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नई दिल्ली। असम के दीमा हलम दाओगाह (डीएचडी) गुट और सुरक्षाबलों के बीच कार्रवाई स्थगन समझौते को छह महीने के लिए 30 जून 2012 तक बढ़ा दिया गया है। इस समझौते को लागू करने की समीक्षा के लिए गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) के नेतृत्व में एक संयुक्त निगरानी समूह गठित किया गया। समूह की बैठक समय-समय पर होती रहती है। इस बीच, डीएचडी की मांगों पर त्रिपक्षीय बातचीत जारी है। गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व निदेशक पीसी हलदर को सरकार का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है। समझौते के ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए संगठन के साथ पिछली त्रिपक्षीय बैठक 17 दिसंबर 2011 को हुई थी। दीमा हलम दाओगाह के नाम से दीमासा उग्रवादी संगठन ने असम के उत्तरी कछार पहाड़ी जिले में दिसंबर 1994 में सिर उठा लिया था। दिसंबर 2002 में इस संगठन ने आगे आकर भारत के संविधान के दायरे के भीतर हिंसा छोड़ने और समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की इच्छा व्यक्त की।
इसी प्रकार केंद्र सरकार और नेशनल डेमोक्रटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड, प्रोग्रेसिव (एनडीएफबी-पी) के बीच कार्रवाई स्थगन समझौते को छह महीने के लिए 30 जून 2012 तक बढ़ा दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय, असम सरकार और एनडीएफबी के बीच 24 मई 2005 को कार्रवाई स्थगन के एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे। यह समझौता 1 जून 2006 को अमल में आया। तीस अक्तूबर 2008 को एनडीएफबी के असम में कई बम विस्फोट करने की घटना को ध्यान में रखते हुए इस समझौते को 6 जनवरी 2009 तक बढ़ा दिया गया था। निचले असम, खासतौर से बोडो बहुल इलाकों में उग्रवादी हिंसा में शामिल एनडीएफबी संगठन बोडो इलाके की प्रभुसत्ता की मांग करता रहा है। समझौता लागू करने की समीक्षा के लिए गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) के नेतृत्व में एक संयुक्त निगरानी समूह गठित किया गया। एनडीएफबी की मांगों पर त्रिपक्षीय बातचीत चल रही है। गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व निदेशक पीसी हलदर को संगठन के साथ बातचीत के लिए सरकार का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है। समझौते के ज्ञापन को अंतिम रूप देने के लिए संगठन के साथ पिछली त्रिपक्षीय 4 दिसंबर, 2011 को हुई थी।