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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी का कहना है कि समाचार माध्यमों, मनोरंजन और संचार की विभाजक रेखाएं मिट रही हैं, जिसका मतलब यह है कि पत्रकारिता, जनसंपर्क और विज्ञापन तथा मनोरंजन एक हो रहे हैं। बुधवार को राष्ट्रीय प्रेस दिवस का उद्घाटन करते हुए उन्होंने इस बात पर चिंता प्रकट की कि टेक्नोलॉजी विकास और मीडिया कनवर्जेंस (आमेलन) से व्यापारिक मूल्य भले ही बढ़ते हों, लेकिन यह समाचार प्रसारण में परंपरागत सार्वजनिक सेवाओं के लिए चुनौतियां भी प्रस्तुत करता है।
मोहम्मद हामिद अंसारी की राय थी कि आज कल मीडिया, विपणन और विज्ञापन में ही नहीं, बल्कि व्यापारिक संगठनों तथा देशों के बीच भी 'सॉफ्टपावर' बन गया है, कठोर सत्य यह है कि मीडिया की उद्यमशीलता व्यापारिक जोखिम की एक जरूरी शर्त बन गई है। उन्होंने कहा कि आजकल मीडिया अर्थव्यवस्था के उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है जो दूसरों के मुकाबले अधिक प्रगति कर चुका है, उस पर कम से कम नियंत्रण है और किसी सरकारी विनियामक के न होने के चलते वह आत्म-नियंत्रण के नियम के तहत आ गये हैं, हालांकि यह आत्म-नियंत्रण बाहर से लागू नहीं किया जाता।
अंसारी ने कहा कि सक्रिय मीडिया के बिना लोकतंत्र अधूरा है। भारत में इस समय 50 हजार से ज्यादा पत्र-पत्रिकाएं और सैकड़ों टीवी चैनल काम कर रहे हैं। उन्होंने 'पेड न्यूज' संबंधी विवाद की चर्चा भी की और कहा कि इस विषय पर प्रेस परिषद और संसद सहित कई मंचों पर चर्चा हो चुकी है। उन्होंने इस बात पर संतोष प्रकट किया कि अब इस मामले में 'मौन धारण' की प्रवृत्ति टूट रही है और इस बुराई पर खुल कर चर्चा की कोशिशें हो रही हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने सभी हितधारकों- मीडिया संगठनों, उद्योग, सिविल सोसाइटी, प्रायोजकों और दर्शकों-पाठकों से अनुरोध किया कि वे इस व्यवसाय की चिंताओं पर ध्यान दें और जन-कल्याण सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें।