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एनएफडीसी का राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन

अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में क्लासिक्स फिल्मों की विशेष स्क्रीनिंग

सिनेमा प्रेमियों के पास पुरानी उत्‍कृष्‍ट फिल्‍मों का आनंद लेने का मौका

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 28 November 2024 01:10:52 PM

classic films awara

पणजी। गोवा में जारी अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 55वें संस्करण में ‘रीस्‍टोर्ड क्लासिक्स’ खंड में भारत की समृद्ध सिनेमाई विरासत को प्रदर्शित किया जा रहा है। यह राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन केतहत नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया के अथक प्रयासों को दर्शाता है, जो भारत की अद्वितीय फिल्म विरासत को संरक्षित करता है। इसवर्ष इफ्फी में सिनेमा प्रेमियों केपास पुरानी उत्‍कृष्‍ट फिल्‍मों का उनके मौलिक स्‍वरूप में आनंद लेने और भारतीय सिनेमा की स्थायी विरासत का जश्न मनाने का विकल्प है, जहां देशभर से जुटाई गई कुछ पुरानी उत्कृष्ट कृतियों को उनके मौलिक स्‍वरूप में प्रदर्शित किया जा रहा है। इनमें प्रमुख हैं-मूक सिनेमा की कालिया मर्दन (1919)-दादा साहब फाल्के निर्देशित इस अग्रणी कृति को 35 मिमी के बचे हुए डुप्लीकेट नेगेटिव का उपयोग करके 4के रेस्टोरेशन से गुज़ारा गया है। सत्यकी बनर्जी और उनकी टीम के लाइव संगीत केसाथ स्क्रीनिंग में फाल्के की सिनेमाई प्रतिभा के अभिनव विशेष प्रभावों और कहानी कहने की कला को उजागर किया गया है।
तेलुगु सिनेमा की देवदासु (1953) बंगाली क्लासिक ‘देवदास’ का यह रूपांतरण, जिसमें अक्किनेनी नागेश्वर राव दुखद नायक की भूमिका में हैं, मैटिनी आइडल एएनआर के शताब्दी समारोह का अवसर है। यह पुनर्स्थापन भारतीय सिनेमा पर उनके अमिट प्रभाव को श्रद्धांजलि देता है। हिंदी सिनेमा की आवारा (1951) 35 मिमी डुप्लीकेट नेगेटिव से मौलिक स्‍वरूप में तैयार की गई, राज कपूर निर्देशित यह कालातीत क्लासिक धन, शक्ति और भाग्य के विषयों की खोज करती है। कपूर परिवार के एनएफडीसी-एनएफएआई को फिल्म सामग्री के अमूल्य योगदान से यह संभव हो पाई है। हम दोनों (1961) द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित देव आनंद की क्लासिक फिल्म, जिसमें उनकी दोहरी भूमिका है और जयदेव का शानदार साउंडट्रैक है, मोहम्मद रफी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में दिखाई गई है। सात हिंदुस्तानी (1969) गोवा में पुर्तगाली शासन के खिलाफ़ प्रतिरोध की यह मार्मिक कहानी, जिसमें युवा अमिताभ बच्चन ने अभिनय किया है, फ़िल्म के लंबे समय से चले आ रहे प्रभाव की गवाह है, जो 35 मिमी कैमरा निगेटिव से तैयार यह एकता और देशभक्ति की भावना का जश्न मनाती है।
बांग्‍ला सिनेमा की हारमोनियम (1976) सुप्रसिद्ध फिल्‍म निर्देशक तपन सिन्हा निर्देशित क्लासिक को फिल्म निर्माता के शताब्दी समारोह में प्रदर्शित किया जाएगा। पश्चिम बंगाल राज्य फिल्म अभिलेखागार की संरक्षित 35 मिमी मूल कैमरा निगेटिव से तैयार हारमोनियम की दुखद यात्रा की मार्मिक कहानी को तपन सिन्हा ने स्वयं संगीतबद्ध किया है। सीमाबद्ध (1971) सत्यजीत रे की प्रतिष्ठित तीन फिल्‍मों का एक हिस्सा, एक महत्वाकांक्षी बिक्री प्रबंधक के जीवन के माध्यम से कॉर्पोरेट क्रूरता की खोज करती है। बहाली में पीटर फैन विज्ञापन को प्रदर्शित करने वाला एक मिनट का रंगीन अनुक्रम शामिल है, जो पहले उपलब्ध नहीं था। फिल्म की 2022 में प्रतिद्वंदी की बहाली केबाद कलकत्ता में सत्‍यजीत रे की तीनों फिल्‍मों को फिरसे प्रदर्शित करने के प्रयास को जारी रखती है। इन सिनेमाई रत्नों की बहाली का काम 300 से ज़्यादा समर्पित पेशेवरों ने 4के स्कैनिंग, रंग सुधार और ध्वनि बहाली तकनीकों का इस्तेमाल करके किया है। इन फ़िल्मों में मौजूद फ़्रेम, खरोंच और अन्य नुकसानों की सावधानीपूर्वक मरम्मत की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकेकि फ़िल्में आधुनिक सिनेमा के मानकों को पूरा करते हुए अपनी मौलिकता बनाए रखें।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आनेवाले एनएफडीसी-एनएफएआई के ये अभूतपूर्व प्रयास भारत की सिनेमाई विरासत को संरक्षित करने में एक बड़ी उपलब्धि हैं। सबसे बेहतरीन तरीके से संरक्षित फिल्म तत्वों को प्राप्त करके एनएफडीसी-एनएफएआई ने उच्चतम गुणवत्ता वाली बहाली सुनिश्चित की है, जिससे इन उत्कृष्ट कृतियों को भविष्य की पीढ़ियों केलिए फिरसे जीवंत किया जा सके। आईएफएफआई में इन पुनर्स्थापित क्लासिक्स की स्क्रीनिंग उन अग्रदूतों और कहानीकारों को सम्मानित करने का एक प्रयास है, जिनकी रचनाएं दुनियाभर के दर्शकों को प्रेरित और शिक्षित करती रहती हैं।

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