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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि अब उन्हें विश्वास है कि मुद्रास्फीति में संयम आगामी महीनों में भी जारी रहेगा, प्राथमिक गैर-खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में तेजी से गिरावट के बावजूद निर्मित वस्तुओं की कीमतों में गिरावट धीरे-धीरे हो सकती है। वित्तमंत्री ने कहा कि उन्हें अब आशा है कि मार्च 2012 के अंत तक मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत के निकट हो जाएगी। प्रणब मुखर्जी मंगलवार को मुद्रास्फीति के मासिक आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उनकी मुख्य चिंता खाद्य तेल, दूध और पशुओं से प्राप्त कुछ प्रोटीन हैं, जो खाद्य मुद्रास्फीति को कम होने से रोक सकते हैं, क्योंकि कृषिगत विपणन में अपेक्षित संस्थागत सुधार और भंडारण तथा शीत भंडारों में सुधार बाधित रहे हैं। वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां राज्यों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए और गत दो बजटों में इन क्षेत्रों में केंद्र सरकार की घोषित पहल का लाभ उठाना चाहिए।
इससे पहले मासिक मुख्यरेखा मुद्रास्फीति के आंकड़े आज जारी किये गए। वार्षिक मुख्यरेखा मुद्रास्फीति की जनवरी, 2012 की दर गिरकर 6.55 प्रतिशत रह गई, जबकि दिसंबर 2011 में यह 7.47 प्रतिशत और जनवरी, 2011 में 9.47 प्रतिशत थी। जनवरी महीने में खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट आई, जो मुद्रास्फीति के मौजूदा दौर में पहली बार-0.52 प्रतिशत पर नगण्य रही। तैयार वस्तुओं की मुद्रास्फीति भी गिरकर पिछले महीने के मुकाबले 7.41 प्रतिशत से 6.49 प्रतिशत हो गई है। ईंधन और विद्युत समूह की मुद्रास्फीति में, हालांकि मामूली, कमी आई है।