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लाचित बोरफुकन का नेशन फर्स्ट सिद्धांत प्रेरणाप्रद!

'युद्ध के मैदान में अंतर्देशीय जलमार्गों के रणनीतिक महत्व को पहचाना'

जलमार्ग मंत्री ने मनाई अहोम सेनापति लाचित बोरफुकन की जयंती

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 25 November 2024 05:35:36 PM

birth anniversary of ahom commander lachit borphukan

नई दिल्ली। भारत सरकार में पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने महान अहोम सैन्य कमांडर लाचित बोरफुकन की 402वीं जयंती पर दिल्ली में सरकारी निवास पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि लाचित बोरफुकन की सैन्य प्रतिभा ने असम में मुगलों को हराया, जो किसीभी विदेशी आक्रमण या प्रभाव के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को प्रेरित करता है और किसीभी कीमत पर मातृभूमि के सम्मान की रक्षा करता है। उन्होंने कहाकि लाचित बोरफुकन की अदम्य वीरता और देशभक्ति हम सभी, विशेष रूपसे युवाओं को प्रेरित करती है। उन्होंने कहाकि मुगल सेनाओं से असम की रक्षा केलिए सराईघाट के ऐतिहासिक नौसैनिक युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व और रणनीतिक प्रतिभा ने उन्हें एक नायक के रूपमें अमर कर दिया, उनके नेतृत्व में असम की सेना ने केवल असम के अस्तित्व, बल्कि उसके भविष्य को भी सुरक्षित रखा। सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि सराईघाट की लड़ाई ब्रह्मपुत्र नदी पर लड़ी गई सबसे बड़ी नौसैनिक लड़ाइयों में से एक है, यहीं पर लचित बोरफुकन ने युद्ध के मैदान में अंतर्देशीय जलमार्गों के रणनीतिक महत्व की पहचान की।
जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि लाचित बोरफुकन की दूरदृष्टि से प्रेरित होकर हमने देश के जलमार्गों को मजबूत करने और अपने राज्य को सशक्त बनाने केलिए ब्रह्मपुत्र नदी की क्षमता का दोहन करने केलिए कारगर कदम उठाए हैं। उन्होंने कहाकि सराईघाट की लड़ाई अस्तित्व की लड़ाई थी, असमिया राष्ट्र की गरिमा और आत्मसम्मान को बनाए रखने की लड़ाई थी। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारत पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने केलिए दृढ़ संकल्पित मुगलों को लाचित बोरफुकन की ओरसे विकट चुनौती का सामना करना पड़ा, उनकी प्रतिभा और साहस ने न केवल मुगलों की महत्वाकांक्षाओं को विफल किया, बल्कि शक्तिशाली मुगल साम्राज्य की कमजोरियों को भी उजागर किया। लाचित पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के आयोजित लाचित बोरफुकन के जयंती समारोह में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य और इतिहासकार संजीव सान्याल एवं गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। संजीव सान्याल ने कहाकि लाचित बोरफूकन भारत के सबसे महान सेनापति हैं, जिन्होंने मुगलों को हराया, जिससे देशमें मुगलशक्ति के पतन की शुरुआत हुई। उन्होंने बतायाकि लाचित बोरफुकन के अधीन अहोमों से पहले कोईभी मुगल की घुड़सवार सेना या मारक क्षमता को हरा नहीं सकता था या मात नहीं दे सकता था। संजीव सान्याल ने कहाकि बड़ी तोपों से लैस मुगल जहाजों को हराने केलिए अहोम नौसेना को तैयार करने में लाचित बोरफुकन की सैन्य प्रतिभा ने दुनिया में नदी पर लड़े गए सबसे महान नौसैनिक युद्ध में से एक की पटकथा लिखी।
इतिहासकार संजीव सान्याल ने बतायाकि सराईघाट में मुगलों को बुरी तरह से हराया, मुगलों ने अपनी बढ़त खो दी और उन्हें मराठा नौसेना ने नष्ट कर दिया। संजीव सान्याल ने कहाकि भारत के इतिहास को आकार देने में नौसेना की भूमिका का जश्न मनाना चाहिए, इसे ध्यान में रखते हुए सरकार गुप्तकाल की प्रतिकृति जहाज का पुनर्निर्माण कर रही है, यह न केवल पानी पर भारत की सर्वोच्चता के हमारे दृष्टिकोण को उजागर करेगा, बल्कि हमें भारत की शानदार समुद्री विरासत की शक्ति को समझने में भी मदद करेगा। उन्होंने कहाकि सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में हम दुनिया में अंतर्देशीय जलमार्गों की एक प्रमुख शक्ति के रूपमें अपनी क्षमता की समीक्षा कररहे हैं। उन्होंने सर्बानंद सोनोवाल का मराठा युग केसाथ-साथ अहोम युग की नौकाओं को फिरसे बनाने केलिए समर्थन देने का आह्वान किया। मैरीटाइम इंस्टीट्यूशन और सेंट्रल बैंड के कैडेटों ने इस अवसर पर अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत लाचित बोरफुकन को पुष्पांजलि अर्पित करने से हुई, जिसमें 1671 में सराईघाट की लड़ाई के नायक के रूपमें उनकी विरासत का सम्मान किया गया, जहां उन्होंने मुगल सेना के खिलाफ अहोम सेना का नेतृत्व किया और जीत प्राप्त की। इस दौरान समुद्री विरासत और राष्ट्रीय गौरव पर लाचित बोरफुकन के स्थायी प्रभाव और भारत की संप्रभुता की रक्षा में अनुकरणीय भूमिका पर ध्यान केंद्रीत किया गया।

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