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नोएडा। नोएडा में निर्माणाधीन अंबेडकर पार्क से पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन और पक्षी अभ्यारण्य पर इसके प्रभाव पड़ने के आरोपों के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त एक समिति ने इसका निरीक्षण किया। दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव पीवी जयकृष्णन की अध्यक्षता में सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी ने पार्क में निर्मित ढांचे का दौरा किया और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से मुलाकात की।
पता चला है कि विवादित निर्मित ढांचा और काटे गए हरे-भरे पेड़ों के संबंध में समिति ने विस्तृत जानकारी हासिल की जिसमें नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से अधिकांश प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर नही मिल सके। यह पार्क मूर्तियों और पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने के आरोपों के कारण चर्चा में है और मामला सुप्रीम कोर्ट में है। उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल पार्कों में लग रही मूर्तियों और सरकारी धन के बड़े पैमाने पर दुरूपयोग का विरोध कर रहे हैं। साथ ही कई स्वयं सेवी संस्थाओं ने भी मूर्तियों और स्मारकों पर सवाल उठाए हैं।
केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने भी नोएडा के इस पार्क में पर्यावरण मानकों के उल्लंघन की बात कही है। दूसरी ओर प्रदेश सरकार का कहना है कि पार्कों का निर्माण नियमों के अनुसार ही हो रहा है। वहीं आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं से यह हकीकत सामने आई है कि नोएडा के सेक्टर 15-ए और सेक्टर 16-ए के सामने स्थित नंदन कानन पार्क में लगभग 1100 करोड़ रूपए की लागत से हो रहे निर्माण कार्यों के लिए कोई टेंडर नहीं आमंत्रित किया गया। मनमाने ढंग से अपने चहेतों से काम कराकर इसमें खुली लूट की जा रही है। मिली जानकारियों से पता चला है कि मूर्तियां लगाने के मामले में अनियमितताओं की सारी हदें तोड़ दी गईं हैं।
उत्तर प्रदेश में पार्कों और मूर्तियों की स्थापना में सैकड़ों करोड़ रूपए के दुरूपयोग और उनके इस्तेमाल में मंत्रियों के चहेतों को ठेके, निर्माण को बार-बार तुड़वाने और बनवाने की गंभीर शिकायतों की गूंज है। उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को इस कारण भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। राज्य में लखनऊ और नोएडा सहित और जगहों पर भी इस प्रकार के भ्रष्टाचार की शिकायतों का अंबार लगा हुआ है।अवैध निर्माण की इंतेहा तो यह है कि इसमें सामान्य तो छोड़िये, विशिष्ट मानकों की भी धज्जियां उड़ायी गई हैं।