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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वर्तमान बैंक कर्मचारियों के ज्ञान और कुशलता में बढ़ोतरी की जरूरत बतायी है। अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग की शीर्ष बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमें बैंकिंग सेवाओं के प्रसार की तेजी बरकरार रखनी है और ऐसा करते हुए फिलहाल दुनिया भर में छाई अनिश्चतिताओं का सामना करना है। यूरोपीय देशों में वित्तीय संकट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें घरेलू चिंताओं और बढ़ रहे एनपीए की चुनौतियों का भी सामना करना है।
वित्तीय समावेशन को इस समय की सबसे ऊंची प्राथमिकता बताते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि बैंकिंग सुविधाओं और सेवाओं को गांवों तक फैलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस समय सिर्फ 38 प्रतिशत बैंक शाखाएं गांवों में खुली हुई हैं और देश की आबादी के केवल 40 प्रतिशत लोगों के पास बैंक खाते हैं। वित्तीय उपायों में समावेशन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें देश के दो हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले लगभग 73 हजार गांवों को मार्च 2012 तक बैंक सुविधाएं दिलानी हैं। उन्होंने बैंकिंग सुविधाओं के प्रसार को आर्थिक सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए जरूरी बताया और कहा कि इससे अर्थव्यवस्था के समावेशी विकास में मदद मिलेगी, देश में नए बैंक खुलने से इस क्षेत्र में प्रतियोगिता बढ़ेगी, जिससे बैंकों और अर्थव्यवस्था के विकास की संभावनाएं बेहतर होंगी। उन्होंने भारतीय बैंकों से इस अवसर से लाभ उठाने की अपील की।