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भारत में विज्ञान को आश्चर्यजनक सफलता

भारत मौसम विज्ञान विभाग का 137 वां स्थापना दिवस

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डॉ. अश्विनी कुमार/dr. ashwani kumar

नई दिल्ली। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के भूतपूर्व सचिव प्रोफेसर यशपाल ने कहा है कि विसंगतियां जीवन का अहम पहलू हैं, अगर कोई व्यक्ति विसंगतियों को नहीं समझता, तो वह जिंदगी को भी नहीं समझ सकता। रविवार को भारत मौसम विज्ञान विभाग के 137वें स्थापना दिवस पर संबोधन में डॉ यशपाल ने बताया कि विज्ञान के क्षेत्र में काम करना कितना मुश्किल और कितना आश्चर्यजनक है, अंततः इससे समाज को लाभ होता है, यह आगे काम करने की प्रेरणा देता है।
डॉ यशपाल ने कहा कि वह बीते जमाने की बात है, जब मौसम पूर्वानुमानी खिड़की से बाहर देखकर मौसम को महसूस कर मौसम पूर्वानुमान बताया करता था, अब बहुत से उपकरणों का प्रयोग किया जाता है और गणितीय विश्लेषण से स्पष्ट जानकारी दी जाती है। कॉस्मिक किरणों, मौसम विज्ञान से संबंधित दवाब को नापने, संचार, प्रसारण, विमानन आदि के संदर्भ में विज्ञान के क्षेत्र में यह योगदान काफी महत्वपूर्ण है। डॉ यशपाल ने डॉ सतीश धवन को याद करते हुए कहा कि उनके द्वारा स्थापित समन्वय समितियों के बगैर यह संभव नहीं था। प्रोफेसर यशपाल ने सभी को यह सलाह दी कि वे अपने मनपसंद कार्यक्षेत्र में काम करें।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि आईएमडी ने उत्कृष्टता के साथ आधुनिक विज्ञान के एक समूचे नए दौर में प्रवेश किया है, अवलोकन प्रणाली का आधुनिकीकरण, मौसम पूर्वानुमान के लिए अंकीय तरीकों के इस्तेमाल के लिए उच्च प्रदर्शन करने वाली कंप्यूटिंग प्रणाली की शुरुआत (भारत के प्रथम सुपर कंप्यूटर से सौ गुणा अधिक शक्तिशाली) और नवीन सूचना प्रौद्योगिकी आधारित डाटा प्रोसेसिंग प्रणाली हाल के वर्षों की प्रमुख उपलब्धियां रही हैं। डोपलर मौसम रडार पर आधारित तत्काल मौसम की जानकारी देने की प्रणाली भी काफी नवीन है और एक सेवा क्षेत्र के रुप में इसे अभी स्थापित होना है, प्रसार प्रणाली के सीधे जनता और उपयोगकर्ता समूहों तक पहुंचने से समय की बचत होगी। इस प्रणाली का लक्ष्य बेहद विशिष्ट क्षेत्रों में मौसम से संबंधित गंभीर चेतावनी की सूचना प्रदान करना है।
इससे पहले पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री ने दिल्ली में देश के प्रथम सी- बैंड डोपलर रडार का उद्घाटन किया। यह रडार मेट्रो शहर में मौसम पूर्वानुमान से संबंधित गंभीर चेतावनी प्रदान करने में सहायक होगा। आने वाले तूफान से प्रभावित होने वाले शहर के भागों की जानकारी से आम इंसान के साथ ही नागरिक प्राधिकरणों को भी इससे मदद मिलेगी। संवाददाताओं से बात करते हुए डॉ अश्विनी कुमार ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए आईएमडी और मंत्रालय के नवीन कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन योजनाएं की फिलहाल वैज्ञानिक जांच चल रही है और कुछ महीनों में इन्हें अंतिम रुप दे दिया जाएगा। इन योजनाओं में पर्वतीय मौसम विज्ञान शामिल है, जो हिमालय को समाविष्ट करेगा, कृषि मौसम विज्ञान देश के सभी भागों में विस्तृत होगा। विमानन मौसम विज्ञान के तहत निरंतर अवलोकन सेंसरों के जरिए सभी हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण किया जाएगा, इसके अतिरिक्त महानगरों में मौसम सेवा की योजना भी है।
राज्य मंत्री ने बताया कि आईएमडी का अगला लक्ष्य जलवायु सेवा है, जिससे मौसम और वर्ष के 10-15 दिन पूर्व इसके दीर्घावधि व्यवहार की जानकारी प्राप्त हो सके। दशकीय और शताब्दी पैमाने में बदलाव भी समाज के लिए महत्वपूर्ण है। जलवायु आंकडे और कृषि, जल संसाधन, मानव, पशु और पौधों की सेहत आदि पर जलवायु परिवर्तन के असर का अध्ययन करना भी ज़रुरी है, इसके अलावा जनता से जुड़ाव में भी मूलभूत परिवर्तन कर इसे जनता द्वारा प्राप्त जानकारी से जनता को प्रदान की गई जानकारी में तबदील करना होगा। भारत मौसम विज्ञान विभाग के 137वें स्थापना दिवस के अवसर पर पृथ्वी-विज्ञान मंत्रालय के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और अधिकारियों को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर दो पुस्तकों का भी विमोचन किया गया। क्लाईमेटोलॉजिकल टेबल्स नामक पुस्तक जलवायु विज्ञान के तीस वर्षों का संकलन है। डॉएम मोहपात्रा, एचआर बिस्वास और जीके सवाईसर्जे को 25वां द्विवार्षिक मौसम पुरस्कार प्रदान किया गया।
सर्वोत्कृष्ट आंकडों की प्राप्ति, उपकरणों के रखरखाव और नौवहन पूर्वानुमान सत्यापन के आधार पर मुंबई के क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र को सम्मानित किया गया। प्रदर्शन के आधार पर रायपुर को वर्ष 2010-11 के लिए सर्वोत्कृष्ट पूर्वानुमान क्षमता के लिए चयनित किया गया और कोलकाता वेधशाला को आरएस, आरडब्ल्यू अवलोकन के लिए सर्वोत्कृष्ट बेस चुना गया। आईएमडी के 15 कर्मचारियों को विभिन्न सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया जिसमें सर्वश्रेष्ठ हिंदी अनुवाद, आवंटित कार्य के अलावा उत्कृष्ट और समर्पित कार्य शामिल है।

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