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मानवाधिकारों की रक्षा हमारी संस्कृति-मोदी

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का रजत जयंती समारोह

'एनएचआरसी वंचितों और शोषितों की आवाज़'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 13 October 2018 01:04:17 PM

pm narendra modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के रजत जयंती समारोह को संबोधित किया और कहा कि एनएचआरसी ने इन ढाई दशक में वंचितों और शोषितों की आवाज़ बनकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है, हमारी परम्‍पराओं में हमेशा व्‍यक्ति के जीवन निमित समता, समानता उसकी गरिमा के प्रति सम्‍मान, इसको स्‍वीकृति मिली हुई है। उन्होंने कहा कि गुलामी के लंबे कालखंड में जो आंदोलन हुए उनका भी ये महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा रहा है, इन आदर्शों के संरक्षण के लिए ही एक मजबूत तंत्र विकसित किया गया था। उन्होंने कहा कि हमारे यहां तीन स्‍तरीय शासन व्‍यवस्‍था है-एक स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष न्‍याय व्‍यवस्‍था है, सक्रिय मीडिया है और सक्रिय नागरिक समाज है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे पास अधिकारों को सुनिश्चित करने वाले एनएचआरसी जैसे कई संस्थान, कमीशन और ट्रिब्यूनल भी हैं, हमारी व्‍यवस्‍था उन संस्‍थाओं की आभारी है जो गरीबों, महिलाओं, बच्‍चों, पीड़ितों, वंचितों, आदिवासियों समेत हर देशवासी के अधिकार को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है, हमारा पंचायत राज सिस्‍टम या फिर स्‍थानीय निकायों से जुड़ी व्‍यवस्‍था मानव अधिकारों के सुरक्षा तंत्र का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है, ये संस्‍थाएं सामान्‍यजन के हम को, विकास के लाभ को, जन कल्‍याणकारी योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं, ये संस्‍थाएं महिलाएं, वंचित वर्गों के सशक्तिकरण और भागीदारी में भी बहुत बड़ा योगदान दे रही हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष न्याय प्रणाली, एक सक्रिय मीडिया, एक सक्रिय नागरिक समाज और एनएचआरसी जैसे संगठन मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवाधिकार केवल एक नारा नहीं होना चाहिए, बल्कि हमारे चरित्र का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्ष अथवा उसके बाद गरीब का जीवनस्तर सुधारने के लिए अनेक गंभीर प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का पूरा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर लगा है कि मनुष्य की आधारभूत जरूरतों तक सभी भारतीयों की पहुंच हो। उन्होंने इस संदर्भ में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, सुगम्य भारत अभियान, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना और सौभाग्य योजना की उपलब्धियों और इन योजनाओं के परिणाम स्वरूप लोगों के जीवन में आए बदलाव का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 9 करोड़ से अधिक शौचालयों के निर्माण ने करोड़ों गरीब लोगों के लिए स्वच्छ और प्रतिष्ठित जीवन सुनिश्चित किया है। उन्होंने हाल में आयुष्मान भारत के अंतर्गत शुरू स्वास्थ्य गारंटी पहल- पीएमजेएवाई का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की वित्तीय समावेश पहलों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से राहत प्रदान करने वाला कानून भी लोगों को मूलभूत अधिकार प्रदान करने की श्रृंखला में उठाया गया एक कदम है, मानव अधिकार सिर्फ नारा नहीं होना चाहिए, ये संस्‍कार होना चाहिए, लोकनीति का आधार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि पिछले साढ़े चार वर्ष की ये बहुत बड़ी उपलब्धि रही हैं कि इस दौरान गरीब, वंचित, शोषित समाज के दबे-कुचले व्‍यक्ति की गरिमा को, उसके जीवन-स्‍तर को ऊपर उठाने के लिए गंभीर प्रयास हुए हैं, बीते चार वर्ष में जो भी कदम उठाए गए हैं, जो भी अभियान चलाए गए हैं, जो योजनाए बनी हैं, उनका लक्ष्‍य यही है और हासिल भी यही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि‌ सरकार का फोकस इस बात पर रहा है कि सामान्‍य मानवी की मूल आवश्‍यकताओं की पूर्ति उसकी जेब की शक्ति से नहीं, बल्कि सिर्फ भारतीय होने भर से ही स्‍वाभाविक रूप से हो जाए। उन्होंने कहा कि सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास’ इस मंत्र को सेवा का माध्‍यम मानती है, ये अपने-आप में ही मानवाधिकारों की सुरक्षा की गारंटी की तरह काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बेटियों के जीवन के अधिकार को लेकर कितने सवाल थे? बेटी को अवांछित मानकर गर्भ में ही हत्‍या करने की विकृत मानसिकता समाज के कुछ संकुचित-सीमित लोगों में बंट रही थी। उन्होंने कहा कि आज मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की वजह से हरियाणा-राजस्‍थान समेत अनेक राज्‍यों में बेटियों की संख्‍या में भारी वृद्धि हुई है, अनेक मासूमों के जीवन को अधिकार मिला है, जीवन का अर्थ सिर्फ सांस लेने से नहीं है, सम्‍मान भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिव्‍यांग शब्‍द आज कुछ भारतीयों के लिए सम्‍मान का सूचक बन गया है, इतना ही नहीं उनके जीवन को सुगम बनाने के लिए ‘सुगम्‍य भारत’ अभियान के तहत सरकारी बिल्डिंग्‍स हों, एयरपोर्टस हों, रेलवे स्‍टेशन हों, वहां पर विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गरीब को खुले आसमान के नीचे झुग्‍गी में जीवन बिताना पड़े, मौसम के थपेड़े उसको सहन करने पड़ें, ये भी तो उसके अधिकार का हनन है, इस स्थिति से उसको बाहर निकालने के लिए ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत हर बेघर गरीब को आवास देने का अभियान चल रहा है और सपना है 2022 में जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे, हिंदुस्‍तान में हर उस व्‍यक्ति को मकान मिलना चाहिए, जिसके सिर पर छत नहीं है, अब तक सवा सौ करोड़ से अधिक भाई-बहनों को घर की चाबी मिल चुकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नियमों में ऐसे बहुत छोटे-छोटे बदलावों ने बहुत बड़े स्‍तर पर प्रभाव डाला है जैसे-बांस की परिभाषा बदलने की वजह से देश में दूर-दराज वाले इलाकों में रहने वाले आदिवासी भाई-बहनों को अब बांस काटने और बांस के परिवहन का अधिकार मिला है, इससे उनकी आय वृद्धि पर व्‍यापक असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सबको कमाई, सबको पढ़ाई, सबको दवाई और सबकी सुनवाई, इस लक्ष्‍य के साथ ऐसे अनेक काम हुए हैं, जिससे करोड़ों भारतीय भीषण गरीबी से बाहर निकल रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश बहुत तेज गति से मध्‍यम वर्ग की बहुत बड़ी व्‍यवस्‍था की तरफ बढ़ रहा है, ये सफलता अगर मिली है तो उसके पीछे सरकार के प्रयास तो हैं ही, उससे भी अधिक जन-भागीदारी है, देश के करोड़ों लोगों ने अपने कर्तव्‍यों को समझा है, अपने व्‍यवहार में परिवर्तन के लिए खुद को प्रेरित किया है।
प्रधानमंत्री ने न्याय प्रणाली तक पहुंच आसान बनाने के लिए ई-अदालतों की संख्या में बढ़ोतरी और राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड को मजबूत बनाने जैसे कदमों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन पहलों की सफलता जन भागीदारी के कारण संभव हुई है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के प्रति जागरुकता के साथ नागरिकों को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरुक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं, वे यह भी जानते हैं कि दूसरों के अधिकारों का सम्मान कैसे किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि निरंतर विकास उद्देश्यों को हासिल करने के लिए एनएचआरसी की भूमिका महत्वपूर्ण है।

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