टर निवेदिता, बरेंद्रनाथ घोष और अन्य केसाथ जुड़ा हुआ था।
स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की बायोपिक में स्वतंत्रता संग्राम के बारेमें कुछकम ज्ञात तथ्यभी दिखाए गए हैं जैसे खुदीराम बोस का केस छह वकीलों ने लड़ा था, उस समय के जाने-माने वकील नरेंद्र कुमार बसु ने खुदीराम बोस का केस लड़ा था, हालांकि वे इसे जीत नहीं पाए थे। इसमें दिखाया गया हैकि भारत का पहला झंडा सिस्टर निवेदिता ने डिजाइन किया था और फिल्म में इसका बहुत ही महत्वपूर्ण प्लॉट है। इसमें 1906 में घटित एक अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना कोभी प्रदर्शित किया गया, जब देशमें पहली ध्वनि रिकॉर्डिंग की गई थी, जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर ने वंदे गाया था। विद्यासागर राजू ने कहाकि जब हमारी टीम ने खुदीराम बोस का इतिहास पढ़ा तो हमने पायाकि दिखाने केलिए बहुत कुछ था। विद्यासागर राजू ने कहाकि पटकथा हमें बंगाल में विभाजन की भयावहता तक लेजाती है, जिसमें अनेक ऐतिहासिक पात्र शामिल हैं, उन्होंने उनके जीवन पर आधारित बायोपिक को थोड़ा विस्तृत बनाने की कोशिश की है।
निर्देशक विद्यासागर राजू ने बढ़िया फिल्म बनाने का श्रेय फिल्म के अभिनेता, अभिनेत्री और टीम के सदस्यों को दिया। उन्होंने कहाकि इसमें काम करनेवाले वरिष्ठ तकनीशियन जानते थेकि पटकथा को कैसे जीवंत किया जाए, वे फिल्म केपीछे से काम करते हैं, लेकिन मेरे लिए वे सर्वप्रथम हैं। अभिनेता राकेश जगरलामुदी ने खुदीराम बोस की भूमिका निभाई है और अपनी पहली फिल्म में एक स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका निभाने में सक्षम होने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहाकि ऐतिहासिक चरित्र के वास्तविक जीवन का किरदार निभाना उनके लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण था, लेकिन टीम के सहयोग ने इसे आसानी से करने में मदद की। राकेश जगरलामुदी ने कहाकि विवेक ओबेरॉय, अतुल कुलकर्णी, नसीर और वरिष्ठ अभिनेताओं केसाथ काम करना एक नवोदित अभिनेता केलिए सीखने का एक समृद्ध अनुभव था।
विद्यासागर राजू ने कहाकि फाइन ट्यूनिंग, निपुणता, सूक्ष्म विवरण, संस्कृति और पात्रों को अपनाना फिल्म निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व हैं। क्षेत्रीय फिल्मों केबारे में उन्होंने कहाकि दुनियाभर में सभी भावनाएं समान हैं, इसलिए क्षेत्रीय फिल्में भी अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों को आकर्षित करती हैं। निर्देशक ने कहाकि जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो हमने अपने महान स्वतंत्रता सेनानियों पर फिल्म बनाने केबारे में सोचा, फिर हमने खुदीराम बोस पर फिल्म बनाने की अपनी यात्रा शुरू की। यह फिल्म सात भारतीय भाषाओं में रिलीज होगी। खुदीराम बोस पर फिल्म बनाने वाली टीम ने यहभी बतायाकि वह संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान इस फिल्म के हिंदी संस्करण को प्रदर्शित करने की योजना बना रही है।