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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के 150वें वर्ष के समारोह की समाप्ति पर कहा कि लोकतंत्र की बुनियाद वित्तीय जवाबदेही में निहित है। उन्होंने कहा एक निडर, योग्य और स्वतंत्र लेखा परीक्षक वित्तीय उत्तरदायित्व का मूलभूत आधार होता है। मुखर्जी ने कहा कि लेखा परीक्षक की भूमिका जनता, कार्यकारिणी, विधायिका और विभिन्न हितधारकों को यह विश्वास दिलाना है कि करदाताओं के कोषों का सार्वजनिक जवाबदेही के लिए संविधान द्वारा रचित प्रक्रियाओं के जटिल घटक में सही रूप से उपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 16 नवंबर 2010 को इस समारोह के शुभारंभ के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने अच्छे प्रशासन के विकास में वित्त मंत्रालय और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक संस्थान के बीच करीबी सांझेदारी को माना था। मंत्रालय और विभाग दोनों ही सार्वजनिक व्ययों में पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ-साथ सरकार के अंतर्गत पर्याप्त और प्रभावी आंतरिक नियंत्रण और जोखिम प्रबंधन की जरूरत के प्रति सजग हैं।प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार बेहतर आंतरिक लेखा परीक्षण कार्य प्रणालियों को सुनिश्चित करने के प्रति वचनबद्ध है और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (डीपीसी) अधिनियम, 1971 के संशोधनों के लिए दिये गये प्रस्तावों पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इन संशोधनों से नवीन तंत्र से युक्त प्रशासन के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को कार्यप्रणाली से निपटने के लिए और प्रभावी बनाया जा सकेगा।
भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक संस्थान के 150 वर्ष पूर्ण होने के ऐतिहासिक अवसर पर भारत सरकार ने स्मारक सिक्कों को भी जारी करने का फैसला किया है। मुखर्जी ने कहा कि 150 और 5 रूपये के इन स्मारक सिक्कों को जारी करने पर उन्हें प्रसन्नता होगी। उन्होंने भारतीय लेखा परीक्षक और लेखा विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को भी अपनी शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद जताई कि वे भविष्य में भी इसी उत्साह और जोश के साथ अपने सर्वश्रेष्ठ कार्य को जारी रखेंगे।