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नई दिल्ली। शहरी विकास मंत्रालय के संपदा निदेशालय ने कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों को सरकारी आवास उपलब्ध कराने के दायित्व को अनिवार्य बना दिया है। उच्च श्रेणी के आवास भवनों को उपलब्ध कराने के क्रम में निदेशालय ने पिछले एक साल के अंदर कई कदम उठाए हैं। सरकार, दिल्ली में अपने अधिकारियों के लिए आवासीय भवनों की काफी अधिक कमी के प्रति सजग है, इसी के अंतर्गत राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम-एनबीसीसी ने सरकारी-निजी भागीदारी-पीपीपी मोड़ में न्यू मोती बाग आवासीय परियोजना को पूरा कर लिया है। इसने सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को काफी राहत पहुंचाई है। सरकार ईस्ट किदवई नगर में भी पुनर्विकास के लिए पीपीपी परियोजना को मंजूरी देने की अग्रिम अवस्था में है, जहां 4747 सरकारी आवासीय भवनों को विकसित करने का प्रस्ताव है। इसमें टाइप-5 और उससे निचले स्तर के आवासों की संख्या अधिक होगी। सरकार दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर भी भवनों का निर्माण कर रही है।
यह देखा गया है कि अनेक अधिकारी स्थानांतरण या सेवानिवृत होने के बावजूद आवंटित फ्लैटों या भवनों को खाली नहीं करते हैं। पात्र अधिकारियों के लिए भवनों की कमी में यह भी एक कारण है। संपदा निदेशालय इस तरह के अनाधिकृत भवनों एवं मकानों को खाली कराने के लिए कार्रवाई कर रहा है। साल 2011 के भीतर 815 अनाधिकृत भवनों को खाली कराया जा चुका है। जनवरी से दिसंबर 2011 की अवधि के भीतर आवंटित मकानों को किराए पर दिए जाने की स्थिति में 520 मकानों का आवंटन निरस्त कर दिया गया। वर्ष 2010 में इस तरह के 306 मकानों का आवंटन निरस्त किया गया था। ऐसे निरस्त आवंटित मकानों को खाली कराना भी सुनिश्चित किया जा रहा है। दिसंबर 2011 तक 350 मकानों को खाली कराया जा चुका है।
जनवरी से दिसंबर 2011 की अवधि के दौरान इस तरह से अनाधिकृत कब्ज़ों के हर्जाने के रूप में चार करोड़ 70 लाख रुपये की वसूली की गई है। यह उल्लेख किया गया है कि पहले जब बकाया देय की वसूली के लिए नोटिस भेजे जा रहे थे, तभी इंद्राणी देवी के परिवार के सदस्यों को भी एक नोटिस भेजा गया था, जिसमें 1.98 करोड़ रुपये का बकाया दिखाया गया था, जबकि दस्तावेजों के परीक्षण से यह पाया गया कि मकान नंबर-6 कृष्ण मेनन मार्ग 30 नवंबर 2002 को इंद्राणी देवी के परिवार के सदस्यों ने खाली कर दिया था, जिससे 1.98 करोड़ रूपये की वसूली के नोटिस को वापस ले लिया गया।