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खादी और ग्रामोद्योग के लिए मार्ग चित्र

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खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड/board of khadi and village industries

मुंबई। भारतीय अर्थव्यवस्था में खादी और ग्रामोद्योग (केवीआई) का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू ये है कि यह ग्रामीण कारीगरों को सतत् रोजगार प्रदान करता है। सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम विकास पर कार्यकारी समूह ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के लिए खादी और ग्रामोद्योगों को वैश्विक बाजार में विशुद्ध, विशिष्ट सांस्कृतिक और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों के रूप में प्रस्तुत करने के लिए मार्ग चित्र की संस्तुति की है। केवीआई क्षेत्र में वृद्धि क्षमता को प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि उत्पादन, मूल्य संवर्धन और बिक्री में लगातार बढ़ोतरी हो। बारहवीं योजना के दृष्टिकोण पत्र में यह अपेक्षा की गई है कि विनिर्माण क्षेत्र में 11-12 प्रतिशत की वार्षिक दर और 9-10 प्रतिशत की संपूर्ण वृद्धि दर के साथ बढ़ोतरी होगी। इसी अनुसार क्षेत्र की वृद्धि क्षमता और योजना की अपेक्षा के, मद्देनजर खादी और ग्रामोद्योग उत्पादन के लिए 13 प्रतिशत (खादी-11 प्रतिशत, ग्रामोद्योग-13 प्रतिशत) की वृद्धि दर पर गौर किया गया है। ग्यारहवी पंचवर्षीय योजना के प्रथम चार वर्षों में खादी और ग्रामोद्योग उत्पादन में 9.1 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है।
खादी गतिविधियों को आकर्षक और किफायती बनाने के लिए मूल्य संवर्धन पर प्रमुखता से ध्यान दिया गया है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने 70 प्रतिशत मूल्य संवर्धन प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसे कम से कम 100 प्रतिशत तक बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए उपयुक्त प्रणाली से इस पर निगरानी रखने की जरूरत है। खादी में मूल्य संवर्धन के लिए जिन प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है वो हैं-क्षेत्र के पर्यावरण अनुकूल और प्राकृतिक उत्पादों पर बल देना। केवीआई गतिविधियों को समाविष्ट करते हुए धरोहर ग्रामों की पहचान और विकास। क्लस्टर दृष्टिकोण के तहत ऋण, प्रौद्योगिकी, विपणन मध्यस्थों, क्षमता निर्माण, अभिनव योजनाओं, कौशल विकास, आधारभूत ज़रुरतों आदि से संबंधित एकीकृत सहयोग प्रदान करना। केवीआईसी और केवीआई संस्थानों के पास मौजूद अतिरिक्त जमीन की पहचान और इन जमीनों के प्रभावी इस्तेमाल के लिए कार्य योजना तैयार करना। डिजाइन, प्रौद्योगिकी उत्पाद विकास और प्रक्रियाओं में अभिनवता लाना। सभी आयु वर्गों के लिए केवीआई उत्पाद विकसित करना। ग्रामीणों के लिए रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए केवीआई उत्पादों के बाजार के हिस्से में वृद्धि के लिए कदम उठाना। विभागीय बिक्री केंद्रों और केंद्रीय रजत संयंत्रों को आकर्षक और अतिरिक्त उत्पादन केंद्रों के रूप में तैयार करना।

बारहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए खादी और ग्रामोद्योग का अनुमानित उत्पादन निम्नवत है–
(करोड़ रुपये में)

वर्ष

खादी

ग्रामोद्योग

कुल

2012-13

781.36

23776.50

24557.86

2013-14

848.00

26154.00

27002.00

2014-15

924.00

28769.00

29693.00

2015-16

1012.00

31645.86

32657.86

2016-17

1113.00

34810.44

35923.44

कुल

4,678.36

145,155.80

149,834.16

चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर

11%

13%

13%

योजना में खादी गतिविधियों को कला और खादी कारीगरों को कलाकारों के रूप में पहचान देने का प्रस्ताव शामिल है। मौजूदा बाजार विकास सहायता (एमडीए) योजना कलाकारों को खादी उत्पादन पर एमडीए में अतिरिक्त प्रोत्साहन के रूप में 25 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करती है। पर्यावरण-अनुकूलता, जैविक क्षरणता, आसान उपलब्धता और विशिष्ट धरोहर उत्पाद, विशिष्ट संस्कृति उत्पाद, मानवनिर्मित और आरामदायक जैसे लक्षणों के संदर्भ में भारतीय खादी का फैलाव किया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों, व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल और खरीदारों-विक्रेता मुलाकातों के जरिए और विदेशों में विशेष आयोजनों से केवीआई के निर्यात पर खास ध्यान दिया जाएगा।
खादी की वास्तविकता और परिशुद्धता की प्रमाणिकता के लिए समय पर यथोचित खादी निशान (खादी मार्क) को सुनिश्चित करने के लिए कार्य किया जाएगा। खादी निशान प्रदान करने के लिए मौजूदा खादी प्रमाणन नियमों को पहले ही संशोधित किया जा रहा है। खादी निशान जारी करने और पुर्ननवीनीकरण के लिए परिशुद्धता का स्वतंत्र तृतीय पार्टी प्रमाणन किया जाएगा। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक संस्थान (एमजीआईआरआई) को ग्रामीण औद्योगिक संस्थानों में उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकीय संस्थानों के साथ मिलकर इसकी संरचना को मजबूत और विस्तृत किया जाएगा। साथ ही ग्रामीण औद्योगिक संस्थानों में अभिनव विचारों को पोषित और उत्पादों, प्रक्रियाओं के विकास और ग्रामीण उद्यमों के लिए गुणवत्ता जांच और मार्गनिर्देशन के लिए प्रौद्योगिकी का प्रसार किया जाएगा। वर्ष 2005-06 के दौरान क्लस्टर आधारित योजना स्फूर्ति की शुरुआत की गई थी और ग्यारहवी पंचवर्षीय योजना के दौरान इसे 29 खादी और 50 ग्रामोद्योग क्लस्टरों में लागू किया गया था। केवीआई क्लस्टरों के संदर्भ में बाह्य मूल्यांकन अध्य्यन किया गया और इसके परिणाम उत्साहवर्धक रहे। अधिक अनुदान और 1000 करोड रूपए के प्रस्तावित लागत के साथ 915 केवीआई क्लस्टरों में इस योजना को शुरु करने का प्रस्ताव है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) ने युवाओं, खासतौर पर शिक्षित बेरोजगारों के बीच यह आशा जगाई है कि वे स्वयं उद्यमी बन सकते हैं, विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन के लिए परियोजना लागत के बढ़े हुए सीमा दायरे, लेकिन बड़ी परियोजनाओं के लिए कम सब्सिडी के साथ योजना को और अधिक विस्तृत करने का प्रस्ताव है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान चार लाख सूक्ष्म उद्यमों के निर्माण के जरिए 32 लाख रोजगार अवसर सृजित करने के वास्ते 9700 करोड़ रूपए की अनंतिम लागत जिसमें 9200 करोड़ की अतिरिक्त सब्सिडी राशि (मार्जिन मनी सब्सिडी) और पीछे और आगे की श्रृंखला घटक के रुप में 500 करोड़ रुपए की राशि शामिल है।
बारहवीं योजना में जारी रहने वाली प्रस्तावित मौजूदा योजनाएं इस प्रकार हैं-पीएमईजीपी, केआरडीपी, एमजीआईआरआई, आईएसईसी, एमडीए, जेबीवाई और स्फूर्ति (Sfurti)। बारहवीं योजना में प्रस्तावित नवीन योजना इस प्रकार है-केवीआई, सीबीसी के लिए ऋण माफी-निपटान योजना। यह योजना एक बार में पुराने ऋणों के ऋण माफी, निपटान के लिए है। पूर्व-सीबीसी और सीबीसी ऋणों के संदर्भ में ऋण माफी, निपटान के लिए 300 करोड़ रुपए की अनंतिम लागत का प्रस्ताव है, ताकि संस्थान अपना संचालन नए सिरे से कर सके।

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