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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा है कि अनुभव से पता चलता है कि आम लोगों के हितों की सुरक्षा की सर्वोत्तम गारंटी सुदृढ़ और स्वतंत्र मानसिकता वाले संपादकों के होने में है, मगर आज इस प्रकार के संपादक विरले हैं। दिल्ली में पत्रकारिता में श्रेष्ठता के लिए वर्ष 2010-11 के रामनाथ गोयनका पुरस्कार प्रदान करने के बाद उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय मीडिया संगठन में संपादक संस्था का धीमे-धीमें ह्रास एक वास्तविकता है, जब मीडिया में स्थान और उत्पादों को पूर्णत: राजस्व को बढ़ाने की नीतियों के रूप में लिया जाता है, तो संपादक विपणन विभागों को स्थान देने पर विवश हो जाता है।
हामिद अंसारी ने विचार व्यक्त किया कि हमने अभी तक बहु-स्वामित्व और क्रॉस स्वामित्व अथवा मीडिया संबंधी ऐसी अकाट्य राष्ट्रीय नीति जो सभी मंचों से संबंधित हो, के विषय पर चर्चा नहीं की है, जो सभी मंचों को अपनी परिधि में लेती हो। उन्होंने कहा कि यह अन्य विकसित लोकतंत्रों की परंपरा के विरूद्ध है। आम राय तैयार करने, राजनीतिक चर्चा चलाने और उपभोक्ता तथा सार्वजनिक हित को सुरक्षित करने में समूचे मीडिया क्षेत्र पर अपना आधिपत्य बनाए रखने वाले कुछ चुनिंदा मीडिया समूह के उभरने का प्रभाव मूल प्रश्न है। उन्होंने कहा कि मीडिया क्षेत्र में सुदृढ़ीकरण की दिशा में आंदोलन को देखते हुए यह मामला तात्कालिक हो गया है, मीडिया क्षेत्र में बड़े कॉरपोरेटों के आने से, विशेष रूप से बढ़ती हुई पूंजीगत आवश्यकताओं से निपटने के लिए, अपेक्षा की जा सकती है, जिससे पारदर्शिता और स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके।
उपराष्ट्रपति ने रामनाथ गोयनका की स्मृति को श्रद्धाजंलि देने के लिए आयोजित समारोह में भाग लेने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि वे भारत के पुलित्जर थे, पत्रकारिता में श्रेष्ठता मनाने के लिए उनके नाम पर गठित पुरस्कार उनके उत्साह और प्रतिबद्धता को उचित श्रद्धाजंलि है। उन्होंने कहा कि जैसा हम जानते हैं, यह विश्व संकुचित होता जा रहा है और इसने मीडिया के उत्पादों, पारेषण और उपभोग के प्रतिमान को बदल दिया है। पत्रकारिता से संबंधित इसके तीन पहलु उल्लेखनीय है-यह स्पष्ट हो गया है कि प्रौद्योगिकी न तो मूल्य–तटस्थ है और न ही परंपरागत रूप से इक्विटी संचालित है। दूसरा-समाचार मीडिया, मनोरंजन और दूरसंचार ने पत्रकारिता, जन संपर्क, विज्ञापन और मनोरंजन के बीच हदबंदी समाप्त कर दी है। तीसरा-पत्रकारिता का सार्वजनिक उद्देश्य, जिसने पहले के युग में हमारा पथ प्रदर्शन किया था बदल गया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बदले हुए और बदलते हुए विश्व में यह स्मरण करना उपयोगी होगा कि लोकतंत्र में गतिशील पत्रकारिता वाचडॉग पत्रकारिता है, यह समाज में अधिकार और प्रभाव के इस्तेमाल पर नजर रखता है और नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता है, यह नागरिकों को सूचित करता है और उन्हें सशक्त बनाता है, बजाय इसके कि वह उनका मनोरंजन करता है। अंसारी ने कहा कि गतिशील पत्रकारिता व्यावसायिक नैतिकता पर आधारित है और यह लोकतंत्र में नियम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा मीडिया और लोकतंत्र भाग्यशाली हैं कि हमारे पास पत्रकारों के कुशाग्र और विवेकाशील उदाहरण हैं, जिन्होंने न केवल नैतिक आयामों को साकार किया बल्कि उनके लिए अपने जीवन का बलिदान भी किया।
उन्होंने कहा कि मीडिया लोकतंत्र में चौथा स्तंभ है, यह जनता को सूचित करने की प्रमुख भूमिका निभाता है और इस प्रकार धारणाओं को और इसके जरिये राष्ट्रीय एजेंडे को साकार रूप देता है, पत्रकारिक नैतिकता के स्वीकृत तौर-तरीकों का पालन करना और व्यवसायिक आचरण के उच्च मानकों का रख-रखाव प्राकृतिक परिणाम समझे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया के सिद्धांत सार्वजनिक चर्चा का एक मुद्दा हैं, मैं इस बारे में दो बातें कहना चाहता हूं। पहले तो अन्य लोकतांत्रिक समाजों में इन सिद्धांतों का उद्देश्य मीडिया संस्थाओं के बीच विविधता, प्रतिस्पर्द्धा और स्थानीयता को बढ़ाना और संवैधानिक मूल्यों को स्थापित करना, लघु लोगों का सरंक्षण करना और विज्ञापन को सीमित करने को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक हित को बढ़ावा देना है। दूसरे, हमने बहु-स्वामित्व और क्रॉस-स्वामित्व के मामले पर देश में अभी तक कोई चर्चा नहीं की है और न ही हमारी कोई अकाट्य राष्ट्रीय मीडिया नीति है, जो सभी मंचों से संबंधित हो।
उपराष्ट्रपति ने अपने वक्तव्य में व्यवसाय के एक अन्य पहलू की भी चर्चा की। विकास प्रक्रिया के ढांचागत पक्षपात ने ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों का पक्ष लिया है। इसी प्रकार महानगरीय क्षेत्रों की अन्य शहरी क्षेत्रों पर, अंग्रेजी भाषियों का अन्य भारतीय भाषाओं बोलने वालों पर, मध्य और उच्च वर्गो का अन्य लोगों पर, सेवा क्षेत्रों का कृषि जैसे अन्य क्षेत्रों पर वर्चस्व। उन्होंने अपने भाषण के अंत में सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और कामना की कि वे अपने चुनिंदा व्यवसाय तथा राष्ट्र की सेवा में अनेक वर्ष प्रदान करें। उन्होंने रामनाथ गोयनका स्मारक संस्थान और इंडियन एक्सप्रेस समूह के अध्यक्ष विवेक गोयनका का उन्हें इस समारोह में आमंत्रित करने के लिए भी आभार प्रकट किया।