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नई दिल्ली। भारत ने मंगलवार को लंबी दूरी के अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र अग्नि-4 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। ओडिशा तट के निकट व्हीलर द्वीप से आज सुबह 9 बजे रोड मोबाइल सिस्टम से इसका परीक्षण किया। प्रक्षेपास्त्र ने अपने पथ का सटीक अनुसरण करते हुए 900 किलोमीटर की ऊंचाई पाई और बंगाल की खाड़ी में स्थित अपने पूर्व-निर्धारित लक्ष्य को भेदा। मिशन के सारे उद्देश्य सफल रहे। 3000 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर भी इसकी सभी प्रणालियों ने कुशलता से काम किया।
यह प्रक्षेपास्त्र अपने आप में अनूठा है। इसमें कई नई तकनीकों का पहली बार इस्तेमाल किया गया है। प्रक्षेपास्त्र तकनीक के मामले में इसे बड़ी छलांग माना जा रहा है। प्रक्षेपास्त्र हल्के वजन का है और इसमें ठोस प्रणोदक के दो चरण और एक पेलोड हैं। पहली बार इस्तेमाल हुए कम्पोजिट रॉकेट मोटर ने शानदार प्रदर्शन किया। यह प्रक्षेपास्त्र प्रणाली आधुनिक और कॉम्पैक्ट एवियोनिक्स से युक्त है। रिडंडेंट मोड में एक-दूसरे के पूरक के बतौर काम करने वाले स्वदेशी रिंग लेसर गायरोस आधारित अतिसटीक आईएनएस (आरआईएनएस) और माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (एमआईएनजीएस) का गाइडेंस मोड में पहली बार सफल उड़ान संभव हुआ। इस प्रक्षेपास्त्र ने अपने लक्ष्य पर अतिसटीकता से निशाना लगाया।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने डीआरडीओ टीम को इस उपलब्धि पर बधाई दी है। रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ के महानिदेशक डॉ वीके सारस्वत ने सभी वैज्ञानिकों, डीआरडीओ और सशस्त्र बलों के सभी कर्मचारियों को इस सफलता पर बधाई दी है। परीक्षण के बाद डीआरडीओ के प्रक्षेपास्त्र और सामरिक प्रणाली के मुख्य नियंत्रक और अग्नि के कार्यक्रम समन्वयक अविनाश चंदर ने बताया कि भारत में लंबी दूरी नैविगेशन सिस्टम के क्षेत्र में यह एक नए युग की शुरुआत है। उन्होंने बताया, 'इस परीक्षण ने भावी अग्नि-5 मिशन, जिसे जल्द ही प्रक्षेपित किया जाना है, का मार्ग प्रशस्त किया है।' अग्नि-4 की कार्यक्रम निदेशक टेस्सी थॉमस ने इस प्रक्षेपास्त्र प्रणाली को निर्मित और एकीकृत किया।