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Monday 6 March 2017 04:55:10 AM
नई दिल्ली। सिंधु बेसिन की पूर्वी नदियों पर भारतीय अधिकारों के उपयोग करने की दिशा में जल संसाधन मंत्रालय के मध्यस्थता प्रयासों को एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। मंत्रालय के आरडी एवं जीआर ने पंजाब और जम्मू एवं कश्मीर दोनों राज्यों को इस बात के लिए राजी कर लिया है कि पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर के शाहपुर कंडी बांध परियोजना पर जल्द ही फिर से काम शुरू हो। इस आशय के एक समझौते पर पंजाब के सिंचाई सचिव केएस पन्नू और जम्मू एवं कश्मीर के सिंचाई सचिव सौरभ भगत के बीच जल संसाधन सचिव डॉ अमरजीत सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
शाहपुर कंडी परियोजना की लागत अप्रैल 2008 में 2285.81 करोड़ रुपए के स्तर पर थी, जिसे भारत सरकार ने राष्ट्रीय परियोजना में शामिल कर लिया था। सिंचाई और जलापूर्ति घटक के कार्यों के लिए बची लागत के लिए जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एवं जीआर 90 प्रतिशत केंद्रीय सहायता प्रदान करता है। शाहपुर कंडी परियोजना का निर्माण मई 1999 में ही शुरू हो गया था, लेकिन दोनों राज्यों के बीच कुछ विवाद पैदा हो जाने के कारण इसका काम वर्ष 2014 में रोक दिया गया था। जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एवं जीआर ने दोनों राज्यों के बीच विवाद सुलझाने का हर संभव प्रयास किया और इसका सुखद परिणाम पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच समझौते के रूप में निकला।
परियोजना के स्वरूप पर दोनों राज्यों के बीच पहले से ही सहमति लगती है, जबकि जम्मू एवं कश्मीर के 1150 क्यूसेक पानी की आवश्यक हिस्सेदारी के लिए समवर्ती मॉडल का अध्ययन किया जाएगा, जो दोनों राज्यों के लिए बाध्यकारी होगा। परियोजना का क्रियांवयन पंजाब सरकार जारी रखेगी, लेकिन परियोजना की निगरानी के लिए सीडब्ल्यूसी की अध्यक्षता में एक त्रिपक्षीय समिति की व्यवस्था होगी, जो जरूरी होने पर तथा कम से कम महीने में एक बार बैठक करेगी। इस त्रिपक्षीय समिति में पंजाब और जम्मू एवं कश्मीर के मुख्य इंजीनियर सदस्य होंगे। समझौते के अनुसार बांध के लिए भूमि अधिग्रहण के एवज में बकाए मुआवजे की राशि का भुगतान पंजाब सरकार तत्परता से करेगी, साथ ही दोनों राज्यों के पी एवं आर समझौते के अनुसार पलायन के शिकार लोगों को भी पंजाब सरकार रोज़गार मुहैया कराएगी।