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लखनऊ। रामकृष्ण मठ के सभागार में स्वामी विवेकानंद 150वीं जयंती समारोह में भजन संध्या का आयोजन किया गया। मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानंद, विख्यात भजन गायक अशोक शर्मा, प्रोफेसर कमला श्रीवास्तव एवं डॉ सरोज श्रीवास्तव के स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमंहस एवं माँ शारदा की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन के साथ भजन संध्या शुरू हुई।
स्वामी मुक्तिनाथानंद ने भजन संध्या की विषय वस्तु बताते हुए कहा कि पूरे देश में स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती मनायी जा रही है, जिससे आध्यात्मिक भारत का उदय हो सके। भारत जागो-विश्व जगाओ के संकल्प मंत्र के साथ वैश्विक हिंदू संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए दिल्ली से भजन गायक अशोक शर्मा को आमंत्रित किया गया, जो संपूर्ण विश्व में आध्यात्मिक उर्जा का संचार कर रहे हैं, सदी के महानतम व्यक्तित्व एवं राष्ट्र की आत्मा को जगाने वाले युवा, योद्धा सन्यासी स्वामी विवेकानंद को सभी अपनी आदरांजलि अर्पित करें तभी भारत का पुर्ननिर्माण संभव है।
भजन गायक अशोक शर्मा के मुखारविंद से जैसे ही संगीतमय भजन हीरा जनम अमोल मिला.., मुसाफिर क्यों पड़ा सोता.., एक बार बस एक बार भारत में पधारो श्याम.., भजन गाया तो श्रोता मंत्र-मुग्ध हो गए। मुझे अपनी शरण में ले लो राम.., हमें है काम ईश्वर से.., मैं तो हूं संतों का दास.., भजनों एवं विवेकानंद के प्रेरक प्रसंगों से सभी भक्ति के रस में डूबकर झूमने लगे। संतों की वाणी एवं विवेकानंद के विशेष भजनों ने रामकृष्ण मठ सभागार में परमानंद की अनुभूति ही करा दी। भजन संध्या की संयोजिका एवं संचालन और लखनऊ विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर मधुरिमा लाल ने कहा कि यदि भारत को जानना है, तो विवेकानंद को पढ़ा जाए, वे भारत वर्ष की आध्यात्मिकता, पवित्रता, प्रज्ञा, स्वप्न एवं भविष्य के प्रतीक पुरूष हैं, उनके बताए रास्ते पर चलकर ही भारत विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में खड़ा हो सकता है।
भजन गायक अशोक शर्मा के भजनों की श्रंखला संपूर्ण देश में हो रही है, जिससे सुख-शांति के साथ आध्यात्मिक भारत का उदय हो सकेगा। भजन संध्या में प्रमुख रूप से डॉ अमिता सक्सेना, नंदित श्रीवास्तव, रेखा भाटिया, डॉ एमके सक्सेना, केशव कुमार, रविकांत, वीडी अग्रवाल, प्रोफेसर नरसिंह, डॉ अनूप कुमार सिंह, डॉ नमिता सिंह, कर्तव्या फाउंडेशन के राजकुमार, डॉ हरनाम सिंह सहित रामकृष्ण मठ एवं शहर के गणमान्य नागरिकों ने संगीतमय भजन का आनंद लिया।