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रोज़गार के अवसर बढ़ाएं-राष्ट्रपति

'ऐसे ही आय के स्रोतों की भी है आवश्यकता'

भारतीय आर्थिक संघ का वार्षिक सम्मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 28 December 2015 02:11:59 AM

president pranab mukherjee

हैदराबाद। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हैदराबाद में भारतीय आर्थिक संघ के 98वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए रोज़गार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विकास तभी सार्थक और समावेशी होगा, जब इसके परिणाम सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति के स्तर में सुधार लाएंगे, जैसा कि कुशल अर्थशास्त्री हमेशा कहते रहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक युवा राष्ट्र है, हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा कामगार आयुवर्ग का है, ऐसे में सरकार और नीति निर्माताओं के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे ऐसी नीतियां बनाएं, जो विकास के साथ-साथ रोज़गार का सृजन करें। उन्होंने कहा कि ऐसा विकास जो सिर्फ कुछ शीर्ष लोगों अथवा आबादी के बहुत कम अनुपात में हो, कभी भी स्थायी और वांछनीय नहीं हो सकता। राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि सम्मेलन के दौरान होने वाला विचार-विमर्श विचार-समूहों, व्यापार संघों और बड़े पैमाने पर सरकार को मूल्यवान नीतिगत जानकारी उपलब्ध कराएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि समानता और सामाजिक न्याय के साथ विकास का संतुलन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की एक मूलभूत आवश्यकता है, इसमें न सिर्फ आय असामनता का सावधानीपूर्वक अध्ययन जरूरी है, बल्कि आय के स्रोतों की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्रियों के शुरू करने के लिए यह एक जरूरी काम है। राष्ट्रपति ने कहा कि पेरिस घोषणा अथवा सामाजिक रूप से न्यायोचित को प्राप्त करने के लिए हरित प्रस्ताव और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ आजीविका, पर्यावरण के लिए विश्व अर्थव्यवस्थाओं की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि दुनिया की एक महत्वपूर्ण शक्ति होने के नाते भारत को इन सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक अहम भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संघ की गतिविधियों में आईईए का नियमित संपर्क और भागीदारी भारतीय शोधकर्ताओं को भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था, दोनों के लिए प्रासंगिक नीति नुस्खे लाने के लिए एक बड़ा मंच प्रदान करेगी।

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