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Tuesday 12 February 2013 10:17:16 AM
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह घोषणा करते हुए कि महामारी इंफ्लूएंज़ा अगस्त, 2010 तक समाप्त हो जाएगी, यह भी कहा था कि इस बीमारी का वायरस मौसमी इंफ्लूएंज़ा वायरस का व्यवहार अपना लेगा और आने वाले कुछ वर्षों में इसका प्रसार जारी रहेगा, इसलिए महामारी अवधि के बाद (पोस्ट-पेंडेमिक) एच1 एन1 की महत्वपूर्ण स्तर के साथ प्रसार होने की उम्मीद है।
अनुमान के अनुसार भारत देश में अगस्त से लेकर अक्टूबर 2010, मई से लेकर जुलाई 2011, मार्च से लेकर अक्टूबर 2012 की अवधि के दौरान इसका प्रसार हुआ। अब जनवरी से लेकर फरवरी 2013 की अवधि के दौरान राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और दिल्ली से अधिक संख्या में इसके मामले का पता चला है। इसके लिए ये कदम उठाए गए हैं-
पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और केंद्र शासित प्रशासन चंडीगढ़ से आग्रह किया गया है। बड़ी संख्या में मरीजों की जांच और अत्यधिक जोखिम वाले मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सा कार्रवाई प्रणाली को तैयार रखें। मरीजों की जांच के लिए और उन्हें श्रेणीबद्ध करने के लिए मार्गनिर्देशों का पालन करें।यदि आवश्यक हो तो ओसेलटामीविर गोलियां, निजी सुरक्षा उपकरण और मास्क उपलब्ध कराएं। मुद्रित और दृश्य दोनों प्रकार के समाचार माध्यमों को संबोधित करें ताकि तथ्यपरक रिपोर्टिंग हो सके और आम लोगों का भय दूर हो।
राजस्थान राज्य से प्राप्त किए गए एंटी-वायरल दवा (6 लाख गोलियां), निजी सुरक्षा उपकरणों और मास्कों की मांग के लिए 9 फरवरी, 2013 इन्हें भेजा गया है। हरियाणा से प्राप्त एक लाख ओसेलटामीविर गोलियों की मांग को पूरा किया जा रहा है। केंद्रीय क्षेत्र के भंडार में लगभग 55 लाख ओसेलटामीविर की खुराक रखी गई है। ओसेलटामीविर नामक औषधि बनाने के लिए प्रमुख कच्चा माल (सिकमिक अम्ल) की उपलब्धता की जांच की जा रही है।
दिल्ली में इंफ्लूएंज़ा ए एच1 एन1 की स्थिति
दिल्ली में 1 जनवरी, 2013 से लेकर इंफ्लूएंज़ा ए एच1एन1 के 57 मामले की जांच ये पुष्टि हुई है, जिनमें से तीन मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने कल स्थिति की समीक्षा करके पत्रकारों को संबोधित किया। 22 अस्पतालों (17 सरकारी और 5 निजी) और 08 प्रयोगशालाओं (03 सरकारी और 05 निजी) को क्रियाशील किया गया है। इसमें केंद्र सरकार के आरएमएल अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और एनसीडीसी और एआईआईएमएस की प्रयोगशालाएं शामिल हैं। दिल्ली सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में दवाओं का भंडार, निजी सुरक्षा उपकरण आदि उपलब्ध हैं।