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Friday 6 September 2013 10:32:49 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को गांधी विरासत पोर्टल की शुरूआत की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय ने इस पोर्टल को संभव कर दिखाया। यह कहना सही है कि नारायण देसाई जैसे मित्रों और उनके गांधीवादी साथियों, तकनीकी विशेषज्ञों, विद्वानों और अहमदाबाद में ऐतिहासिक साबरमती आश्रम के अन्य लोगों की मेहनत के बिना यह उपलब्धि संभव नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि मैं उन सबकी सराहना करता हूं, जिन्होंने इस धरती की महानतम आत्माओं में से एक के लिए प्यार एवं आदर से काम किया।
गांधी विरासत पोर्टल इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म पर पूरी दुनिया में गांधीजी को सुलभ बनाने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी-चालित पहल है। यह महात्मा गांधी के जीवन एवं कार्य और विचारों पर सर्वाधिक प्रमाणिक खुले स्रोत संग्रहालय में से एक बनाने की आकांक्षा के साथ तैयार किया गया है, यह आने वाली पीढ़ियों, खासतौर से दुनियाभर के युवाओं के लिए बहुमूल्य स्रोत होगा। फिलहाल यह पोर्टल लगभग आधा मिलियन पेज की सामग्री इलेक्ट्रानिक रूप में उपलब्ध कराता है तथा इसमें अनेक भाषाओं में करीब एक लाख पृष्ठों की जानकारी उपलब्ध कराने की क्षमता है। आमतौर पर आधा कार्य हो चुका है और साबरमती आश्रम न्यासियों ने इस संबंध में अच्छा प्रदर्शन किया है।
दस्तावेजों का ये संग्रह स्वाधीनता संघर्ष पर महत्वपूर्ण स्रोत सामग्री उपलब्ध कराते हैं और बापू के नेतृत्व में स्वाधीनता सेनानियों की समूची पीढ़ी की विजय और दुखों, विचारों और विजन समेटे हुए हैं, लेकिन इसका सच्चा महत्व इसकी वास्तुकला में निहित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे गांधीजी के हिंद स्वराज का प्रथम संस्करण याद है, उसके शीर्षक पृष्ठ पर उन्होंने कोई अधिकार सुरक्षित नहीं लिखा था। कई तरह से वे उस आंदोलन के अगुवा थे, जिसे आज हम गर्व से मुक्त स्रोत आंदोलन कह सकते हैं तथा यह पोर्टल उस विजन को आगे बढ़ाने के लिए ही है। यह स्व-प्रमाणित सत्य है कि ज्ञान समावेशी प्रक्रिया होनी चाहिए, जहां सीखने के लिए बाधाएं व्यवस्थित रूप से खुल जाती हैं, सिर्फ विचारों के मुक्त प्रवाह के लिए प्रतिबद्ध समाज ही ज्ञान के युग का नेतृत्व करने की उम्मीद कर सकता है, सरकार ने इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, भारतीय डिजिटल पुस्तकालय, टैगोर पर वैरियोरम और गांधी विरासत पोर्टल सभी इस सफर में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं।
उन्होंने कहा कि इस विचार के जरिए सारी मानवता को गले लगाने वाली महात्मा गांधी की अमूर्त विरासत के अलावा, हम बापू की मूर्त विरासत और उसके संरक्षण एवं संवर्धन के बारे में भी जागरूक हैं। इस बारे में हमने हाल ही में गांधी विरासत स्थल मिशन स्थापित किया है। यह मिशन उन भवनों के प्रोफेशनल संरक्षण एवं प्रबंधन का कार्य करेगा, जहां बापू ठहरे थे और इसके साथ प्रकाशित-अप्रकाशित दस्तावेजों, फोटोग्राफ और ऑडियो विजुअल्स एवं अन्य सामग्री का संरक्षण एवं प्रबंधन भी किया जाएगा। इसी तरह हम इच्छुक हैं कि दांडी में शीघ्र ही विश्व स्तरीय राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाना चाहिए, जो युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा और उन्हें यहां से गुजरे स्वाधीनता सेनानियों की याद कराएगा। अंततः यह भारत की जनता है, जो महात्मा गांधी की विरासत की न्यासी है। महात्मा गांधी न सिर्फ हमारा अतीत हैं, बल्कि वह हमारे वर्तमान में हैं और भविष्य के महत्वपूर्ण हिस्से में रहेंगे जो हम अपने देश और जनता के लिए चाहते हैं। यह भविष्य दमन मुक्त, भूख मुक्त, अन्याय मुक्त और संरचनात्मक असमानताओं एवं हिंसा मुक्त भविष्य है। यह ऐसा भविष्य है, जिसमें हम सब बिना किसी पूर्वाग्रह के योगदान करने में सक्षम है तथा जिसमें सब समावेशी एवं न्यायोचित भारत के विचार साझा करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साबरमती के तटों पर हृदय कुंज श्रृद्धा का बहुत विशेष स्थान है, हर बार जब मैं वहां उस व्यक्ति को श्रृद्धांजलि देने गया जो उस विनम्र जगह पर रहा तो मैं नई आशा और विश्वास के साथ वापस लौटा। यही कारण है कि मैं खासतौर से खुश हूं कि गांधी विरासत पोर्टल की परिकल्पना की गई है और यह साबरमती में विकसित किया गया है। आश्रम उन स्मृतियों को जीवंत प्रमाण है, जो राष्ट्र की आकांक्षाओं के लिए जीवित हैं तथा यह कल्पना करने में सक्षम हैं कि हमारे लोगों की कल्पना में इसकी प्रासंगिकता नई भूमिकाओं के साथ हमेशा बनी रहेगी। इस पल में शायद वे गांधीजी के पसंदीदा स्त्रोत लीड काइंडली लाइट से एक पंक्ति याद करेंगे-मेरे लिए एक कदम काफी है।